Saturday, 16 January 2016

आमिर खान की दंगल के विरोध से आरएसएस, एक पंथ दो काज साध रही है!

वैसे आमिर खान भी बड़ा राजी हो के मंडी-फंडी के प्रोपेगैंडों पर चलते हुए कभी सत्यमेव जयते में खापों को बदनाम करता था तो कभी जाटों को असभ्य बोलता था| आज जब इससे मतलब सिद्द गया तो देखो मंडी-फंडी अब कैसे एक्सपोज करने पे लगे हुए हैं इसको| चलो इस बहाने आमिर खान को अहसास तो हो गया होगा कि समाज के असली असभ्य लोग कौन हैं|

मंडी-फंडी आमिर खान की 'दंगल' फिल्म तक का बहिष्कार करवाने जा रहे हैं और ऐसा करते हुए वो यह भी नहीं सोच रहे कि कुछ भी हो आखिर इस फिल्म के जरिये चार हिन्दू जाट लड़कियों और उनके पिता के संघर्ष व् सफलता की गौरवगाथा को पर्दे पर लाया जा रहा है| इसलिए तुम्हें विरोध करना है तो इसकी किसी और फिल्म का कर लेना| एक तो वैसे ही हरयाणवियों और जाटों पर कम सकारात्मक फ़िल्में बनती हैं ऊपर से जो बढ़िया ढंग की आएगी, उसका यह कच्छाधारी विरोध करवाएंगे|

यानि मुस्लिमों का भी विरोध, हरयाणवियों और जाटों का भी विरोध, हो गए एक पंथ दो काज|

वर्ना आमिर खान का ब्यान इतना बड़ा तो नहीं था जितना बड़ा ब्यान नरेंद्र मोदी ने विदेश में 'भारत में उनका जन्म लेना पिछले कर्मों का दुष्परिणाम" या ऋषि कपूर का यह कहना कि "मैं खाता हूँ बीफ, रोक लो मुझे" थे? और वैसे भी यह लोग आमिर खान की बीवी जिसका यह बयान था उसपे तो कुछ नहीं बोल रहे? हालाँकि अच्छा है आमिर की अक्ल ठिकाने आ जाएगी इससे, कि मंडी-फंडी खुद के सिवाय किसी के नहीं होते और वह शायद आगे ऐसे काम ना करे|

भाई मैं तो यह फिल्म जरूर देखूंगा और इसका प्रचार भी करूँगा, फिर किसी कच्छे वाले को मेरे खिलाफ मोर्चे निकालने हों या पुलिस में केस करना हो तो, करता फिरे|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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