Wednesday, 2 March 2016

जाट कौम को "जाटरात्रे" मनाने बारे एक सुझाव!

बहुत हुआ यह किसी के नवरात्रों पे तो किसी के फलाने-धकड़े रात्रों पे कूल्हे मटकाना और गले फाड़ना| आओ सारी जाट-बिरादरी अब से हर साल 19-20-21-22 फ़रवरी को "जाटरात्रे" के रूप में मनाना शुरू कर देवें| इन चारों दिनों पे जो गतिविधियाँ की जावें वो कुछ इस प्रकार हो सकती हैं:

1) चार-के-चार दिन किसी भी प्रकार की कोई दुकानदारी कोई शॉपिंग-ओप्पिंग नहीं की जाएगी|
2) बल्कि हमारे घर के बने सामानों के साथ ही "जाटरात्रे" मनाये जायेंगे| चाहे जो भी सामान इन रात्रों को मनाने में लगे वो शुद्ध रूप से जाट के घर का होगा, जाट और जाटणियों का बनाया हुआ होगा|
3) इन चारों तारीखों पर नाटक लेखन व् मंचन किये जायेंगे कि कैसे किधर सरकार व् अन्य विरोधियों ने हमारे बालकों पर गोलियां चलवाई और किस बहादुरी से हमारे बालक डट के लड़े, इन पर स्क्रिप्ट बना के इन चार दिनों में से एक दिन इन पर थिएटर मंचन होंगे|
4) एक दिन हमारी खापों, राजाओं और आम जाटों में जितने भी ऐतिहासिक महापुरुष और शहीद हुए हैं और जितनी भी ऐतिहासिक लड़ाइयां हुई हैं, उनपे पूरी जाटलैंड पे ऐसे ही नाटक-मंचन और बाणियां रची और गाई जाएँ|
5) एक दिन शुद्ध जाटू सभ्यता के विभिन्न सामाजिक-सामरिक-आर्थिक पहलुओं पर इसी प्रकार नाटक-मंचन होंगे|
6) और आखिरी दिन देश की एकता और अखंडता को बनाये और बढ़ाये रखने बारे जाट समाज के योगदान और
देश के भविष्य में आगे क्या और कैसे योगदान जाट समाज देगा इसपे कन्फेरेन्सेस और डिबेट्स होंगी|

इस प्रस्तावना पर अपने विचार जरूर देवें|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक - यूनियनिस्ट मिशन

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