Tuesday, 13 October 2015

अनिल विज चले माता को पशु घोषित करवाने, भगतो! त्राहि-माम, त्राहि-माम!

भगतो अब हमें दोष ना देना अगर हम गाय को पशु कह देवें तो, क्योंकि अब तो आरएसएस के सबसे बड़े चेलों में से एक श्रीमान अनिल विज, मिनिस्टर हरयाणा सरकार तक ने आपकी माता को राष्ट्रीय पशु घोषित करवाने का बीड़ा उठाया है|

वैसे भगतो ये तमाशा क्या है? कभी संगीत सोम राजपूत जो गाय के लिए मरने-मारने को लोगों को प्रेरित करता है वो खुद एक गौहत्थे का डायरेक्टर निकलता है| अब यह विज महाराज गौ-माता को पशु ही घोषित करवाने पे तुल गए हैं|

भगतो रोको इनको! समझाओ कुछ अक्ल दो कि आप भगत लोग सुतिये हो क्या जो इतनी मेहनत से एक पशु को माता बनाने में दिन-रात एक कर देते हो और फिर यह आपके ही बुद्धिजीवी लोग उसको वापिस पशु घोषित करवाने पे तुल जाते हैं|

लगता है भगत और इनके गुरु लोग दिग्भर्मित हो पथभ्रष्ट हो गए हैं| लगता है जैसे काल्पनिक कथा महाभारत में यादव कुल आपस में कट-कट नष्टप्राय हो गया था अब आधुनिक काल में भगतों में जल्द ही यह दौर आने वाला है|

दया करो ईश्वर, बख्स तो नादान अनिल विज जी को जो अपने ही भगतों की भावना नहीं समझते|

ओन सीरियस नोट: यार भगतो अब तो समझ जाओ, कि जिनके इशारों पे तुम उपरांतळी-अळसु-पळसु हुए रहते हो, वो तुम्हें कितना फद्दु समझते हैं, इसका इससे भी बड़ा जीता-जागता उदाहरण और कोई हो नहीं सकता|

जय योद्धेय! - फूल मलिक

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