Sunday, 22 March 2015

जाट आरक्षण रद्द होने के बाद अगला कौन?


जाट आरक्षण रद्द होना, ST/SC व् OBC के लिए जश्न मनाने का नहीं अपितु सचेत हो जाने का संकेत!

क्योंकि काफी पहले से आरक्षण के खिलाफ मंडी-फंडी जो विरोधी शुर अलापते आ रहे थे, अब 'जाट आरक्षण रद्द' होने को बेंचमार्क डिसिशन (benchmark decision) मान कर गुज्जर-यादव व् अन्य OBCs के आरक्षण के साथ-साथ दलितों के आरक्षण को भी ऐसे ही तर्क दिलवा के रद्द करवाने की कोशिश करेगा, ऐसे पूरे आसार बन गए हैं|
इसलिए आप लोग जाटों के आरक्षण रद्द होने की ख़ुशी मनाने से ज्यादा इस पर सोचिये कि मंडी-फंडी के निशाने पे आप में से अगला कौन?

और इस पर आगे बढ़ने से मंडी को रोकना है तो अब आप लोग इनसे आपके (खासकर किसानी जातियां) सदियों से आपकी फसलों व् उत्पादों के विक्रय दाम निर्धारित करने का आरक्षण जो यह लोग लिए बैठे हैं, इसको लेने की आवाज उठाना शुरू कीजिये|

और इस पर आगे बढ़ने से फंडी को रोकना है तो अब आप लोग इनसे मंदिरों में आपकी जाति के प्रतिशत के हिसाब से पुजारी-महंत बनने व् इसी प्रतिशत में मंदिरों की सम्पत्ति पर अपना आरक्षण मांगना शुरू कीजिये|
वरना कहीं ऐसा ना हो कि आप लोग जाटों का आरक्षण रद्द होने की ख़ुशी में डूबे रहो और कल को पता लगे आपमें से भी किसी का रद्द हो गया, और एक दिन पूरा आरक्षण ही खत्म हो गया|

और जिस प्रकार से जाट आरक्षण के रद्द होने की मंडी-फंडी (जिनको कि इससे कोई फायदा ही नहीं होना था) तक ख़ुशी मना रहा है, कहीं यह ख़ुशी आरक्षण को पूर्णत: खत्म करवाने के उनके मंसूबे की पहली चाल के सफल होने के आयोजन में ना हो, कि जाटों का रद्द करवा दिया तो बाकियों का चुटकियों में करवा देंगे, जाटों वाले केस को बेंचमार्क मानते हुए| इसलिए जाटों से बिखरा रहने की बजाय जुड़ने की सोचें|
 

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