Tuesday, 2 February 2016

मुझे हरयाणा में फैलाये गए जाट बनाम नॉन-जाट के जहर से जो इंसान निजात दिला दे मैं उसके चरण धो-धो पियूं!

मैं जातिवादी नहीं हूँ, ना ही मेरे घर की परवरिश ऐसी है| मेरे घर वालों ने कभी मुझे यह नहीं बताया कि यह ब्राह्मण है, नाई है, छिम्बी है, तेली है, धोबी है, राजपूत है, बनिया है, चमार है धानक है या डूम इत्यादि है| ना ही यह बताया कि यह हिन्दू है, यह मुसलमान है या यह सिख है|

मेरे घर वालों ने मुझे सिखाया तो बस इतना कि गाम-गुहांड की छत्तीस बिरादरी की बेटी-बुआ-बहन तेरी बेटी-बुआ-बहन है| तेरे खेतों में काम करने वाले चमार से ले के, दुकान पे सामान बेचने वाला बनिया और हवन-यज्ञ करने वाला ब्राह्मण, अगर गाम के नेग से तेरा दादा लगता है तो दादा बोल, ताऊ-चाचा लगता है तो ताऊ-चाचा बोल, भाई-भतीजा लगता है तो भाई-भतीजा बोल| उम्र में छोटा हो या बड़ा, तू नेग से बोलना नहीं छोड़ेगा| दादा, ताऊ-चाचा की पीढ़ी वाला उम्र में छोटा भी है तो नाम ले के नहीं अपितु नेग से ही बोलेगा|

एक लम्बे अरसे से विदेश में हूँ, परन्तु यह शिक्षाएं आज भी ज्यों-की-त्यों पल्ले बाँधी हुई हैं| गाम में जाता हूँ तो आज भी नेग के बिना किसी से नहीं बोलता| धानक के घर बैठ के चाय पीने से, चमार के घर बैठ के रोटी खाने से, कुम्हार के साथ आक में मिटटी के बर्तन लगवाने से, लौहार की भट्टी में आग झोंकने से, खाती-छिम्बी के यहां उठने बैठने से, डूम के साथ बैठ के आल्हे-छंद सुनने से आज भी परहेज नहीं करता| कभी किसी शरणार्थी दोस्त या उसके समुदाय को शरणार्थी या रेफ़ुजी नहीं बोला| कभी किसी दलित को जाति-सूचक शब्द नहीं बोले| और जो यह बात झूठ बोलूं तो मेरी लिस्ट में मौजूद मेरे गाम-गुहांड व् बचपन के साथी या बालक मेरे कान पकड़ लेवें| मेरे पिता ने, मेरे भाई-बहनों और मैंने, कभी किसी दलित का छुआ खाने से, उसका दिया पानी पीने से परहेज नहीं किया| तो फिर मैं क्यों झेलूँ यह जाट बनाम नॉन-जाट का जहर?

आखिर कौन लोग हैं यह जो मुझे इन ऊपर बताई मानवताओं से घसीट के जाट होने का अहसास करवा रहे हैं? हरयाणवी होने का अहसास करवा रहे हैं? मैं नहीं समझता कि मुझे जाट और हरयाणवी होने पे किसी को अहसास करवाने की जरूरत हो, यह तो मैं जन्मजात हूँ| तो क्यों यह लोग जाटों के इतने पीछे पड़े हैं कि मुझे जाटों के बारे सोचना पड़ता है? कौन लोग हैं यह जो मेरे अंदर, मेरे समाज के अंदर जाट बनाम नॉन-जाट के जहर के नाम पे गुस्सा और नाराजगी दोनों भर रहे हैं| आखिर क्यों?

मुझे निजात चाहिए ऐसे लोगों से और इनके इस जहरी माहौल से| कोई मुझे इससे निजात दिला दे तो मैं उसके चरण धो-धो पियूं|

विशेष: हरयाणा में दो तरह के गाम होते हैं, पहले एक ही गोत के बसाए हुए, इनमें छत्तीस बिरादरी की बेटी सबकी बेटी मानी जाती है और दूसरे बहुगोतीय यानी कई गोतों के बसाये हुए, इनमें गाम की गाम में ब्याह भी हो सकते हैं| इस नियम बारे ज्यादा विस्तार से इस लेख से पढ़ सकते हैं - http://www.nidanaheights.net/EH-gotra.html

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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