एक मित्र ने कहा अपनी ऊर्जा आरएसएस जैसे राष्ट्रवादियों के साथ क्यों नहीं लगाते, मैंने कुछ यूँ जवाब दिया:
1) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि महाराजा सूरजमल, महाराजा रणजीत सिंह, राजा नाहर सिंह, महाराजा जवाहर सिंह, महाराजा हर्षवर्धन पे भी ऐसे ही राष्ट्रीय स्तर के उत्सव मनावे, जैसे औरों पे मनाती है; फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
2) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि "गॉड गोकुला" को मुग़लकाल का 'पहला हिन्दू धर्म रक्षक' घोषित करे, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
3) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि "शहीद-ए-आज़म भगत सिंह" को अपनी मोदी सरकार से देशभक्त घोषित करवा दे और चंडीगढ़ एयरपोर्ट के पहले से घोषित नामकरण के साथ छेड़खानी ना करे, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
4) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि हरयाणा से 'जाट बनाम नॉन-जाट के अखाड़े' उठवा दे, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
5) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि राजा महेंद्र प्रताप, सर छोटूराम, चौधरी चरण सिंह, सरदार भगत सिंह को अपनी सरकार से भारत-रत्न से नवजवाये, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
6) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि तैमूरलंग, गजनवी, गौरी, लोधी आदि से लोहा लेने वाले यौद्धेयों को अपने मंच से सम्मान और पहचान देवें, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
निचोड़ यही है कि या तो राष्ट्रवादिता का ढिंढोरा ना पीटें और पीटें तो वीरता और देशभक्ति में काटछांट ना करें। सीधी सी बात है जो संगठन मेरे पुरखों के बलिदान और देशभक्ति को सम्मान और स्थान नहीं दे सकता, उनके साथ मेरा क्या काम?
विशेष: यह ऊपर जितने भी नाम गिनवायें, इन पर वैसे तो आरएसएस पहले से ही जानती है फिर भी कहे कि इनका योगदान साबित करो, तो वो पहले यह साबित करें कि जिनको आप "भारत रत्न" से नवजवाते हो, ये उनसे कम कैसे?
Reactions1:
मेरी, "फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा" पोस्ट पर JAT HISTORY AND VIRASAT (जाट इतिहास और विरासत ) ग्रुप में आदित्य चौधरी लिखते हैं, "कोई एक मुल्ला रोता है तो सब मुल्ले एक साथ हो जाते हैं, यहां हिन्दुओं में देखो, आपस में बंटे हुए हैं, ...... मारा ले बहन ....... जिसने ये पोस्ट की है, आज ना गांधी काम आएगा ना भगत, कब तक बहन के। ..... पास्ट से। .... मराते रहोगे?"
ऐसा है आदित्य, "पास्ट से इतनी ही नफरत है है तो गीता-ग्रन्थ-पुराण क्यों ढो रहा है, उनको भी छोड़ दे? और जो इतिहास तुझे तथाकथित राष्ट्रवादी बांचते और पढ़ाते हैं, वह भी पास्ट ही है, उसको भी मिटा दे| और रही रोने की बात तुझे अंधभक्ति के चश्मे से ना दीखते तो क्या जाट रोते हुए किसी को नहीं दीखते? और सुन यह जाट बनाम नॉन-जाट के अखाड़े सजा के रुलाने वाले भी मुल्ले नहीं, तेरे तथाकथित हिन्दू ही हैं? जा करवा जाटों के रोने पे तमाम हिन्दू को एक, हो जाऊंगा मैं भी तेरे साथ? वर्ना यह कच्छाधारियों का ज्ञान रख अपनी जेब में|"
Reaction2:
मेरी "फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा!" पोस्ट पर एक 'माथुर' भाई कह रहा कि, "भाई अगर RSS ना होती ना तो अब तक देश पर मुसलमानों का कब्ज़ा हो चुका होता और तुम उनके घर में लैट्रिन साफ कर रहे होते|"
माथुर जवाब यूँ है, "लैट्रिन साफ़ करने का तो पता नहीं, परन्तु मुज़फरनगर के दंगे में उलझवा के तुमने जाट के खेतों के मजदूर जरूर छिनवा दिए|"
अच्छा तो यह वो "लैट्रिन वाला" जुमला है जिसके कारण तुम लोग जाटों को डराते हो? और कमाल है जाट डर भी जाते हैं, नहीं जरूर साथ में हिंदुत्व का तड़का भी लगाते होंगे| और पागल जाट, जब आरएसएस लोग के यह "लैट्रिन" वाला जुमला कहके डराते हैं तो इतना भी नहीं समझते कि, "इन आरएसएस वालों के ख्यालों में भयभीत होने वाले नेचर की वजह से, जो मुस्लिम भाई हमारे खेतों में पल-पल का साथी था, इनकी वजह से आज पश्चिमी यूपी में 1000 रूपये में भी मजदूर टोह्या ना मिल रहा| कोई पूछने वाला हो इनसे कि जाट के खेत में जा के मजदूरी करके आवें हैं क्या आरएसएस वाले, बदले में? आये लैट्रिन साफ़ करवाने का ख्याली भय दीखाने वाले| तुम्हें भय लागे है तो क्या सबको लागे है? जो जब चाहो पीट दो "पापी के मन में डूम का ढिंढोरा!"
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
1) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि महाराजा सूरजमल, महाराजा रणजीत सिंह, राजा नाहर सिंह, महाराजा जवाहर सिंह, महाराजा हर्षवर्धन पे भी ऐसे ही राष्ट्रीय स्तर के उत्सव मनावे, जैसे औरों पे मनाती है; फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
2) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि "गॉड गोकुला" को मुग़लकाल का 'पहला हिन्दू धर्म रक्षक' घोषित करे, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
3) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि "शहीद-ए-आज़म भगत सिंह" को अपनी मोदी सरकार से देशभक्त घोषित करवा दे और चंडीगढ़ एयरपोर्ट के पहले से घोषित नामकरण के साथ छेड़खानी ना करे, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
4) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि हरयाणा से 'जाट बनाम नॉन-जाट के अखाड़े' उठवा दे, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
5) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि राजा महेंद्र प्रताप, सर छोटूराम, चौधरी चरण सिंह, सरदार भगत सिंह को अपनी सरकार से भारत-रत्न से नवजवाये, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
6) जाओ पहले आरएसएस को बोलो कि तैमूरलंग, गजनवी, गौरी, लोधी आदि से लोहा लेने वाले यौद्धेयों को अपने मंच से सम्मान और पहचान देवें, फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा।
निचोड़ यही है कि या तो राष्ट्रवादिता का ढिंढोरा ना पीटें और पीटें तो वीरता और देशभक्ति में काटछांट ना करें। सीधी सी बात है जो संगठन मेरे पुरखों के बलिदान और देशभक्ति को सम्मान और स्थान नहीं दे सकता, उनके साथ मेरा क्या काम?
विशेष: यह ऊपर जितने भी नाम गिनवायें, इन पर वैसे तो आरएसएस पहले से ही जानती है फिर भी कहे कि इनका योगदान साबित करो, तो वो पहले यह साबित करें कि जिनको आप "भारत रत्न" से नवजवाते हो, ये उनसे कम कैसे?
Reactions1:
मेरी, "फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा" पोस्ट पर JAT HISTORY AND VIRASAT (जाट इतिहास और विरासत ) ग्रुप में आदित्य चौधरी लिखते हैं, "कोई एक मुल्ला रोता है तो सब मुल्ले एक साथ हो जाते हैं, यहां हिन्दुओं में देखो, आपस में बंटे हुए हैं, ...... मारा ले बहन ....... जिसने ये पोस्ट की है, आज ना गांधी काम आएगा ना भगत, कब तक बहन के। ..... पास्ट से। .... मराते रहोगे?"
ऐसा है आदित्य, "पास्ट से इतनी ही नफरत है है तो गीता-ग्रन्थ-पुराण क्यों ढो रहा है, उनको भी छोड़ दे? और जो इतिहास तुझे तथाकथित राष्ट्रवादी बांचते और पढ़ाते हैं, वह भी पास्ट ही है, उसको भी मिटा दे| और रही रोने की बात तुझे अंधभक्ति के चश्मे से ना दीखते तो क्या जाट रोते हुए किसी को नहीं दीखते? और सुन यह जाट बनाम नॉन-जाट के अखाड़े सजा के रुलाने वाले भी मुल्ले नहीं, तेरे तथाकथित हिन्दू ही हैं? जा करवा जाटों के रोने पे तमाम हिन्दू को एक, हो जाऊंगा मैं भी तेरे साथ? वर्ना यह कच्छाधारियों का ज्ञान रख अपनी जेब में|"
Reaction2:
मेरी "फिर मैं आरएसएस ज्वाइन कर लूंगा!" पोस्ट पर एक 'माथुर' भाई कह रहा कि, "भाई अगर RSS ना होती ना तो अब तक देश पर मुसलमानों का कब्ज़ा हो चुका होता और तुम उनके घर में लैट्रिन साफ कर रहे होते|"
माथुर जवाब यूँ है, "लैट्रिन साफ़ करने का तो पता नहीं, परन्तु मुज़फरनगर के दंगे में उलझवा के तुमने जाट के खेतों के मजदूर जरूर छिनवा दिए|"
अच्छा तो यह वो "लैट्रिन वाला" जुमला है जिसके कारण तुम लोग जाटों को डराते हो? और कमाल है जाट डर भी जाते हैं, नहीं जरूर साथ में हिंदुत्व का तड़का भी लगाते होंगे| और पागल जाट, जब आरएसएस लोग के यह "लैट्रिन" वाला जुमला कहके डराते हैं तो इतना भी नहीं समझते कि, "इन आरएसएस वालों के ख्यालों में भयभीत होने वाले नेचर की वजह से, जो मुस्लिम भाई हमारे खेतों में पल-पल का साथी था, इनकी वजह से आज पश्चिमी यूपी में 1000 रूपये में भी मजदूर टोह्या ना मिल रहा| कोई पूछने वाला हो इनसे कि जाट के खेत में जा के मजदूरी करके आवें हैं क्या आरएसएस वाले, बदले में? आये लैट्रिन साफ़ करवाने का ख्याली भय दीखाने वाले| तुम्हें भय लागे है तो क्या सबको लागे है? जो जब चाहो पीट दो "पापी के मन में डूम का ढिंढोरा!"
तुम लोगों ने जाट (सब धर्म के) का आर्थिक तंत्र हिलाना था सो हिला दिया| परन्तु तुम्हें अब भी चैन नहीं|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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