क्यों क्या बाबा को मारने को नहीं दौड़ोगे? या गरीब की बहु सबकी भाभी की
तरह तुमको निशाने पर सिर्फ वही लोग लेने आते हैं जो मानवीय हों परन्तु गरीब
हों और ऐसी शादियों को लव-जिहाद का नाम देने की बजाय सही ठहराते हों?
क्या बाबा को सेक्युलर नहीं बोलोगे? क्या बाबा को देशद्रोही नहीं बोलोगे? क्या बाबा को हिन्दू विरोधी नहीं बोलोगे? क्या बाबा को पाकिस्तान नहीं भेजोगे?
फिर पूछते हैं कि देश की सहिषुणता में क्या गड़बड़ी है, सब ठीक तो है| हाँ भाई जिनके प्रेरणा पुरुष पल में पाला पलटने वाले हों, उनकी अपनी कटिबद्धता का क्या ठोर-ठिकाना|
आशा है कि भगतों में जो भी लॉजिकल होगा, उनको समझ आ रहा होगा कि तुमको जिन मुद्दों पे घुट्टी पिला के आतंक की मशीन में परिवर्तित जो करते हैं वो खुद अपनी विचारधारा को ले के कितने विचलित होते हैं|
वैसे क्या आमिर और किरण फाइव स्टार कपल ना हो के किसी गली-चौराहे पे तुम्हारे बीच रहने वाले आम इंसान होते तो अब तक तो तुमने अपने इन्हीं आकाओं को खुश करने के लिए उनकी बलि ना ले ली होती? तो अब किसकी लोगे, दोनों तरफ फाइव-स्टार मामला है; इस मैरिज को सहनशलीता का प्रतीक बताने वाले की या इस कपल की?
वास्तविकता तो यह है कि परम्परागत सेक्युलर और इन नए फूटे कट्टरों में फर्क सिर्फ इतना है कि परम्परागत सेक्युलर सिर्फ जुबान से ही नहीं कर्म से भी सेक्युलर हैं और यह नए-नए फूटे कट्टर सिर्फ जुबान से कटटर हैं, वरना रियल सिचुएशन फेस करने पे यह भी सेक्युलर ही हैं| और बाबा बामदेव ओह नो सॉरी रामदेव का आज का बयान इसको प्रमाणित करता है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
क्या बाबा को सेक्युलर नहीं बोलोगे? क्या बाबा को देशद्रोही नहीं बोलोगे? क्या बाबा को हिन्दू विरोधी नहीं बोलोगे? क्या बाबा को पाकिस्तान नहीं भेजोगे?
फिर पूछते हैं कि देश की सहिषुणता में क्या गड़बड़ी है, सब ठीक तो है| हाँ भाई जिनके प्रेरणा पुरुष पल में पाला पलटने वाले हों, उनकी अपनी कटिबद्धता का क्या ठोर-ठिकाना|
आशा है कि भगतों में जो भी लॉजिकल होगा, उनको समझ आ रहा होगा कि तुमको जिन मुद्दों पे घुट्टी पिला के आतंक की मशीन में परिवर्तित जो करते हैं वो खुद अपनी विचारधारा को ले के कितने विचलित होते हैं|
वैसे क्या आमिर और किरण फाइव स्टार कपल ना हो के किसी गली-चौराहे पे तुम्हारे बीच रहने वाले आम इंसान होते तो अब तक तो तुमने अपने इन्हीं आकाओं को खुश करने के लिए उनकी बलि ना ले ली होती? तो अब किसकी लोगे, दोनों तरफ फाइव-स्टार मामला है; इस मैरिज को सहनशलीता का प्रतीक बताने वाले की या इस कपल की?
वास्तविकता तो यह है कि परम्परागत सेक्युलर और इन नए फूटे कट्टरों में फर्क सिर्फ इतना है कि परम्परागत सेक्युलर सिर्फ जुबान से ही नहीं कर्म से भी सेक्युलर हैं और यह नए-नए फूटे कट्टर सिर्फ जुबान से कटटर हैं, वरना रियल सिचुएशन फेस करने पे यह भी सेक्युलर ही हैं| और बाबा बामदेव ओह नो सॉरी रामदेव का आज का बयान इसको प्रमाणित करता है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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