Monday 12 April 2021

मुझे यह लाइन सबसे वाहियात लगती है कि, "दुनिया में क्या ले के आए, और क्या ले के जाना"?

ऐसे बदबुद्धियों को बताया करो कि, "माँ-बाप-खानदान-जाति-कौम-धर्म-देश" का नाम व् रूतबा ले के आया/आई" व् जाते वक्त "अपने कर्मों के जरिये कमाए अच्छे-बुरे नाम-रुतबे-बुलंदी ले के जाऊंगा/जाउंगी"| ऐसी बुलंदियां जो सिर्फ मेरे नाम से रहती दुनिया तक जानी जाएँगी, चाहे वो देशभक्ति के जरिये कमाऊं, धन/व्यापार जोड़ के कमाऊं, डॉन बन के कमाऊं या समाज सुधारक बन के कमाऊं|


और यह जवाब दे के, ऐसे प्रवचन देने वाले कथानक के पे मुंह पे रैह्पटा मारा करो तसल्ली का और बांह पकड़ के चलता करा करो ऐसे हरामी परजीवियों को| ऐसे वाहियात प्रवचन करने वाले, सारी प्रेरणा मार देते हैं खुल के जीने व् कमाने की|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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