"राष्ट्रगान गाने से जिस किसी को चोट पहुंचे, क्या ऐसे समुदायों को देश में रहने का हक़ है" का स्लोगन कम से कम वो लोग तो ना ही उठायें जिनके संघ मुख्यालय में राष्ट्रध्वज फहराने हेतु भी कोर्ट से आदेश दिलवा के उनकी अवमानना को मानना में तब्दील करवाना पड़ता है| मेरे जैसा सेक्युलर तो यह सवाल उठा भी ले, परन्तु यह दोनों ही अवमानना करने वाले (एक राष्ट्रगान को ले के तो एक राष्ट्रवध्वज को ले के) जब एक दूसरे पर यही सवाल उठाते हैं तो समझ लो यह अपनी कमीज दूसरे से ज्यादा उजली दिखाने के चक्र में हैं, बाकी राष्ट्र-चिन्हों की भावनाओं के बागी दोनों हैं|
राष्ट्रगान वालों को कोसने का रोना तब तक रुदाली-विलाप ही कहलायेगा जब तक उनपर उँगलियाँ उठाने वाले खुद राष्ट्रवध्वज हाथ में उठा के यह बात नहीं कहते| - फूल मलिक
राष्ट्रगान वालों को कोसने का रोना तब तक रुदाली-विलाप ही कहलायेगा जब तक उनपर उँगलियाँ उठाने वाले खुद राष्ट्रवध्वज हाथ में उठा के यह बात नहीं कहते| - फूल मलिक
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