खाप-पंचायतों ने जब पहले से तमाम अंतर्जातीय विवाह खोले हुए हैं। सिर्फ
अजगर तो क्या आप किसी भी जाति में विवाह करो इसपे पहले से ही कोई रोक नहीं
है तो यह नया स्वांग किस शौक और उद्देश्य से? अजगर को बाकी जातियों से
अलग-थलग करने के लिए?
अगर ब्राह्मण पुजारियों को उनकी जाति में भी अंतर्जातीय विवाह खोलने की बात नहीं करनी थी तो अजगर को यह पंचायत जाति -पाति के केंद्रबिंदु किसी मंदिर के प्रांगण में करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी थी? अथवा यह पंचायत किसी गैर-अजगर प्रतिनिधि ने बुलाई थी? और बुलाई थी तो इसमें अजगर के लोग व् प्रतिनिधि गए क्यों थे?
अजगर समूह से जो गए वो यह क्यों भूल गए कि आप जिन खाप-पंचायतों के प्रतिनिधि हैं वो जातिवाद व् वर्णवाद की विरोधी रही है? और इसीलिए इतिहास में खाप अथवा अजगर की कोई भी पंचायत मंदिर में होने का कोई इतिहास नहीं। मंदिर तो क्या वरन किसी भी धर्म के धर्मस्थल में ऐसी पंचायत होने का कोई इतिहास नहीं।
25-11-2014 को जींद में भी ऐसी खाप-पंचायत आयोजित हुई थी जो आर्ट ऑफ़ लाइफ वालों ने बुलाई थी। उस पंचायत के नतीजे इतने भयानक आये थे कि आज पूरा हरयाणा जाट बनाम नॉन-जाट की भट्टी में अपनी चरमसीमा के स्तर तक धधक रहा है। भगवान जाने यह गाज़ियाबाद में हुई इस तरह की दूसरी पंचायत के क्या दुष्परिणाम सामने आने वाले हैं।
और इस अख़बार वाले का 'अब' शब्द प्रयोग करना तो ऐसे हो गया जैसे कि इससे पहले अजगर में आपस में विवाह ही नहीं हुए। हद है इनकी भी धक्के का खुलापन और प्रतिनिधित्व सिद्ध करने की।
सर्वखाप में अंतर्जातीय स्वयंवर का अनूठा संयोग: इतिहास पर नजर डालने पर पता चलता है कि कई खाप वीरांगनाओं द्वारा स्वेच्छा से अंतर्जातीय वर चुने गए|
1355 में चुगताई और चंगेजों को लोहे के चने चबवाने वाली दादीराणी भागीरथी देवी जी महाराणी ने प्रतिज्ञा की थी कि अपने समान योग्य वीर योद्धा से ही विवाह करूंगी| और क्योंकि उस समय पंचायत संगठन में स्वंयवर करने की विधि का प्रचलन था तो इस युद्ध के दो वर्ष पीछे भागीरथी देवी ने स्वेच्छा से पंचायत के सानिध्य में एक महा-तेजस्वी पंजाब के रणधीर गुर्जर योद्धा से विवाह किया| इसके साथ ही कुछ और भी देवियों ने स्वंयवर किये, जिनमें दो देवियों के विवाह विवरण इस प्रकार हैं|
उसी काल में दादीराणी महादेवी गुर्जर वीरांगना ने दादावीर बलराम जी नाम के जाट योद्धेय से स्वयंवर किया|
वीरांगना महावीरी रवे की लड़की ने अपने समान दुर्दांत योद्धेय दादावीर भद्रचन्द सैनी जी से विवाह किया|
एक राजपूत जाति की लड़की ने कोली जाट वीर योद्धेय से विवाह किया|
इसी प्रकार भंगी कुल की तथा ब्राह्मण कुल की कन्याओं ने भी अपनी मनपसंद वीरों से स्वयंवर किये|
खापों के इतिहास में ऐसे यह अपने-आप में ऐसा विलक्षण अवसर था जब एक साथ इतनी वीरांगनाओं ने स्वयंवर किये थे| और एक बार फिर समाज में यह सन्देश गया था कि सर्वखाप एक जातिविहीन, ऊंच-नीच व् वर्ण-व्यवस्था रिक्त सामाजिक तंत्र है| अत: इसमें जातीय-कुल-वंश-रंग-भेद के हिसाब से कोई भेदभाव नहीं था|
भगवान बचाये अजगर समूह को इन लोगों की गन्दी नजरों और मंदी नियत से।
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
अगर ब्राह्मण पुजारियों को उनकी जाति में भी अंतर्जातीय विवाह खोलने की बात नहीं करनी थी तो अजगर को यह पंचायत जाति -पाति के केंद्रबिंदु किसी मंदिर के प्रांगण में करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी थी? अथवा यह पंचायत किसी गैर-अजगर प्रतिनिधि ने बुलाई थी? और बुलाई थी तो इसमें अजगर के लोग व् प्रतिनिधि गए क्यों थे?
अजगर समूह से जो गए वो यह क्यों भूल गए कि आप जिन खाप-पंचायतों के प्रतिनिधि हैं वो जातिवाद व् वर्णवाद की विरोधी रही है? और इसीलिए इतिहास में खाप अथवा अजगर की कोई भी पंचायत मंदिर में होने का कोई इतिहास नहीं। मंदिर तो क्या वरन किसी भी धर्म के धर्मस्थल में ऐसी पंचायत होने का कोई इतिहास नहीं।
25-11-2014 को जींद में भी ऐसी खाप-पंचायत आयोजित हुई थी जो आर्ट ऑफ़ लाइफ वालों ने बुलाई थी। उस पंचायत के नतीजे इतने भयानक आये थे कि आज पूरा हरयाणा जाट बनाम नॉन-जाट की भट्टी में अपनी चरमसीमा के स्तर तक धधक रहा है। भगवान जाने यह गाज़ियाबाद में हुई इस तरह की दूसरी पंचायत के क्या दुष्परिणाम सामने आने वाले हैं।
और इस अख़बार वाले का 'अब' शब्द प्रयोग करना तो ऐसे हो गया जैसे कि इससे पहले अजगर में आपस में विवाह ही नहीं हुए। हद है इनकी भी धक्के का खुलापन और प्रतिनिधित्व सिद्ध करने की।
सर्वखाप में अंतर्जातीय स्वयंवर का अनूठा संयोग: इतिहास पर नजर डालने पर पता चलता है कि कई खाप वीरांगनाओं द्वारा स्वेच्छा से अंतर्जातीय वर चुने गए|
1355 में चुगताई और चंगेजों को लोहे के चने चबवाने वाली दादीराणी भागीरथी देवी जी महाराणी ने प्रतिज्ञा की थी कि अपने समान योग्य वीर योद्धा से ही विवाह करूंगी| और क्योंकि उस समय पंचायत संगठन में स्वंयवर करने की विधि का प्रचलन था तो इस युद्ध के दो वर्ष पीछे भागीरथी देवी ने स्वेच्छा से पंचायत के सानिध्य में एक महा-तेजस्वी पंजाब के रणधीर गुर्जर योद्धा से विवाह किया| इसके साथ ही कुछ और भी देवियों ने स्वंयवर किये, जिनमें दो देवियों के विवाह विवरण इस प्रकार हैं|
उसी काल में दादीराणी महादेवी गुर्जर वीरांगना ने दादावीर बलराम जी नाम के जाट योद्धेय से स्वयंवर किया|
वीरांगना महावीरी रवे की लड़की ने अपने समान दुर्दांत योद्धेय दादावीर भद्रचन्द सैनी जी से विवाह किया|
एक राजपूत जाति की लड़की ने कोली जाट वीर योद्धेय से विवाह किया|
इसी प्रकार भंगी कुल की तथा ब्राह्मण कुल की कन्याओं ने भी अपनी मनपसंद वीरों से स्वयंवर किये|
खापों के इतिहास में ऐसे यह अपने-आप में ऐसा विलक्षण अवसर था जब एक साथ इतनी वीरांगनाओं ने स्वयंवर किये थे| और एक बार फिर समाज में यह सन्देश गया था कि सर्वखाप एक जातिविहीन, ऊंच-नीच व् वर्ण-व्यवस्था रिक्त सामाजिक तंत्र है| अत: इसमें जातीय-कुल-वंश-रंग-भेद के हिसाब से कोई भेदभाव नहीं था|
भगवान बचाये अजगर समूह को इन लोगों की गन्दी नजरों और मंदी नियत से।
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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