अगर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक परिस्थितियाँ आपको अनुमति नहीं देतीं तो उनसे मुक्ति पाने हेतु लड़िये। और अगर वो अनुमति देती हैं तो अपने दिल और दिमाग को मत झगड़ने दीजिये। दिल को स्वतंत्रता देने का मतलब है अपने ही हाथों दिमाग की बैंड बजवाना। दिल कुत्ते के स्वभाव का होता है, डांट-फटकार के रखो तो दुम हिलाता हुआ आपको फॉलो करेगा और अगर सर चढ़ाओ तो अवमानना व् मनमानी करने के स्तर तक चला जायेगा। परन्तु इसका मतलब यह भी नहीं कि दिमाग को ही सारे अधिकार दे दिए जाएँ। दिमाग के ऊपर भी आपकी चेतना और अंतरात्मा का चाबुक होना जरूरी है।
सामाजिक रिश्तों में उन लोगों से बच के चलिए जो आपको बचपन में बड़े दिलवाला बोलते हैं| बचपन में किसी को बड़े दिलवाला बोलने का मतलब है कि वो रिश्तेदार दुनिया का सबसे बड़ा घाघ है जो आपको बड़े-दिलवाला होने की कंपनसेशन दे के, उसके द्वारा आपको दिए जा रहे दुःख या दिग्भर्मित पथ को छुपाना चाहता है। ऐसे लोग बाद में आपके मान-सम्मान का मर्दन करने या कहो आपके स्वाभिमान का जनाजा निकालने वाले सर्वप्रथम होते हैं और आपको आत्मसम्मान से रहित बना के छोड़ते हैं।
इसमें सामाजिक पहलु के हिसाब से एक पहलु और भी है और वो है फिल्मों में जो दिल के ड्रामे दिखाए जाते हैं वो। उन ड्रामों को ही सारा संसार या जीवनगाथा मत समझिएगा। फिल्मों वाले लोग ऐसी फिल्मों के जरिये आपको लिटरल वे (literal way) में स्पॉइल (spoil) करने के अलावा कुछ नहीं करते। दिल के ड्रामों वाली फ़िल्में जिनमें दिल को ही खुदा बना के परोसा जाता है ऐसी फ़िल्में उस श्रेणी में चली जाती हैं जहां मनोरंजन का दूसरा नाम आपको स्पॉइल करना होता है।
फूल मलिक
सामाजिक रिश्तों में उन लोगों से बच के चलिए जो आपको बचपन में बड़े दिलवाला बोलते हैं| बचपन में किसी को बड़े दिलवाला बोलने का मतलब है कि वो रिश्तेदार दुनिया का सबसे बड़ा घाघ है जो आपको बड़े-दिलवाला होने की कंपनसेशन दे के, उसके द्वारा आपको दिए जा रहे दुःख या दिग्भर्मित पथ को छुपाना चाहता है। ऐसे लोग बाद में आपके मान-सम्मान का मर्दन करने या कहो आपके स्वाभिमान का जनाजा निकालने वाले सर्वप्रथम होते हैं और आपको आत्मसम्मान से रहित बना के छोड़ते हैं।
इसमें सामाजिक पहलु के हिसाब से एक पहलु और भी है और वो है फिल्मों में जो दिल के ड्रामे दिखाए जाते हैं वो। उन ड्रामों को ही सारा संसार या जीवनगाथा मत समझिएगा। फिल्मों वाले लोग ऐसी फिल्मों के जरिये आपको लिटरल वे (literal way) में स्पॉइल (spoil) करने के अलावा कुछ नहीं करते। दिल के ड्रामों वाली फ़िल्में जिनमें दिल को ही खुदा बना के परोसा जाता है ऐसी फ़िल्में उस श्रेणी में चली जाती हैं जहां मनोरंजन का दूसरा नाम आपको स्पॉइल करना होता है।
फूल मलिक
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