Sunday, 3 January 2016

युवा जाट और जाट समाज दोनों में बदलाव की बयार बह चली है!

अबकी बार सिरोहा, मथुरा "लार्ड (गॉड/भगवान) गोकुला" की जन्मनगरी में उनके 346वें बलिदान दिवस पर इस वीडियो में सुनाई पड़ रहे यह उद्घोष हुए, अगली बार इसका और फैलाव होगा|

अक्सर दूसरों की खुशियों और हस्तियों के जन्मोतस्वों में शरीक हो उनको ही अपना मानने वाले जाट ने आखिर अपने खुद के वास्तविक अवतारों की सुध लेनी शुरू तो की| कौन कह रहा है कि जाट कौम जाट बनाम नॉन-जाट के बनाये जाल में फंस कर मायूस हो बैठी है| उत्सव मनाओं कि इसी जाट बनाम नॉन-जाट के जहर की वजह से हमेशा दूसरों को अपनों पर ज्यादा तरजीह देने वाले जाट ने अपनों की ओर मुड़ के देखा तो| वर्ना 345 बरस बीत गए थे, कभी निकली थी हमारे लार्ड गोकुला की झांकी?

वो भी तब जब बहुतेरे राष्टवादी से ले हिंदूवादी संगठन तो हिन्दू धर्म-रक्षक जाटों के युगपुरुषों को तो छू भी नहीं रहे| गैर-जाट स्वर्ण हिन्दुओं की झांकियां, जन्मतिथियाँ व् मरणतिथियाँ जरूर चाव से निकालते और मनाते हैं| शायद वो राजी हो रहे हैं कि वो जाट को जाट बनाम नॉन-जाट का जहर फैला समाज से छींटक रहे हैं| परन्तु वो नादाँ यह नहीं जानते कि उनके प्रयासों की वजह से ही जाट अपने मसीहाओं की पूछ और प्रमोशन करनी सीख रहा है| अपनी जड़ों से जुड़ रहा है| और जो जड़ों से जुड़ा, समझो उससे हर कोई जुड़ा|

यही बदलाव हम लाना चाहते हैं अपने जाट समाज में, कि पहले अपनी सुध लो फिर दूसरों को सम्भालना, वर्ना दूसरों का ठेका पहले उठाओगे तो लोग तुम्हारा ही ठिकाना उठा देंगे|

इस भव्य आयोजन के लिए आदर्श जाटमहासभा मथुरा को धन्यवाद| प्रिय भ्राता चौधरी पंकज सिंह को यह वीडियो भेजने के लिए खासकर धन्यवाद|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

 

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