Saturday, 30 January 2016

पंजाब में किसान का भविष्य!


 - चौधरी सर छोटूराम
परिवर्तिनी संसारें ... ( परिवर्तन संसार का अपरिहार्य गुण है ) परिवर्तन कुदरत का नियम है | आज दुनियाँ बदलाव की तेज धाराओं में से गुजर रही है | भारत भी इस ज्वार भाटे की लहरों से अछूता नहीं है | भारत के दूसरे प्रान्तों की भांति पंजाब भी परिवर्तन की लहरों से प्रभावित हुआ है | हर एक व्यक्ति अथवा प्रांत को अपने कल्याण और उत्थान , और प्रगति की चिंता है | पंजाब की दूसरी जातियाँ तो काफी सम्पन्न हो गई लगती है ; परंतु यह स्पष्ट नहीं है अर्थात ऐसा स्पष्ट दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है कि साधारण और सामान्य रुचि वाला किसान समुदाय अपने कल्याण और उत्थान तथा हितों और अधिकारों के प्रति सचेत एवं सावधान हुआ है , या वह भी जमी हुई बर्फ की भांति शीतल एवं निश्चेष्ट ही बना हुआ है - कोई नहीं जानता | वर्तमान दौर बहुत नाजुक एवं मनोवैज्ञानिकता का है , और जो लोग इस समय गहरी नींद में सोए रहेंगे , चोर उनका सब कुछ उठाकर ले जाएंगे | जो चौकस हैं , सावधान हैं , पूरी तरह सचेत एवं जागे हुए है , साहसी हैं , वह कभी पिछड़ेंगे नहीं | कोई कितना पाता है , यह उसके उत्साह , उसकी जागरूकता एवं शुरुआत करने तथा आगे बढ़ने की क्षमता पर निर्भर करेगा |
अब तक किसान ने जी भर कर नींद का आनंद लिया है और उसके 'मित्रों' - यार लोगों ने जी भर कर उसके घर को लूटा है | हाल में यह पूरी तरह सोया हुआ तो नहीं है परंतु बिस्तर पर करवटें बादल रहा है | इस की आँखें अलसाई हुई है और यह उन्हें मल रहा है | वह आ...आ... करके जंभाई ले रहा है और उसका शरीर ऊँघने जैसी स्थिति में है | मैं कहता हूँ , किसान तू बिस्तर का मजा तो बहुत लूट चुका , अब पाँव जमीन पर रख-कार्यक्षेत्र में उतार जा | अब तक उसे यही नहीं पता कि कर्मक्षेत्र में उसे बुला कौन रहा है ? और कि क्या वह उसका सच्चा हितैषी एवं प्रशंसक है ? मैं , इस डर से कि कहीं मेरी आवाज़ मेरे भाई के कानों तक न पहुँच पा रही हो , ज़ोर -ज़ोर से चिल्ला रहा हूँ | जिन लोगों ने उसे अफीम जैसा कोई मादक दे रखा है , वे कहते है , ' कौन है यह जो गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहा है ? यह क्या उसका हमदर्द है ? अभी सूरज निकला भी नहीं है ; सोने का समय है , कोकला नींद का | जब उठने का समय हो जाएगा तो हम खुद ही न उसे जगा देंगे |' लेकिन मेरे प्यारे किसान भाई , ध्यान से सुन | अब तक तू मेरी आवाज़ को व्यर्थ समझता रहा है ; अब पूरा ध्यान दे | मैं तेरा सच्चा सेवक हूँ , स्वामी नहीं | मैं तेरे प्रति अपने प्यार के कारण ही तुझ से कुछ नाराज हूँ | मैं तुझ से प्यार करता हूँ यही मेरे ऊंचा और तेज (कठोर) बोलने का एकमात्र कारण है | मैं अपने चेतावनी - भरे संदेश तेरे कान तक न पहुंचा पाने का जोखिम नहीं ले सकता | हिल-डुल , उठ जा , जल्दी कर | मैं बहुत देर से इंतजार कर रहा हूँ और काफी धर्य दिखा चुका हूँ | मैं तुझे बिस्तर से नीचे धकेल दूंगा | अब तक मैंने ऐसा इसलिए नहीं किया कि कहीं तू अपने शत्रुओं (बुरा चाहने वालों ) के बहकावे में आकर मुझे अपना विरोधी समझ लेने की भूल न कर बैठे |
ओ किसान ! ओ कुंभकरण !! ओ खरगोश की भांति सपनों के लोक में विचरण करने वाले !! तेरा घर लूट लिया गया है ; तेरे घर में पाड़ गया है ; तेरे चमन में आग लगी हुई है ; तेरी ग्रहस्थी पर वज्रपात हो गया है , और तू फिर भी गहरी नींद में मदहोश पड़ा है ! देख यह समय सोने का नहीं है ; यह उठा खड़े होने का समय है ; हरकत में आने का , क्रियाशील बन जाने का समय है , काम में लग जाने का समय है | अपनी ग्रहस्थी की संभाल कर ; अपने बगीचे और अपने खलिहान की रखवाली कर | चोरों के लिए वरदान , तेरा आलस और प्रमाद तुझे बर्बाद कर रहा है ; तेरी लापरवाही तेरी बगिया को जलाने का काम कर रही है ; और आश्चर्य इस बात का है कि तू फिर भी बेखबर बना हुआ है | यह भी आश्चर्य की बात है कि तू अपने चौकीदार की चेतावनी को अनसुनी कर रहा है |
ओ किसान ! क्या तू जानता है कि मैं इतना चिंतित क्यों हूँ ? मैं तेरे लिए सरकार के साथ लड़ रहा हूँ और निवेदन कर रहा हूँ कि मेरा भाई करों के बोझ तले दबा हुआ है | इसे कम किया जाना चाहिए | मैं तेरे ऊपर से ब्याज का बोझ कम करवाने के लिए साहूकार से भी भिड़ रहा हूँ ; और इसके लिए मैंने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के साथ भी सींग उलझा लिए है | देखो , मैं व्यक्तिगत रूप से इस विचार का पोषक हूँ कि भारत की आज़ादी की कुंजी इस किसान वर्ग के हाथ है | इस देश की आज़ादी यहाँ के हिंदुओं और मुसलमानों की एकता पर निर्भर है , और इस एकता का सर्वोतम प्रदर्शन पंजाब का किसान कर सकता है | मैं पंजाब के किसान को सम्पन्न और एकजुट देखना चाहता हूँ | मैं , उसे अपने हितों और अधिकारो के प्रति जागृत , अपने पैरों पर खड़ा हुआ और संगठन के कार्य में संलग्न देखना चाहता हूँ |
ओ किसान ! पंजाब की ताजपोशी (राज करने का ) का फैसला विधाता ने तेरे हक में किया हुआ है , लेकिन कुछ शर्तों के साथ | यदि तू इन शर्तों को पूरा कर देता है तो ताजपोशी तेरी होगी और पंजाब का शासन तेरे इशारों पर चलेगा | तेरा भविष्य उज्ज्वल है ; तेरा उत्थान निश्चित है | भगवान के दूत तेरे लिए छत्र और मुकुट लिए खड़े है ; केवल तेरे हुक्म का इंतजार है | ज्यों ही हुक्म होगा छत्र की छाया तेरे सिर पर होगी और मुकुट तेरे मस्तक पर शोभायमन होगा | आदेश कब होगा , यह बहुत कुछ तेरी पहल , तेरी कुशलता और दूरदर्शिता पर निर्भर करेगा |
अब सुन कि परिस्थितियाँ कैसी है | हम दोहरी स्थिति में है | प्रथम तो तुम्हें अवश्य संगठित हो जाना चाहिए | दूसरे तुम्हें यह वायदा करना होगा और विश्वास दिलाना होगा कि सत्ता में आने के बाद तुम सबके साथ न्याय करोगे और दूसरों को उन के अधिकारों से वंचित नहीं करोगे , और कि तुम उन सबको गले लगाओगे जो भाग्य की प्रतिकूलता के कारण दुख भोग चुके है या भोग रहें है | तुम उन सबको अपने विरुद्ध शिकायत रखने का अवसर नहीं दोगे जिनका व्यवहार और बर्ताव तुम्हारे प्रति सहानुभूतिपूर्ण एवं सम्मानपूर्वक नहीं रहा है | इन दो शर्तों को पूरा करो और अपनी उन्नति का नजारा देखो ; अपने गौरवमय भविष्य की झलक देखो ! मुझे विश्वास है कि तुम इस दोहरी शर्त को पूरा करोगे और भगवान की अनुकंपा का पूरा लाभ उठाओगे |
अब यह बता दूँ कि संगठन वाली शर्त किस प्रकार से पूरी की जा सकती है , और इसके मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ आने वाली है | पहले बाधाओं की बात | ज्यों ही संभावित बाधाओं का ज्ञान हो जाएगा , संगठन कार्य सरल हो जाएगा | सदियों तक तू इहलोक और परलोक की चिंता करता है ; अलग-अलग किस्म के लोग अपने-अपने ढंग से तेरा घर लूटने में लगे रहे है | तुझे सपनों की दुनियाँ में अटकाए-भटकाए रखने के लिए धर्म का मार्ग तुझे सुझाया गया | इसी नुस्खे का प्रयोग तुझे गहरी नींद में सुलाए रखने के लिए पहले भी किया जा चुका है | अब चूंकि तुम में जागृति के लक्षण दिखाई पड़ने लगे है , तो वही लोग , जो तुम्हें गहरी नींद में सुलाए रखना चाहते है , कोई नशीली दवा पिलाने की कोशिश करेंगे ताकि तुझे फिर से सुला सकें | वे शरबत में धर्म रूपी मद का मिश्रण करेंगे और तू ज्यों ही इसे पिएगा , बेहोशी की स्थिति में चला जाएगा | वे धर्म को तेरे लिए नशीली दवा के रूप में इस्तेमाल करेंगे | इसकी गोलियां तुझे खिलाएँगे ताकि तुझे तंद्रा की अवस्था में रखा जा सके | कोई कहेगा : सिक्ख पंथ खतरे में है ; कोई कहेगा हिन्दू धर्म पर संकट है ; कोई इस्लाम पर खतरे के बादल मंडरा रहे होने की बात करेगा -दुहाई देगा | लेकिन याद रखना , सिक्ख पंथ , हिन्दू संप्रदाय , और इस्लाम मजहब को तेरे संगठित होने से कोई खतरा नहीं होने वाला | केवल उन स्वार्थी लोगों को जरूर नुकसान पहुंचेगा जो धर्म के नाम पर घृणा , ईर्ष्या-देष और कटुता का प्रचार और प्रसार करने में लगे है |
क्या कोई ऐसा व्यवसाय है जो धर्म को एक तरफ रखकर संगठित न हो सके ? हमारे अपने पंजाब प्रांत में इस प्रकार के कई उदाहरण है | इंजीनियर , डॉक्टर , हकीम , वैध , व्यापारी , वकील ये सब हैं , जो धर्म को आधार बनाए बिना भी संगठित हैं | लेकिन उस समय घोर आश्चर्य होता है जब विश्व के सबसे बड़े और प्राचीनतम व्यवसाय से जुड़े लोग धर्म की सीमाओं से बाहर निकल कर स्वयं को संगठित करने की शुरुआत करते है तो , पुजारी , मौलवी , ग्रथि , ज्योतिषी , मुल्ला , काजी , ज्ञानी , वकील , डॉक्टर , पत्रकार , दुकानदार और कौन नहीं बेहद बेचैनी का अनुभव करने लगते है | क्या तुम्हें यहाँ कोई मकसद या मुद्दा दिखाई नहीं देता ? हाँ , यहाँ मकसद है कि तेरे जाग जाने और संगठित हो जाने की सूरत में इन लोगों को अपनी रोजी और लीडरी खो जाने का डर है |और तू यदि इनका दास ही बना रहना चाहता है तो इन के निर्देशों , संदेशों और उपदेशों के अनुसार आचरण कर ; इन्हें चंदा दे देकर इनके लिए धन जुटाता रह | फिर ये तुम्हें संगठित होने देने के लिए तैयार हो | जरा देखो , कांग्रेस ने लाहौर में 'जिला किसान सभा ' नाम से संगठन बनाया है | कांग्रेस ने इस तरह के संगठन कई जगहों पर खड़े किए है | परंतु जब किसान अपने तौर पर संगठित होने की बात करते है तो गैर जमींदार सांसत में पड़ जाते है - इन पर आफत आ जाती है | क्यों ? इस लिए कि वे किसान समुदाय को नकेल पकड़ कर चलाना और उनके धन पर अपना कब्जा जमाए रखना चाहते है | सरकार भी इस तरह के संगठनों ( स्वतंत्र किसान संगठन ) को कुछ-कुछ संदेह की दृष्टि से देखती है | यह इस हकीकत को नहीं समझती कि अब किसानों के संगठित होने का समय आ गया है और कोई भी उन्हें संगठित होने से रोक नहीं सकता |
अब प्रश्न यह उठता है कि ऐसा कोई संगठन स्वयं किसानों के आधीन हो , अथवा कांग्रेस या अतिवादी कट्टरपंथी ताकतों के दिशा निर्देशों के अनुसार बने , और उन के द्वारा पहले से बनाए गए किसी संगठन के अधीन और उनके नेतृत्व में चले ? यह सवाल अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है एवं विवादपस्द है , और मैं किसी विवाद के चक्कर में पड़ना नहीं चाहता | मैं इसके मार्ग में आने वाली बाधाओं की चर्चा जरूर करूंगा |
किसानों के संगठित होने के मार्ग में साहूकार भी रुकावटें डालेंगे , क्योंकि इसमें उसको अपना नुकसान होता दिखाई देता है | भ्रष्ट अधिकारी , और खासतौर से पटवारी , किसानों के संगठन से डरे - सहमे हुए हैं ; और यदि अधिकारी या पटवारी गैर जमींदार है तो फिर यह चिंता और भी बढ़ जाती है | हर गैर-जमींदार अधिकारी चाहे वह ईमानदार है या बेईमान , किसानों के संगठन को प्लेग के रोग से भी अधिक खतरनाक मानता है | असल में उनका वर्ग -हित उनको ऐसा सोचने और करने के लिए मजबूर करता है | वे ऐसे संगठन को बदनाम कर के दबा देना चाहते है |
यदि संगठन के मार्ग में आने वाली संभावित बाधाओं का आकलन पहले से ही नहीं कर लिया जाता है तो इस प्रकार का संगठन सफल नहीं हो सकता | यही कारण है कि मैंने कुछ संभावित बाधाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला है ताकि तुम बहदुरी से उनक मुक़ाबला कर सको | आगे होने वाले प्रांतीय एसैम्बली के चुनावों के दृष्टिगत यह संभव है कि इसके (किसान संगठन के ) प्रारूप एवं कार्यप्रणाली में कुछ परिवर्तन करने पड़ें ; लेकिन इस तरह के मामलों में कोई भविष्यवाणी कर सकना बहुत मुश्किल होता है | कहने का तात्पर्य यह है कि आपका संगठन केन्द्रीय जमींदारा लीग के रूप में उभरना चाहिए | प्रत्येक जिला एवं उपमंडल स्तर पर इस पार्टी की शाखाएं स्थापित/सगठित होनी चाहिए और वहाँ कम से कम एक दैनिक अङ्ग्रेज़ी समाचार पत्र और कई हिन्दी , उर्दू , पंजाबी के आने चाहिए | हरेक जिला का अपना साप्ताहिक पत्र होना चाहिए | प्रत्येक जिला व उपमंडल स्तर पर पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार करने के लिए जमींदारा लीग के सक्रिय कार्यकर्ताओं का एक संगठित दल होना चाहिए |
ए किसान , अगर तू इस दोहरी शर्त को पूरा कर देता है तो खुदा के फरिश्ते -भगवान के दूत तुझ को पंजाब के प्रशासन की बागडोर सौंपने के लिए तैयार खड़े है | हताश मत हो ; अपने हौसले को डूबने मत दे | मत सोच कि यह सब होना बहुत कठिन है | अपनी आज की हालत से यह अनुमान मत कर कि तू सदा से ऐसा ही रहा है , और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा | सच्चे बादशाह (भगवान) में भरोसा रख जो शाहों का शाह है | अपने बाजुओं की शक्ति पर भरोसा रख , अपने विचारों में दृढ़ता , ओज और ऊर्जा पैदा कर और प्रगति में विश्वास रख अर्थात उन्नति की चाहत वाला बन | स्वयं में उद्देश्य के प्रति दृढ़ता और आत्मविश्वास पैदा कर - यह विश्वास पैदा कर कि सरकार तुम्हारी है ; तुम सरकार के संरक्षक हो और सरकार चलाने के योग्य हो | यदि तुम में पर्याप्त विश्वास एवं श्रद्धा होगी तो ज्यों ही नए संवैधानिक सुधार लागू किए जाएंगे तुम स्वयं को पंजाब सरकार में शीर्ष पर पाओगे | यदि तुम इन शर्तों को पूरा नहीं कर पाए तो फिर समझ लो कि दासता , दरिद्रता , भुखमरी , अपमान और अवमान , अनादर और विनाश की परिस्थितियां अपने पुराने शिकार की इंतजार में बैठी है | जाओ और अपनी गर्दन इन्हें सौंप दो-उनके ग्रास बन जाओ | तुम्हें कुचल देने की इनकी योजनाओं के लिए सु-पात्र (सहज शिकार) बन जाओ |

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