तेरा कोई दोष नहीं, ओ नारी अनुष्का शर्मा,
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा,
इश्क करने चली सरूपण-खां तो नाक कटी,
सीता ने लांघी लक्ष्मण रेखा तो गई हरी|
जुआ खेले युधिष्टर, चीर द्रोपदी की फ़टी,
जुआ खेले नल बेचे सौदे में सती दमयंती||
बलात्कार इंद्र करे, अहिल्या को पत्थर का दिया बना|
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
आरएसएस कहती खेल अंग्रेजों का, आज भी क्यों ढोवें,
पर गुलामी जाती नहीं, जब तक दिमाग को ना धोवें|
विराट ने जुआ छोड़ क्रिकेट की तरफ तरक्की कर ली,
पर इसमें भी हारे तो राष्ट्रीय पनौती बोल तू धर ली||
ऑस्ट्रेलिया की धरती पे, तेरा बन्दर दिया बना|
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
तेरा कोई दोष नहीं, यह भारत है ना कि इंग्लैण्ड,
तेजपाल हो, आशाराम हो या भागवत का बैंड|
दोष इंडिया को ही देंगे, भारत अनटोल्ड स्टैंड,
दामिनी हो, कामिनी हो, तोलें सबको एक ट्रेंड ||
कभी कपड़े कभी मोबाइल, देवें तुझपे जाम बिठा|
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
पर बैलेंस तो तुझे भी कहीं ना कहीं धरना पड़ेगा,
विश्वामित्र का तप मेनका ने तोड़ा, कौन ना कहेगा?
क्या कहें जीवन और प्यार की हैं इतनी ही कठिन राही,
'फुल्ले भगत' नहीं समझ पाया, तू कौनसी खेली-खाई||
तुझको पनौती कहने के विरुद्ध, मैं लिखूं कलम उठा|
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
तेरा कोई दोष नहीं, ओ नारी अनुष्का शर्मा,
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
Author: Phool Malik
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा,
इश्क करने चली सरूपण-खां तो नाक कटी,
सीता ने लांघी लक्ष्मण रेखा तो गई हरी|
जुआ खेले युधिष्टर, चीर द्रोपदी की फ़टी,
जुआ खेले नल बेचे सौदे में सती दमयंती||
बलात्कार इंद्र करे, अहिल्या को पत्थर का दिया बना|
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
आरएसएस कहती खेल अंग्रेजों का, आज भी क्यों ढोवें,
पर गुलामी जाती नहीं, जब तक दिमाग को ना धोवें|
विराट ने जुआ छोड़ क्रिकेट की तरफ तरक्की कर ली,
पर इसमें भी हारे तो राष्ट्रीय पनौती बोल तू धर ली||
ऑस्ट्रेलिया की धरती पे, तेरा बन्दर दिया बना|
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
तेरा कोई दोष नहीं, यह भारत है ना कि इंग्लैण्ड,
तेजपाल हो, आशाराम हो या भागवत का बैंड|
दोष इंडिया को ही देंगे, भारत अनटोल्ड स्टैंड,
दामिनी हो, कामिनी हो, तोलें सबको एक ट्रेंड ||
कभी कपड़े कभी मोबाइल, देवें तुझपे जाम बिठा|
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
पर बैलेंस तो तुझे भी कहीं ना कहीं धरना पड़ेगा,
विश्वामित्र का तप मेनका ने तोड़ा, कौन ना कहेगा?
क्या कहें जीवन और प्यार की हैं इतनी ही कठिन राही,
'फुल्ले भगत' नहीं समझ पाया, तू कौनसी खेली-खाई||
तुझको पनौती कहने के विरुद्ध, मैं लिखूं कलम उठा|
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
तेरा कोई दोष नहीं, ओ नारी अनुष्का शर्मा,
यह भारत है इसने औरत को सदा ही भरमा|
Author: Phool Malik
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