Wednesday, 7 October 2015

एक गुजराती (गांधी) कहता था अंग्रेजो भारत छोडो, दूसरा गुजराती (मोदी) उनको वापिस बुला रहा है!

एक डेड स्याणे आप ही हुए हो कि वो यहां आएंगे आपको सब कुछ बना के देंगे और उससे बिना मनचाहा अथवा निर्धारित मुनाफा कमाए भारत छोड़ जायेंगे?

मेरे ख्याल से यूरोपियन और अमेरिकन अभी इतने भी बावळीतरेड़ नहीं हुए हैं कि तुम उनसे यह कह के प्रोजेक्ट उठवाओ कि बस आओ, बनाओ और जाओ और तुम्हें मुफ्त में अपनी टेक्नोलॉजी भी दे जाओ|

यार दिमाग की दही कर देते हैं ऐसे लोग, ढींग हांकने को तो यह गाय के मूत से भी बिजली बना देवें; परन्तु जब व्यवहारिक तकनीक की बात आवे तो फिरें उड़ते देश-देश वास्कोडिगामा बने|

यह इतने सारे शंकराचार्य से ले, महामंडलेश्वर, वेदांती, शास्त्री, साध्वी-साधु क्या यहां सिर्फ जीभ चलाने को छोड़े हुए हैं और हम भैंस की पूंछ बनके इनके हुंगारे भरने को? इनको लगाते क्यों नहीं शुद्ध भारतीय तकनीक विकसित करने में? ताकि इनके टैलेंट का देश में सिर्फ दंगे और जातिवाद बढ़ाने और भड़काने के अलावा भी कोई ढंग का इस्तेमाल हो सके|

और हमें भी पता चले कि यह चाँद-तारों की ऊंचाई तक के ज्ञानी-भंडार के दावे करने वाले वास्तव में कितने ब्रह्मज्ञानी हैं|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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