Tuesday 9 June 2015

मेरी 15 पीढ़ियां और मेरी निडाना नगरी (गाँव)!


फूल मलिक > चौ. राममेहर सिंह > चौ. फ़तेह सिंह > चौ. लक्ष्मण सिंह > चौ. शादी सिंह > चौ. गुरुदयाल सिंह (हरयाणवी में दादा गरद्याला जी, हमारे ठोले का नाम इनके ही नाम पर है) > चौ. डोडा सिंह > चौ. दिशोधिया सिंह > चौ. थाम्बु सिंह > चौ. संजय सिंह > चौ. रोहताश सिंह > चौ. सांजरण सिंह (इनके नाम पे मेरे पान्ने का नाम है और मेरे ब्लॉग का भी इन्हीं के नाम पे http://sanjrann.blogspot.fr/ है) > चौ. करारा सिंह > चौ. रायचंद सिंह > चौ. मंगोल सिंह गठवाला दादा जी महाराज, जिन्होनें सन 1600 ईस्वीं में अपने साथी दादाश्री मीला धानक व् अन्यों के साथ मोखरा नगरी, जिला रोहतक से आ के मुस्लिम रांघड़ों के डेरे पे अपना खेड़ा निडाना नगरी जिला जींद बसाया| गाँव के सबसे पुराने जोहड़ (तालाब) मंगोलवाला का नाम आप पर ही रखा गया है|

औसतन 24-25 साल में नई पीढ़ी जन्म ले लेती है, इस हिसाब से मेरी 15 पीढ़ियां निडाना नगरी में हो चुकी हैं, जिनका कुल काल निकाला जाए तो 375 साल बैठता है| मैं शादी करने में लेट हूँ और बीच में मेरे पिता भी तब हुए थे जब मेरे दादा तकरीबन 43 साल के थे| तो ऐसे कुल मिला के यह काल सटीक मेरे गाँव की स्थापना के समय से मेल खाता है|

It was just like coffee time in office and all revolved in mind and I just wrote, nothing special effort put!

जय दादा नगर खेड़ा! जय निडाना नगरी!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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