जब सुषमा
बुआ पाकिस्तान गई तो मुझे फील आई थी कि वहाँ क्या "भात न्योंतने" गई है|
परन्तु यहां तो एक और उल्ट बात हो गई, यह लोग तो भाति (नवाज की बेटी की
शादी में मोदी) भी खुद ही बन के चले गए (और बर्थडे-विश भी)| अजीब खिचड़ी
मामला है इन भगत लोगों का भी| मतलब मौका भी ऐसा भावुक चुना कि अगर वो
अकस्मात स्वागत से मना भी कर देते तो वही बुरे थपते|
हमारी संस्कृति में जिसकी दौड़ आपके यहां शादी-ब्याह में शमिल होने तक होवे वो आपका सबसे करीबी या रिश्तेदार माना जाता है| वाह रे भगतो, बेपेंदी ले लोटो, खड़ी दोपहरी पोल फटने पे कुछ लज्जा तो जरूर आ रही होगी| जिनको दिन-रात कोसते नहीं थकते उन्हीं के बर्थडे-विश और ब्याह-शादियों तक में बधाईयाँ दी जा रही हैं| पिछले वालों को जो लव-लेटर ना लिखने के तंज कसते थे, वो सीधे भात भर-भर आ रहे हैं| निकल गई फूंक सारी राष्ट्रभक्ति की?
वैसे तो पाकिस्तान से इनको और इनसे पाकिस्तान को नफरत इस स्तर की, कि कहवें हम जो हारे (बिहार चुनाव) तो पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे, और अगले ही पल खुद ही वहाँ भात के थाल लिए खड़े मिलते हैं| थाल के बदले हेमराज का सर भी नहीं लाये? वाह रे नौटंकियों क्या हैलुसिनेशन है, तुमने तो भांड भी पीछे छोड़ दिए स्वांग रचने में|
वैसे एक राज की बात बता दूँ, राजनीति में अकस्मात और एकाएक कुछ नहीं होता, सब कुछ बहुत पहले से स्क्रिप्टड होता है| बस फर्क यह है कि यहां स्क्रिप्ट लिखने वाले राजनेता या बिजनेसमैन होते हैं| भारत में पहले से घोषणा करके जाते, तो जनता इनका मोर बना देती| इसलिए जनता को बोलने का मौका ही नहीं दिया और भगतों को भी कम सफाई देनी पड़ी|
और भगत इस मामले को ढंकने के चक्कर में ऐसे हवाबाजी मार रहे हैं जैसे गदर का तारा वहाँ से शकीना ले आया हो|
बाकी भारत में राजनीती-वाजनीति कुछ है नहीं, कोरा बिज़नेस है बिज़नेस| पता नहीं जी न्यूज़ (Z-News) वाले के दिल पे क्या बीती होगी, जब पाया होगा कि उसका घोर विरोधी ही इस ड्रामे का स्क्रिप्ट राइटर था| वैसे चिकने घड़ों पे गुजरा-वुजरा कुछ नहीं करती, इनपे हाथ ठहरे तो इनका स्टैंड ठहरे| हाँ, इस एपिसोड की वजह से भगत लोगों की चक-चक से कांग्रेसी थोड़ी राहत ले सकते हैं| वो क्यों, आप समझ ही गए होंगे?
फूल मलिक
हमारी संस्कृति में जिसकी दौड़ आपके यहां शादी-ब्याह में शमिल होने तक होवे वो आपका सबसे करीबी या रिश्तेदार माना जाता है| वाह रे भगतो, बेपेंदी ले लोटो, खड़ी दोपहरी पोल फटने पे कुछ लज्जा तो जरूर आ रही होगी| जिनको दिन-रात कोसते नहीं थकते उन्हीं के बर्थडे-विश और ब्याह-शादियों तक में बधाईयाँ दी जा रही हैं| पिछले वालों को जो लव-लेटर ना लिखने के तंज कसते थे, वो सीधे भात भर-भर आ रहे हैं| निकल गई फूंक सारी राष्ट्रभक्ति की?
वैसे तो पाकिस्तान से इनको और इनसे पाकिस्तान को नफरत इस स्तर की, कि कहवें हम जो हारे (बिहार चुनाव) तो पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे, और अगले ही पल खुद ही वहाँ भात के थाल लिए खड़े मिलते हैं| थाल के बदले हेमराज का सर भी नहीं लाये? वाह रे नौटंकियों क्या हैलुसिनेशन है, तुमने तो भांड भी पीछे छोड़ दिए स्वांग रचने में|
वैसे एक राज की बात बता दूँ, राजनीति में अकस्मात और एकाएक कुछ नहीं होता, सब कुछ बहुत पहले से स्क्रिप्टड होता है| बस फर्क यह है कि यहां स्क्रिप्ट लिखने वाले राजनेता या बिजनेसमैन होते हैं| भारत में पहले से घोषणा करके जाते, तो जनता इनका मोर बना देती| इसलिए जनता को बोलने का मौका ही नहीं दिया और भगतों को भी कम सफाई देनी पड़ी|
और भगत इस मामले को ढंकने के चक्कर में ऐसे हवाबाजी मार रहे हैं जैसे गदर का तारा वहाँ से शकीना ले आया हो|
बाकी भारत में राजनीती-वाजनीति कुछ है नहीं, कोरा बिज़नेस है बिज़नेस| पता नहीं जी न्यूज़ (Z-News) वाले के दिल पे क्या बीती होगी, जब पाया होगा कि उसका घोर विरोधी ही इस ड्रामे का स्क्रिप्ट राइटर था| वैसे चिकने घड़ों पे गुजरा-वुजरा कुछ नहीं करती, इनपे हाथ ठहरे तो इनका स्टैंड ठहरे| हाँ, इस एपिसोड की वजह से भगत लोगों की चक-चक से कांग्रेसी थोड़ी राहत ले सकते हैं| वो क्यों, आप समझ ही गए होंगे?
फूल मलिक
No comments:
Post a Comment