Monday, 4 January 2016

पालम 360 खाप के लाडो-सराय-12 तपा के मुस्लिम प्रधान से मिले कुछ रोचक तथ्य!

सबसे बड़ा रोचक तथ्य तो मेरे लिए यही है कि कोई मुस्लिम भी खाप-तंत्र में कई जमानों से प्रधान पद पर है|

दिल्ली की पालम 360 खाप के 32 तपों में एक तपा है लाडो-सराय-12| इसके प्रधान हैं इस तपे में पड़ने वाले गाँव हौजरानी के मियां इज़राइल-हाजी-मोहम्मद| इनके पिता जी साहिब सिंह वर्मा जी से खाप-चौधर की पगड़ी ग्रहण कर चुके हैं और स्वंय खापों ने कई मौकों पर इनको खाप-चौधर की पगड़ी बांधी है| इजराइल जी बताते हैं कि सन 47 में जब भारत के टुकड़े हुए तो खाप-व्यवस्था के कारण तमाम स्थानीय निवासियों का इतना गूढ भाईचारा था कि जब मुस्लिम यहां से जाने लगे तो बिलख-बिलख के रोये थे| उनके ही साथ बैठे 82 वर्षीय ब्राह्मण वृद्ध बताते हैं कि कुछ-एक तो वापिस भी आ गए थे|

दोनों कहते हैं कि मुस्लिम लीग और आरएसएस जैसे कट्टरवादियों ने इस देश को सिवाय दंगे और कटटरता के जहर के कुछ भी नहीं दिया| यह दोनों ही संगठन सिर्फ युद्ध विराम या शांति के वक्त लोगों की शांति भंग करने के समूह रहे हैं, वर्ना देख लो अभी पठानकोट का आतंक हमला हुआ तो इनकी विचारधारा वाला जो एक भी चुसक रहा हो तो| खुद पीएम तक "योग टीचर" बनाने का संदेश देते दिख रहे हैं और पठानकोट पर अटैक करने वालों को "पाकिस्तानी" ना कह के "मानवता के दुश्मन" मात्र बता रहे हैं| देखा जब असलियत सामने आई तो लव-लेटर की जगह मुंहतोड़ जवाब देने के बोल भी उड़ गए हवा में और एक के बदले दस सर लाने वाले जुमले भी छू-मंत्र| जैसे किसी ने इनकी तुंगभद्रा पे लाठी दे मारी हो, ऐसे झन्न हुए बैठे हैं सब|

खाप व्यवस्था के कारण दोनों वृद्धों की आजतक कायम जुगलबंदी को देखकर आत्मा पुलकित हो गई| यह किस्सा इसलिए साझा करना जरूरी समझा ताकि आज का युवा खासकर जो खाप विचारधारा में विश्वास रखता है वो समझे कि हम लोग धर्म और जाति की बेड़ियां मानने वाली विचारधारा के लोग नहीं हैं| हम वो लोग हैं जिनके बारे सर छोटूराम कहा करते थे कि "धर्म अलग-अलग हो सकते हैं, परन्तु खून अलग नहीं हो सकता|"  और खापों में गैर-जाट तो क्या, गैर-हिन्दू तक आज भी प्रधान पदों पर आसीन हैं| इससे यह मिथ्या प्रचार भी धत्ता हुआ कि खापें सिर्फ जाटों की होती हैं|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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