शर्मिला टैगोर, करीना कपूर, गौरी छिब्बर, रीना दत्त, किरण राव:
न्यूं बता द्यो मैनै, इनमें तैं कुणसी तो जाटनी सै, अर जाटनी ना भी सै तो इनके जाटां बारे विचार के सैं| इनके विचार के सैं इस बारे तो मेरे को थाहरे को बताने की जरूरत ना, इनके कोई सी के भी आगे एक बार जाट का नाम ले के देख लो, इतनी नाक सिकोड़ेंगी जितनी तो गली का कचरा देख के ना सिकोड़ें कभी|
सच्चाई सामने है, यह पता है कि यह हैं कौन, फिर भी पूंजड़ जलवाने से जाटों को बाज नी आना| अरे अगली कम से कम जाटों का, जाटों की जाति का मन से आदर ही करती हों तो समझ भी आवे इन लव जिहादियों के खिलाफ नारे लगाने वालों की आवाज में आवाज मिलाना|
और ऊपर से एक अनुभव और बता दूँ, जब-जब जाट के किसी छोरे ने किसी ब्राह्मणी या हिन्दू पंजाबन से ब्याह करने की कही या प्यार की पींघें बढ़ानी चाही, 90% मामलों में लड़कियों की फैमिली ने रिजेक्ट किया या लड़कियों के जरिये करवाया | तो क्यों अपनी पूंजड़ जलवानी इनके पीछे?
हमें अपनी जिंदगी बनाने के लिए और काम भतेरे, कहीं खाद के कट्टे मिलते ना, कहीं भूमि अधिग्रहण बिल रुपी नाग से जमीनें बचानी हैं तो कहीं खापों के अस्तित्व की लड़ाइयां लड़नी हैं| और किसी तरीके से समझ ना आती हो, तो इसी से बता दो कि ये लव जिहाद के खिलाफ तुम्हें भड़काने वाले, तुम्हें खाद कट्टे दिलवाते हों, भूमि अधिग्रहण बिल को रुकवाते हों, या हमारी खापों पे ही भोंकने वालों को "खाप-जिहादी" कह उनको सबक सिखाते हों?
और तो और थारी खुद की लुगाई थानों में लाइन-हाजिर करवा राखी खाद के कट्टों की खातिर और तुम फिर भी यह सोचते हो कि इनकी बिगड़ीजादियों की हरकतों के लिए अपना वक्त और ऊर्जा ज्याया करें हम?
या फिर आदरणीय हिन्दू महासभा और विहिप जी से यही पूछ लो कि यह जाटों को बिना थाना लाइन हाजिर हुए खाद के कट्टे दिलवाने हेतु कब आवाज उठा रहे हैं? यह जुणसे हिन्दुओं की छोरियों को हिन्दू धर्म से बाहर ले जा रहे इनकी तो बाद में देखी जागी, उससे पहले आप लोग यह तो बता दो कि इन हिन्दुओं का क्या करें, जिन्होनें हिन्दुओं की ही औरतें खाद के कट्टों की खातिर लाइन हाजिर करवा राखी?
पगड़ी संभाल जट्टा, दुश्मन पहचान जट्टा!
न्यूं बता द्यो मैनै, इनमें तैं कुणसी तो जाटनी सै, अर जाटनी ना भी सै तो इनके जाटां बारे विचार के सैं| इनके विचार के सैं इस बारे तो मेरे को थाहरे को बताने की जरूरत ना, इनके कोई सी के भी आगे एक बार जाट का नाम ले के देख लो, इतनी नाक सिकोड़ेंगी जितनी तो गली का कचरा देख के ना सिकोड़ें कभी|
सच्चाई सामने है, यह पता है कि यह हैं कौन, फिर भी पूंजड़ जलवाने से जाटों को बाज नी आना| अरे अगली कम से कम जाटों का, जाटों की जाति का मन से आदर ही करती हों तो समझ भी आवे इन लव जिहादियों के खिलाफ नारे लगाने वालों की आवाज में आवाज मिलाना|
और ऊपर से एक अनुभव और बता दूँ, जब-जब जाट के किसी छोरे ने किसी ब्राह्मणी या हिन्दू पंजाबन से ब्याह करने की कही या प्यार की पींघें बढ़ानी चाही, 90% मामलों में लड़कियों की फैमिली ने रिजेक्ट किया या लड़कियों के जरिये करवाया | तो क्यों अपनी पूंजड़ जलवानी इनके पीछे?
हमें अपनी जिंदगी बनाने के लिए और काम भतेरे, कहीं खाद के कट्टे मिलते ना, कहीं भूमि अधिग्रहण बिल रुपी नाग से जमीनें बचानी हैं तो कहीं खापों के अस्तित्व की लड़ाइयां लड़नी हैं| और किसी तरीके से समझ ना आती हो, तो इसी से बता दो कि ये लव जिहाद के खिलाफ तुम्हें भड़काने वाले, तुम्हें खाद कट्टे दिलवाते हों, भूमि अधिग्रहण बिल को रुकवाते हों, या हमारी खापों पे ही भोंकने वालों को "खाप-जिहादी" कह उनको सबक सिखाते हों?
और तो और थारी खुद की लुगाई थानों में लाइन-हाजिर करवा राखी खाद के कट्टों की खातिर और तुम फिर भी यह सोचते हो कि इनकी बिगड़ीजादियों की हरकतों के लिए अपना वक्त और ऊर्जा ज्याया करें हम?
या फिर आदरणीय हिन्दू महासभा और विहिप जी से यही पूछ लो कि यह जाटों को बिना थाना लाइन हाजिर हुए खाद के कट्टे दिलवाने हेतु कब आवाज उठा रहे हैं? यह जुणसे हिन्दुओं की छोरियों को हिन्दू धर्म से बाहर ले जा रहे इनकी तो बाद में देखी जागी, उससे पहले आप लोग यह तो बता दो कि इन हिन्दुओं का क्या करें, जिन्होनें हिन्दुओं की ही औरतें खाद के कट्टों की खातिर लाइन हाजिर करवा राखी?
पगड़ी संभाल जट्टा, दुश्मन पहचान जट्टा!
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