संघी बने जाटों से मेरे कुछ सवाल!
कृपया इसको अन्यथा ना लेवें, दिल साफ़ है, दिमाग साफ़ है, सिर्फ मेरी उत्सुकता हेतु यह सवाल हैं:
A) जाट धर्म की 19 मान्यताओं {1. दादा खेड़ा (पर्यायवाची - बाबा जठेरा, बाबा भूमिया, दादा बड़ा बीर, दादा नगर खेड़ा, दादा बैया, दादा भैया, ग्राम खेड़ा आदि) को सबसे बड़ा देवता मानना, 2. घंटी की जगह थाली बजाना, 3. देवदासी विरोधी होना, 4. विधवा विवाह समर्थक होना, 5. सती-प्रथा विरोधी होना, 6. तलाक के बाद औरत को पहले पति से जीवन-यापन दिलवाना, 7. खाप सोशल इंजीनियरिंग सिस्टम, 8. जाटों का अपना मोर-ध्वज होना, 9. जाटों द्वारा हवेलियों पर मोरनी चढ़ाने की प्रथा (अब लुप्तप्राय), 10. जाटों में यौद्धा की जगह यौद्धेय होना, 11. अपनी अलग से जाटू (हरियाणवी) भाषा (पंजाबी और हिंदी के साथ-साथ) होना, 12. मूर्ती-पूजा के विरोधी होना, 13. स्व-गोत में विवाह की अनुमति नहीं होना, 14. गाम-गोत-गुहांड वाली संस्कृति होना, 15. मालिक-नौकर की जगह सीरी-साझी की सभ्यता होना, 16. किसी भी प्रकार की पशुबलि-नरबलि विरोधी होना, 17. सैद्धांतिक तौर पर शाकाहारी होना, 18. मठ से संबंधित कहावतें होना, 19. खेड़े के गोत को गाँव में प्राथमिकता होना} का संघियों के यहां क्या बखान और स्थान है?
B) इन 19 शुद्ध जाट मान्यताओं का कितने संघियों को पता है और वो इनको उनके तंत्र में कितना स्थान देते हैं? वह इनके संवर्धन और प्रचार बारे क्या सोचते हैं?
C) जाट महापुरुषों, महावीरांगनाओं, यौद्धेय/यौद्धेयाओं, राजा-महाराजाओं, स्वंत्रता सेनानियों, समाजसेवकों का संघ के साहित्य में क्या और कितना जिक्र आता है? कौनसे-कौनसे मौकों पर इनमें से किसी को भी याद किया जाता है और क्या सम्मान दिया जाता है?
D) जाट संस्कृति को बचाये और बनाये रखने के लिए संघ के पास क्या एजेंडा है?
E) धर्म के नाम पर कुर्बान होने वाले उदाहरणत: मुज़फ्फरनगर के दंगों में फंसे जाटों को छुड़वाने के लिए संघ क्या प्रयास कर रहा है? धर्म के नाम पर बलि देने वालों के पुनर्वास की संघ के पास क्या नीति है?
F) आपकी कितनी और किस स्तर की भागीदारी संघ में है, खैर यह सवाल तो इतना महत्वपूर्ण नहीं परन्तु फिर भी कोई रौशनी डालना चाहे तो इसपे भी डालें|
गैर-जाट संघी भी चाहे तो मेरे इन सवालों के जवाब दे सकता है| देखते हैं कौन संघी इन बातों के आशानुरूप जवाब दे पाता है|
बाकी गैर-संघी यानी मेरे जैसे जाट इस डिबेट में संयम और सौहार्द बनाएं रखें, ताकि एक शांतिपूर्ण और मैत्री माहौल में इन लोगों को हमारे इन बिन्दुओं पर सुना जा सके|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
कृपया इसको अन्यथा ना लेवें, दिल साफ़ है, दिमाग साफ़ है, सिर्फ मेरी उत्सुकता हेतु यह सवाल हैं:
A) जाट धर्म की 19 मान्यताओं {1. दादा खेड़ा (पर्यायवाची - बाबा जठेरा, बाबा भूमिया, दादा बड़ा बीर, दादा नगर खेड़ा, दादा बैया, दादा भैया, ग्राम खेड़ा आदि) को सबसे बड़ा देवता मानना, 2. घंटी की जगह थाली बजाना, 3. देवदासी विरोधी होना, 4. विधवा विवाह समर्थक होना, 5. सती-प्रथा विरोधी होना, 6. तलाक के बाद औरत को पहले पति से जीवन-यापन दिलवाना, 7. खाप सोशल इंजीनियरिंग सिस्टम, 8. जाटों का अपना मोर-ध्वज होना, 9. जाटों द्वारा हवेलियों पर मोरनी चढ़ाने की प्रथा (अब लुप्तप्राय), 10. जाटों में यौद्धा की जगह यौद्धेय होना, 11. अपनी अलग से जाटू (हरियाणवी) भाषा (पंजाबी और हिंदी के साथ-साथ) होना, 12. मूर्ती-पूजा के विरोधी होना, 13. स्व-गोत में विवाह की अनुमति नहीं होना, 14. गाम-गोत-गुहांड वाली संस्कृति होना, 15. मालिक-नौकर की जगह सीरी-साझी की सभ्यता होना, 16. किसी भी प्रकार की पशुबलि-नरबलि विरोधी होना, 17. सैद्धांतिक तौर पर शाकाहारी होना, 18. मठ से संबंधित कहावतें होना, 19. खेड़े के गोत को गाँव में प्राथमिकता होना} का संघियों के यहां क्या बखान और स्थान है?
B) इन 19 शुद्ध जाट मान्यताओं का कितने संघियों को पता है और वो इनको उनके तंत्र में कितना स्थान देते हैं? वह इनके संवर्धन और प्रचार बारे क्या सोचते हैं?
C) जाट महापुरुषों, महावीरांगनाओं, यौद्धेय/यौद्धेयाओं, राजा-महाराजाओं, स्वंत्रता सेनानियों, समाजसेवकों का संघ के साहित्य में क्या और कितना जिक्र आता है? कौनसे-कौनसे मौकों पर इनमें से किसी को भी याद किया जाता है और क्या सम्मान दिया जाता है?
D) जाट संस्कृति को बचाये और बनाये रखने के लिए संघ के पास क्या एजेंडा है?
E) धर्म के नाम पर कुर्बान होने वाले उदाहरणत: मुज़फ्फरनगर के दंगों में फंसे जाटों को छुड़वाने के लिए संघ क्या प्रयास कर रहा है? धर्म के नाम पर बलि देने वालों के पुनर्वास की संघ के पास क्या नीति है?
F) आपकी कितनी और किस स्तर की भागीदारी संघ में है, खैर यह सवाल तो इतना महत्वपूर्ण नहीं परन्तु फिर भी कोई रौशनी डालना चाहे तो इसपे भी डालें|
गैर-जाट संघी भी चाहे तो मेरे इन सवालों के जवाब दे सकता है| देखते हैं कौन संघी इन बातों के आशानुरूप जवाब दे पाता है|
बाकी गैर-संघी यानी मेरे जैसे जाट इस डिबेट में संयम और सौहार्द बनाएं रखें, ताकि एक शांतिपूर्ण और मैत्री माहौल में इन लोगों को हमारे इन बिन्दुओं पर सुना जा सके|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
No comments:
Post a Comment