Monday 23 November 2015

जरूर दूसरा पक्ष नॉन-जाट रहा होगा, इसलिए जाति नहीं बताई!

वर्ना मोटे-मोटे अक्षरों में कुछ इस तरह का लिखा आता कि, "दबंग जाटों ने दलित को खिलाया गोबर!"

दलित खुद फैसला कर लें और समझें अब इस वाले राज को| जाट सीएम होता था तो भी अगर जाट से झगड़ा हुआ तो जाट के नाम के साथ उसकी जाति जरूर आती थी| और अब देख लो अब तो आप लोगों को यह भी पता नहीं लगने दिया जाता कि कौनसी जाति वाले ने दलित उत्पीड़न किया|

तो क्या था यह मीडिया और दलित हमदर्दी का खेल? सिर्फ और सिर्फ जाटों को आपका नंबर वन दुश्मन दिखाकर, जाट-दलित के वोट तोड़कर, दलित का वोट लेकर सत्ता हासिल करना और फिर ऐसे उत्पीड़न हों दलितों पर तो उत्पीड़न करने वाले की जाति का नाम तक अखबारों में ना आने देना|

मानता हूँ जाटों-दलितों में मनमुटाव होते आये हैं, परन्तु क्या इनसे भी बुरे तरीके से कि आज तो दलित उत्पीड़न करने वाले की जाति अगर जाट ना हो तो सबको सिर्फ "दबंग बनाम दलित" से ढांप दे रहे हैं|


फूल मलिक

 

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