एक हरयाणवी
रागनी है "जिनका नहीं कसूर उन्हें क्यों लोग बुराई देते हैं!" उसके एक
मुखड़े की पंक्ति है यह "द्रोपदी जो दुर्योधन को अंधे का पुत्र अँधा ना
कहती; रच दिया महाभारत बोलों ने, खून की नदियां ना बहती!"
खट्टर साहब क्या मिला बड़बोले बोल बोल के? यह मत सोचिये कि यह बड़बोले बोल सिर्फ राजकुमार सैनी ने बोले तो हरयाणा में यह महाभारत हुआ| कहीं न कहीं आपकी भी उस पंक्ति का इसमें योगदान था जो अपने गोहाना में कही थी कि "हरयाणवी कंधे से नीचे मजबूत और ऊपर कमजोर होते हैं!"
जिससे जनमानस में यह बात घर करी हुई थी कि जिनको अपने भाईयों समान सीने से लगाया, 1984 के बाद जिस पंजाब ने आपको वहाँ से मार-मार के खदेड़ा (ध्यान दीजिये इसके बाद भी आप खुद को पंजाबी कहते नहीं थकते), इन हरयाणा वालों ने अपनी सर-आँखों पे बिठाया तो कहीं ना कहीं तो ऐसे नकारात्मक बोले गए बोल घाव करेंगे ही ना, जनाब?
जाट तो इसके बावजूद भी आपके उस उपहास को भूल के शांति से धरना दे रहे थे, परन्तु रोहतक के स्थानीय एम.एल.ए. के इशारे पर रोहतक कोर्ट में धरने पर बैठे जाट वकीलों पर गुंडे भेज के हमला करवाया गया और ले ली आफत मोल|
लगता है आप अपनी कंधे से ऊपर की मजबूती कुछ ज्यादा ही दिखा गए| पता है ऐसे लोगों बारे क्या कहावत कही जाती है हरयाणा में कि "घणी स्याणी दो बार पोया करै|" है तो यह लाइन घणी स्याणी कुत्तिया को ले के भी है, परन्तु मैं इसको पूरी बोल के अपनी भाषा को अमर्यादित नहीं करूँगा|
बताओ जनाब क्या मिला आपको, जरा बैठ के सोचना कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान किसका हुआ? सोचेंगे ना तो दावे से कहता हूँ खुद आपकी बिरादरी के भाई भी आपकी इस कहावत से इत्तेफाक नहीं रखेंगे और आपको मूर्ख ही कहेंगे|
बाकी राजकुमार सैनी, उनकी तथाकथित ब्रिगेड और आरएसएस ने तो जाट आरक्षण की आड़ में और जाटों को बदनाम करने हेतु जो खेल रचाया है वो तो अब परत-दर-परत सबके सामने खुल के आ ही रहा है|
बोलों के कारण औरतें घरों में महाभारत करवा देती है, यह कहावत अभी तक सिर्फ औरतों पर थी; अब यह आप जैसे आरएसएस वालों पर भी लागू होगी| यानी अल्टीमेटली आपने आरएसएस वालों को औरतों के समान कलिहारी श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक - यूनियनिस्ट मिशन
खट्टर साहब क्या मिला बड़बोले बोल बोल के? यह मत सोचिये कि यह बड़बोले बोल सिर्फ राजकुमार सैनी ने बोले तो हरयाणा में यह महाभारत हुआ| कहीं न कहीं आपकी भी उस पंक्ति का इसमें योगदान था जो अपने गोहाना में कही थी कि "हरयाणवी कंधे से नीचे मजबूत और ऊपर कमजोर होते हैं!"
जिससे जनमानस में यह बात घर करी हुई थी कि जिनको अपने भाईयों समान सीने से लगाया, 1984 के बाद जिस पंजाब ने आपको वहाँ से मार-मार के खदेड़ा (ध्यान दीजिये इसके बाद भी आप खुद को पंजाबी कहते नहीं थकते), इन हरयाणा वालों ने अपनी सर-आँखों पे बिठाया तो कहीं ना कहीं तो ऐसे नकारात्मक बोले गए बोल घाव करेंगे ही ना, जनाब?
जाट तो इसके बावजूद भी आपके उस उपहास को भूल के शांति से धरना दे रहे थे, परन्तु रोहतक के स्थानीय एम.एल.ए. के इशारे पर रोहतक कोर्ट में धरने पर बैठे जाट वकीलों पर गुंडे भेज के हमला करवाया गया और ले ली आफत मोल|
लगता है आप अपनी कंधे से ऊपर की मजबूती कुछ ज्यादा ही दिखा गए| पता है ऐसे लोगों बारे क्या कहावत कही जाती है हरयाणा में कि "घणी स्याणी दो बार पोया करै|" है तो यह लाइन घणी स्याणी कुत्तिया को ले के भी है, परन्तु मैं इसको पूरी बोल के अपनी भाषा को अमर्यादित नहीं करूँगा|
बताओ जनाब क्या मिला आपको, जरा बैठ के सोचना कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान किसका हुआ? सोचेंगे ना तो दावे से कहता हूँ खुद आपकी बिरादरी के भाई भी आपकी इस कहावत से इत्तेफाक नहीं रखेंगे और आपको मूर्ख ही कहेंगे|
बाकी राजकुमार सैनी, उनकी तथाकथित ब्रिगेड और आरएसएस ने तो जाट आरक्षण की आड़ में और जाटों को बदनाम करने हेतु जो खेल रचाया है वो तो अब परत-दर-परत सबके सामने खुल के आ ही रहा है|
बोलों के कारण औरतें घरों में महाभारत करवा देती है, यह कहावत अभी तक सिर्फ औरतों पर थी; अब यह आप जैसे आरएसएस वालों पर भी लागू होगी| यानी अल्टीमेटली आपने आरएसएस वालों को औरतों के समान कलिहारी श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक - यूनियनिस्ट मिशन
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