बिहार में मात्र 'बिहारी बनाम बाहरी' का नारा ही चुनाव की हवा पलट देता है
और प्रधानमंत्री के कद के आदमी की भी हवा निकाल देता है| यह होता है एक
राज्य की एथिकल आइडेंटिटी के प्रति उनके लोगों के अभिमान और स्वाभिमान का
जादू और उसकी ताकत|
और एक हम हरयाणवी हैं, हमारे ऊपर ऐसे लोग सीएम थोंपे गए हैं जो हरयाणवियों द्वारा बिना विरोध के सीएम स्वीकार करने पर भी, हमारा शुभचिंतक होने की बजाये हमें ही कंधे से नीचे मजबूत और ऊपर कमजोर कह के हम पर चुटकी लेते हैं|
कमांडेंट चौधरी हवा सिंह सांगवान जी और उनकी टीम जैसे आम हरयाणवी तो फिर भी लगातार सीएम की इस बात का विरोध करके अपना फर्ज निभा रहे हैं परन्तु बात तो तब बने जब सारे हरयाणवियों की हरयाणत जागे| या कम से कम हर कौम से एक-दो, एक-दो हवा सिंह सांगवान सीएम दवारा हरयाणवियों के इस अपमान पे उन पर गरजे| क्या सिर्फ जाट ही अकेले हरयाणवी हैं, आप हरयाणा में जन्मे और मूल रूप से इस मिटटी के बाशिंदे दलित-ओबीसी या जाट के अतरिक्त अन्य कृषक व् व्यापारिक जातियां हरयाणवी नहीं?
अब तो बिहार के लोग जो हमारे यहां नौकरी-रोजगार करने आते हैं उन्होंने भी इनको अपनी औकात बता दी, आप कब उठोगे? जे.पी. जी ने कहा था कि जिन्दा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करती|
क्या हरयाणा का दलित-ओबीसी-कृषक समाज बिहार के दलित-ओबीसी-कृषक समाज से भी कमजोर है या अपनी हरयाणवी आइडेंटिटी को ले के स्वाभिमानी नहीं है? या फिर जिन लोगों को बिहारी दलित-ओबीसी-कृषक समाज ने उखाड़ बाहर किया, उन्हीं लोगों द्वारा हरयाणा में फैलाया गया जाट बनाम नॉन-जाट का जहर आप पर इतना गहरा छाया हुआ है कि आपको ना तो यह जहर पिलाने वाले दिख रहे और ना ही इस जहर की आड़ में आपकी हरयाणत पर चुटकी लेने वाले हरयाणा सीएम जैसे गैर-हरयाणवी दिख रहे?
और हरयाणा के अहीर-यादव को तो लालू यादव जी से प्रेरणा ले के सीएम द्वारा हरयाणत के इस अपमान पर एक पल में खड़ा हो जाना चाहिए|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
और एक हम हरयाणवी हैं, हमारे ऊपर ऐसे लोग सीएम थोंपे गए हैं जो हरयाणवियों द्वारा बिना विरोध के सीएम स्वीकार करने पर भी, हमारा शुभचिंतक होने की बजाये हमें ही कंधे से नीचे मजबूत और ऊपर कमजोर कह के हम पर चुटकी लेते हैं|
कमांडेंट चौधरी हवा सिंह सांगवान जी और उनकी टीम जैसे आम हरयाणवी तो फिर भी लगातार सीएम की इस बात का विरोध करके अपना फर्ज निभा रहे हैं परन्तु बात तो तब बने जब सारे हरयाणवियों की हरयाणत जागे| या कम से कम हर कौम से एक-दो, एक-दो हवा सिंह सांगवान सीएम दवारा हरयाणवियों के इस अपमान पे उन पर गरजे| क्या सिर्फ जाट ही अकेले हरयाणवी हैं, आप हरयाणा में जन्मे और मूल रूप से इस मिटटी के बाशिंदे दलित-ओबीसी या जाट के अतरिक्त अन्य कृषक व् व्यापारिक जातियां हरयाणवी नहीं?
अब तो बिहार के लोग जो हमारे यहां नौकरी-रोजगार करने आते हैं उन्होंने भी इनको अपनी औकात बता दी, आप कब उठोगे? जे.पी. जी ने कहा था कि जिन्दा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करती|
क्या हरयाणा का दलित-ओबीसी-कृषक समाज बिहार के दलित-ओबीसी-कृषक समाज से भी कमजोर है या अपनी हरयाणवी आइडेंटिटी को ले के स्वाभिमानी नहीं है? या फिर जिन लोगों को बिहारी दलित-ओबीसी-कृषक समाज ने उखाड़ बाहर किया, उन्हीं लोगों द्वारा हरयाणा में फैलाया गया जाट बनाम नॉन-जाट का जहर आप पर इतना गहरा छाया हुआ है कि आपको ना तो यह जहर पिलाने वाले दिख रहे और ना ही इस जहर की आड़ में आपकी हरयाणत पर चुटकी लेने वाले हरयाणा सीएम जैसे गैर-हरयाणवी दिख रहे?
और हरयाणा के अहीर-यादव को तो लालू यादव जी से प्रेरणा ले के सीएम द्वारा हरयाणत के इस अपमान पर एक पल में खड़ा हो जाना चाहिए|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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