'चार्ली-हेब्दो' पेरिस-फ्रांस से निकलने वाली ऐसी मैगज़ीन है जो पॉप से ले
के पैगंबर मुहम्मद तक पर व्यंग्य कसती है। यह कोई पचास-सौ लोगों का समूह
है।
पेरिस में हाल ही में हुए आतंकी हमले में इस मैगज़ीन द्वारा पैगंबर मुहम्मद का एक व्यंग्यात्मक कार्टून मुख्य वजह बताया जा रहा है।
एक ऐसा ही समूह भारत में भी है जिसको 'जाट-समाज' बोलते हैं जो हिन्दू धर्म में पैदा होने वाले ढोंग-पाखंड की आलोचना करने में सदियों से अग्रणी रहा है। परन्तु विडंबना देखो कि भारत के जो लोग 'चार्ली-हेब्दो' की प्रशंसा करते हैं, वो भारत में जाट-समाज के खिलाफ होते हैं। जाट की इस 'चार्ली-हेब्दो' गट की वजह से वो जाट को अधार्मिक और एंटी-ब्राह्मण तक ठहराने लग जाते हैं।
आरएसएस और बीजेपी, यह दोहरे मापदंड मत अपनाओ और भारत के इस 'चार्ली-हेब्दो' समूह को गले लगाओ। याद रखना जाट ना रहे तो तुम्हें कोई नहीं बता पायेगा कि वाकई में धर्म की राह पर चलते हो या ढोंग-पाखंड की राह पर।
मैंने जिंदगी में महसूस किया है कि जो समाज में वाकई में धर्म और मानवता का पक्षधर है वो जाट से जुड़ के चलता है परन्तु धर्म के नाम पर पाखंड और ढोंग कर जिसको सत्ता और पैसा बटोरना है वो जाट बनाम नॉन-जाट की राजनीति करते हैं।
इसलिए अंधभक्त बने जाट भी अपनी कौम की ख़ूबसूरती के इस नायाब गट को समझें और खूबसूरत बने रहें। और धर्म में घुसे ढोंग-पाखंड की पोल खोलने में यह ना सोचें कि आप अधार्मिक हो गए या धर्म के गद्दार हो गए।
सनद रहे कि जैसे घर से कूड़े की सफाई जरूरी होती है उसी तरह धर्म को साफ़-सुथरा रखने के लिए इसके अंदर छुपे ढोंग-पाखंड के कूड़े को झाड़ना जाट का फर्ज होता है।
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
पेरिस में हाल ही में हुए आतंकी हमले में इस मैगज़ीन द्वारा पैगंबर मुहम्मद का एक व्यंग्यात्मक कार्टून मुख्य वजह बताया जा रहा है।
एक ऐसा ही समूह भारत में भी है जिसको 'जाट-समाज' बोलते हैं जो हिन्दू धर्म में पैदा होने वाले ढोंग-पाखंड की आलोचना करने में सदियों से अग्रणी रहा है। परन्तु विडंबना देखो कि भारत के जो लोग 'चार्ली-हेब्दो' की प्रशंसा करते हैं, वो भारत में जाट-समाज के खिलाफ होते हैं। जाट की इस 'चार्ली-हेब्दो' गट की वजह से वो जाट को अधार्मिक और एंटी-ब्राह्मण तक ठहराने लग जाते हैं।
आरएसएस और बीजेपी, यह दोहरे मापदंड मत अपनाओ और भारत के इस 'चार्ली-हेब्दो' समूह को गले लगाओ। याद रखना जाट ना रहे तो तुम्हें कोई नहीं बता पायेगा कि वाकई में धर्म की राह पर चलते हो या ढोंग-पाखंड की राह पर।
मैंने जिंदगी में महसूस किया है कि जो समाज में वाकई में धर्म और मानवता का पक्षधर है वो जाट से जुड़ के चलता है परन्तु धर्म के नाम पर पाखंड और ढोंग कर जिसको सत्ता और पैसा बटोरना है वो जाट बनाम नॉन-जाट की राजनीति करते हैं।
इसलिए अंधभक्त बने जाट भी अपनी कौम की ख़ूबसूरती के इस नायाब गट को समझें और खूबसूरत बने रहें। और धर्म में घुसे ढोंग-पाखंड की पोल खोलने में यह ना सोचें कि आप अधार्मिक हो गए या धर्म के गद्दार हो गए।
सनद रहे कि जैसे घर से कूड़े की सफाई जरूरी होती है उसी तरह धर्म को साफ़-सुथरा रखने के लिए इसके अंदर छुपे ढोंग-पाखंड के कूड़े को झाड़ना जाट का फर्ज होता है।
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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