Wednesday 15 July 2015

ग्रीक (भारत में इनका वंशज है खत्री-अरोड़ा समुदाय) के वित्तीय संकट को खत्म करने की बागडोर अब फ्रांस, जर्मनी (भारत में जर्मनी का वंशज समुदाय है जाट) के हाथों में!

'विक्की डोनर' में खुद को ग्रीक ओरिजिन का बताने वालों के ग्रीक पुरखे भारी कर्ज तले दबे हुए हैं, अब उनकी मदद जर्मनी के जाट करेंगे|

काश! ऐसी मिशाल भारत के ग्रीक 'खत्री' समुदाय भी भारत के जाटों के साथ मिलके पेश करें और सबसे पहले 'गुड्डू-रंगीला' जैसी फ़िल्में बनानी बंद करके, समाज में जर्मनी के जाट समुदाय का भी कोई अस्तित्व है इस बात को समझें|

जबसे हरयाणा में नई सरकार आई है, यह लोग जाटों के खिलाफ नित नए सार्वजनिक (व्यक्तिगत नहीं) स्वांग रच रहे हैं, जिनकी फेहरिस्त है कि लम्बी ही होती जा रही है| जैसे कि:

1) आते ही फसलों के दाम धरती को मिला दिए|
2) यूरिया खाद तक के लिए किसानों को थाने हाजिर करवा दिया|
3) 03/05/2015 को जाट आरक्षण से कोई लेना-देना नहीं होते हुए भी हरयाणा पंजाबी सभा जाटों के खिलाफ आन खड़ी हुई|
4) विगत जून के महीने में रोहतक के वर्तमान एमएलए की ऑफिसियल लेटर पैड से एमडीयू रोहतक को निर्देश जाता है कि यूनिवर्सिटी के विशेष जाट कर्मचारियों के रिकॉर्ड खँगालो|
5) 04/07/2015 को सुभाष कपूर खाप और हरयाणवी समुदाय की खुल्ली बेइज्जती करते हुए 'गुड्डू-रंगीला' जैसी वाहियात फिल्म ले आते हैं|
6) 'गुड्डू-रंगीला' का खाप और जाट विरोध करते हैं तो जींद का पंजाबी समुदाय बजाय सुभाष कपूर को समझाने के सर्वखाप अध्यक्ष चौधरी नफे सिंह नैन के विरोध में यह लोग पंचायत बिठा के उनको देशद्रोही करार दिया जाने की वकालत करते हैं|

और अभी तो क्रॉस-फिंगर्स किये बैठा हूँ कि देखें यह और कौन-कौन से स्वांग और रचेंगे हरयाणवियों और खापों के खिलाफ!

मैं कहता हूँ अगर 1947 में अपने सीने से लगाने, 1984-86 में पंजाब से पिट के आने पे फिर से इनको गले लगाने का अगर हरयाणवियों और जाटों को इनसे यही सिला मिलना है तो क्यों नहीं इनकी तमाम तरह की दुकानों से खरीदारी ही करनी बंद कर देते| जब रोजी-रोटी के लाले पड़ेंगे तो दो हफ्ते में ही यह  बात समझ आ जाएगी कि आप लोग भी समाज में ही रहते हो, समाज का ही हिस्सा हो| तीन-तीन पीढ़ियां हो गई फिर भी खुद को हरयाणवी कहलाने को तैयार नहीं, बल्कि उसी पंजाबी शब्द से चिपके हुए हैं जिन्होनें 1984-86 में इनको वहाँ से खदेड़ दिया| चलो खैर वो इनकी मर्जी खुद हरयाणवी नहीं कहलवाना तो मत कहलवाएं, परन्तु समाज में कोई और भी रहता है इसका तो आभास रखें|

विशेष: विभिन्न यूरोेपियन एवं भारतीय इतिहासकार साबित कर चुके हैं कि जिस तरह खत्री समुदाय अपना ओरिजिन ग्रीक का बताता है, ऐसे ही भारतीय जाट समुदाय का ओरिजिन जर्मनी और सीथिया का है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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