यह पंक्ति मंडी-फंडी द्वारा अपने रास्ते खुले रखने के लिए बनाई गई है, कि
किसान और कमेरा को हम इस पंक्ति के सहारे लूटते रहें और वो इसको आगे रख के
गधे की तरह बस उनके लिए खेतो-क्यारों में कहीं किसान तो कहीं मजदूर बनके
खटता रहे|
वर्ना जरा यह तो बता दो कि यह लोग खुद ऐसा कौनसा काम करते हैं जिसका फल पहले निर्धारित करके, उसके अनुसार अपेक्षित कार्य-योजना बना के कार्य ना करते हों?
अगर कॉर्पोरेट वाले इस लाइन के सहारे काम करने लग जाएँ तो उनके वर्क (work) की असेसमेंट (assessment) के फंडे किसलिए हैं| वर्क (work) का स्वोट एनालिसिस (SWOT Analysis) से ले के उसके इम्प्रोवमेंट्स (improvements) के स्कोपस (scopes) पे वर्कआउट (workout) क्यों करवाया जाता है?
कर्म की भूल से सीख ले के आगे बढ़ने की प्रेरणा लेने की बात क्या दर्शाती है कि अगर कर्म का फल आशानुरूप नहीं आया तो उसका अध्ययन करो और फिर नए सिरे से शुरू करो|
तो जरा मंडी-फंडी आये खुले मंच पे और साबित करे कि वो लोग गीता की इस पंक्ति को खुद भी फॉलो करते हैं|
इस पंक्ति का दूसरा उद्देश्य है अपनी कमियों को छुपाना और कहीं कोई इनकी असफलताओं पर प्रश्न-चिन्ह ना लगा दे उससे बचना:
उदाहरण:
1) सोमनाथ के मंदिर की लूट के लिए कौन जिम्मेदार था, आजतक निर्धारित नहीं| जबकि उसी लूट के लुटेरे महमूद ग़ज़नवी से इस लूट को छीनने वाले जाटों को तो लुटेरा तक भी लिख दिया गया है? क्या यही वो फल है, जिसकी चिंता ना करने की सलाह इस पंक्ति के जरिये दी गई है?
2) पृथ्वीराज चौहान द्वारा मोहम्मद गौरी को हराने और कैद करने के बाद फिर भी माफ़ी दे के छुड़वाने वाले लोग कौन थे? क्यों नहीं उन लोगों ने आजतक भी इस बात की जिम्मेदारी ली कि हाँ हमने गौरी को छुड़वाने की गलती की तो पृथ्वीराज की हत्या हुई और इस तरह हम इसके सीधे जिम्मेदार हैं|
3) अरब के व्यापारियों के साथ दुर्व्यवहार किसके और कौनसे व्यापारियों और राजदरबारियों ने किया; जिसकी वजह से कि भारत में बिन कासिम के रूप में पहला मुग़ल एंट्री मारा|
4) देश के गद्दारों के नाम पर जयचंद का ही नाम क्यों उछाले जाते हैं, वो पंडित नेहरू के दादा पंडित गिरधर कॉल का नाम किधर है, जिन्होनें महाराजा नाहर सिंह को धोखे से बुला चांदनी-चौक दिल्ली पर अंग्रेजों के हाथों फांसी लगवाई थी?
5) वो शोभा सिंह (लेखक खुशवंत सिंह के पिता) किधर हैं, जिनकी गवाही पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह को फांसी हुई थी?
6) वो जोधा को अकबर से ब्याहे जाने का कलंक रुपी श्राप राजपूत समाज पर लगाने वाले सलाहकार किधर हैं, जिनके कहने पे यह ब्याह हुआ?
और भी ऐसे ही अनगिनत किस्से और उदहारण, किधर हैं इनके जिक्र, इनके जिक्र एक इस कहावत की आड़ में छुपे बैठे हैं कि 'कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर ए इन्सान!'
और अब इसी लाइन को आगे अड़ा के कहीं ना कहीं यह लोग सरकार और प्रकृति की मिलीझुली मार से घायल किसान को कंट्रीसाइड में चिंता ना करने का पाठ पढ़ा के और ऐसी मेहनत करने का घोटा चढ़ा रहे होंगे जिसकी डोर इनके इशारों पे चलती सरकारों के हाथ में है| - फूल मलिक
वर्ना जरा यह तो बता दो कि यह लोग खुद ऐसा कौनसा काम करते हैं जिसका फल पहले निर्धारित करके, उसके अनुसार अपेक्षित कार्य-योजना बना के कार्य ना करते हों?
अगर कॉर्पोरेट वाले इस लाइन के सहारे काम करने लग जाएँ तो उनके वर्क (work) की असेसमेंट (assessment) के फंडे किसलिए हैं| वर्क (work) का स्वोट एनालिसिस (SWOT Analysis) से ले के उसके इम्प्रोवमेंट्स (improvements) के स्कोपस (scopes) पे वर्कआउट (workout) क्यों करवाया जाता है?
कर्म की भूल से सीख ले के आगे बढ़ने की प्रेरणा लेने की बात क्या दर्शाती है कि अगर कर्म का फल आशानुरूप नहीं आया तो उसका अध्ययन करो और फिर नए सिरे से शुरू करो|
तो जरा मंडी-फंडी आये खुले मंच पे और साबित करे कि वो लोग गीता की इस पंक्ति को खुद भी फॉलो करते हैं|
इस पंक्ति का दूसरा उद्देश्य है अपनी कमियों को छुपाना और कहीं कोई इनकी असफलताओं पर प्रश्न-चिन्ह ना लगा दे उससे बचना:
उदाहरण:
1) सोमनाथ के मंदिर की लूट के लिए कौन जिम्मेदार था, आजतक निर्धारित नहीं| जबकि उसी लूट के लुटेरे महमूद ग़ज़नवी से इस लूट को छीनने वाले जाटों को तो लुटेरा तक भी लिख दिया गया है? क्या यही वो फल है, जिसकी चिंता ना करने की सलाह इस पंक्ति के जरिये दी गई है?
2) पृथ्वीराज चौहान द्वारा मोहम्मद गौरी को हराने और कैद करने के बाद फिर भी माफ़ी दे के छुड़वाने वाले लोग कौन थे? क्यों नहीं उन लोगों ने आजतक भी इस बात की जिम्मेदारी ली कि हाँ हमने गौरी को छुड़वाने की गलती की तो पृथ्वीराज की हत्या हुई और इस तरह हम इसके सीधे जिम्मेदार हैं|
3) अरब के व्यापारियों के साथ दुर्व्यवहार किसके और कौनसे व्यापारियों और राजदरबारियों ने किया; जिसकी वजह से कि भारत में बिन कासिम के रूप में पहला मुग़ल एंट्री मारा|
4) देश के गद्दारों के नाम पर जयचंद का ही नाम क्यों उछाले जाते हैं, वो पंडित नेहरू के दादा पंडित गिरधर कॉल का नाम किधर है, जिन्होनें महाराजा नाहर सिंह को धोखे से बुला चांदनी-चौक दिल्ली पर अंग्रेजों के हाथों फांसी लगवाई थी?
5) वो शोभा सिंह (लेखक खुशवंत सिंह के पिता) किधर हैं, जिनकी गवाही पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह को फांसी हुई थी?
6) वो जोधा को अकबर से ब्याहे जाने का कलंक रुपी श्राप राजपूत समाज पर लगाने वाले सलाहकार किधर हैं, जिनके कहने पे यह ब्याह हुआ?
और भी ऐसे ही अनगिनत किस्से और उदहारण, किधर हैं इनके जिक्र, इनके जिक्र एक इस कहावत की आड़ में छुपे बैठे हैं कि 'कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर ए इन्सान!'
और अब इसी लाइन को आगे अड़ा के कहीं ना कहीं यह लोग सरकार और प्रकृति की मिलीझुली मार से घायल किसान को कंट्रीसाइड में चिंता ना करने का पाठ पढ़ा के और ऐसी मेहनत करने का घोटा चढ़ा रहे होंगे जिसकी डोर इनके इशारों पे चलती सरकारों के हाथ में है| - फूल मलिक
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