Friday, 15 January 2016

राजकुमार सैनी बड़े बोल मत बोलिए!

याद करिये वो जमाना जब महात्मा ज्योतिबा फुले को माली (सैनी) कम्युनिटी को फंडियों के चंगुल और शूद्र उत्पीड़न से बचाने हेतु आवाज उठानी पड़ी थी| इतनी जल्दी भूल गए क्या सैनी समाज की दुर्दशा? ऐसा क्या दे दिया है आपको मंडी-फंडी ने जो आज उन्हीं परम्परागत दुश्मनों की शय पर एक ऐसी जाति के खिलाफ जहर उगलते हो, जिनके सर छोटूराम की वजह से आपकी कम्युनिटी को किसानी स्टेटस मिला था और जमींदार कहलाये थे? लाहौर कोर्ट के दस्तावेज निकलवा के पढ़ लो जब अंग्रेजों ने ब्राह्मणों-मालियों-धोबियों-खातियों को किसानी स्टेटस देने से मना कर दिया था तो इस जाट के जाम ने दिन के दिन लाहौर विधानसभा से बिल पास करवाया था और तब आपके समाजों को जमीनें मिली थी|

मैं यह तो नहीं कहता कि जाट कोई खुदा हैं, बहुत सी खामियां हैं इस समाज में भी परन्तु याद रखना जिस दिन जाट रुपी दिवार बीच से हट गई, उस दिन मंडी-फंडी रही-सही खाल भी बेच खाएंगे आपके समाज की| ना यकीन होता हो तो एक बार महाराष्ट्र घूम के देख आओ, कि वहाँ आज भी क्या दशा और स्टेटस बना के रखते हैं फंडी लोग आपके समाज का|

आप जैसे लोगों की वजह से ही वो कहावतें चलती हैं कि लम्हों ने खता की और सदियों से सजा पाई| मत खेलिए इनके हाथों में कठपुतली बनके, वर्ना किसान कौम की बर्बादी की जब दास्ताँ लिखी जाएगी तो आपका नाम सबसे ऊपरी नामों में आएगा|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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