Monday, 23 March 2015

जाट-दलित व् अल्पसंख्यकों के एक होने का दौर!


जाट पहले कट्टर बौद्ध थे। सम्राट कनिष्क और सम्राट हर्षवर्धन जाट थे और बहुत ही प्रसिद्ध बौद्ध सम्राट थे। लेकिन, फंडियों ने इन बौद्ध सम्राटों को अलग अलग षड्यंत्र करके नष्ट कर दिया। और इसी विखंडन का जोर था कि हरियाणा में तो आज भी "मार दिया मठ", "हो गया मठ", "कर दिया मठ" जैसी विनाश की धोतक कहावतें चलती हैं|

फंडियों को पता है कि जाट लोग प्राचीन बौद्ध है और तुम्हारे फंडों में कभी नहीं आएंगे| इसलिए फंडी लोग जाट आरक्षण के कट्टर विरोधी हैं। जाट अपना प्राचीन इतिहास भूले बैठे हैं और धूर्त फंडियों के बहकावे में आकर खुद को उच्चवर्णीय समझने की गफलत में डाले जा रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि हम इनकी बनाई किसी भी प्रकार की वर्ण-व्यवस्था और जाति-व्यस्था में आते ही नहीं हैं|

इनके बहकाये हुए जाट अपने काम-काज से ले के दुःख-सुख के साथी दलित भाईयों से द्वेष रखने लगे हैं और कहीं-कहीं तो उन पर अन्याय-अत्याचार कर रहे हैं। इनका फैलाया यह जहर इतना व्यापक है कि दलित भी जाट से द्वेष रखते हुए पाये जाने लगे हैं, जिसको कि तुरंत प्रभाव से खत्म करने के प्रयास होने चाहिए|

अगर हमें अपना विकास करना है तो पहले फंडियों के धार्मिक बंधनों में से बाहर आना पडेगा और दलित व धार्मिक अल्पसंख्याकों ( SC/ST/SBC/other OBC and converted minorities) के साथ एक COMMON FRONT बनाना होगा। ताकि मंडी और फंडी हमारी फूट के चलते हमारे जो अधिकार-साधन-सम्पदा-सम्पत्ति दबाये बैठे हैं, उनको इनसे लिया जा सके|

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