पृथ्वी पर नहीं हुए ऐसे सूरमे-मसीहा दूजे कहीं और! दीन-हीन सेवा,
धर्म-देशभक्ति, मानवता के सिरमौर!!
इन 17 दिनों (23 दिसंबर से 9 जनवरी) की अल्पावधि में सिलसिलेवार जुड़ी यह ऐतिहासिक तारीखें, मुझे अहसास दिलाती हैं कि जैसे खापरात्रे और जाटरात्रे इन्हीं दिनों आते हों| इस पर वैसे तो सर्वसमाज से क्योंकि ये हुतात्मा सर्वसमाज के थे फिर भी जाट-समाज से अनुरोध करूँगा कि इन दिनों के दौरान नवरात्रे, रोजे वालों की तरह क्या हम खापरात्रे या जाटरात्रे नहीं मना सकते? जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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