कुछ-एक दलित बुद्धिजीवी अतिरेक में आ के यह कहते देखे जा रहे हैं कि जाट इससे पहले कहाँ थे, अभी क्यों इनको दलित-जाट एकता की याद आई| जाट-दलित भाईचारे को आगे बढ़ाने हेतु जाट आरक्षण को समर्थन दे के, बहन मायवती ने जो सीधी लाइन रख दी है, ऐसे लोग उससे अलग दिखने की नादानी भरी गलती कर रहे हैं| ऐसे भाईयों को इतिहास के हवाले से दो-चार चीजें बताना चाहूंगा:
1) 1398 में सर्वखाप हरयाणा ने तैमूरलंग के खिलाफ विजयी जंग लड़ी थी, इसके दो उपसेनापतियों में एक दादावीर धूला भंगी जी थे| आजतक जाट-बाहुल्य सर्वखाप के अलावा किसी राजा का इतिहास नहीं, जिसने एक दलित को इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लायक समझा हो| मेरे पास ऐसे ही अन्य दलित यौद्धेयों की सूची है जो खापों में बिना किसी पक्षपात के सम्मान से अपना किरदार अदा करते रहे|
2) मुझे नाम याद नहीं है, परन्तु भरतपुर के महाराजा सूरजमल के खजांची एक दलित हुए हैं| पूरे भारत के इतिहास में कोई ऐसा राजा नहीं, जिसके बारे यह सुनने को आता हो कि उसने किसी दलित को खचांजी जैसी उच्तम पदवी पर बैठाया हो|
3) सर छोटूराम और बाबा साहेब आंबेडकर की जोड़ी ने उस वक्त के संयुंक्त पंजाब में जाट-दलित भाईचारे को स्थापित किया था| ऐसे कानून जो बाबा साहेब बाकी के देश में आज़ादी के बाद लागू कर पाये, सर छोटूराम सयुंक्त पंजाब में आज़ादी से पहले लागू कर गए थे और इसीलिए दलितों ने उनको 'दीनबंधु सर छोटूराम' का नाम दिया था| यह दुर्भाग्य रहा कि मंडी-फंडी ताकतों द्वारा एक साजिस के तहत इन दोनों महापुरुषों को लेखों-फिल्मों में अलग-अलग दिखाया गया| वर्ना आज भी वो सरकारी दस्तावेज मौजूद हैं जब साइमन कमीशन का स्वागत करने वालों में यह दोनों हुतात्मा सबसे अग्रणी थे और एक थे|
4) वजह जो भी रही हो, परन्तु पीछे के कुछ सालों में बहन मायावती जी की हरयाणा में कई ऐसी रैलियां हुई जिनमें उनके मुंह से यह बुलवाया गया कि वो हरयाणा में नॉन-जाट सीएम का समर्थन करती हैं या ऐसा चाहती हैं| तो ऐसे में अभी तक वो माहौल बन ही नहीं पाया था कि जाट दलितों के समर्थन में खुलकर आ पाते|
और अब मायावती जी द्वारा जाट-आरक्षण को खुलकर समर्थन देने से, ऐसा सम्भव हुआ है तो जाट आगे बढ़े हैं| और जाटों ने ठाना है कि अब जाट-दलित-मुस्लिम एकता आ के रहेगी| तो ऐसे भाई, जरा इन ऐतिहासिक परिपेक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए अपनी बात रखेंगे तो मुझे उम्मीद है कि वो ऐसा उलाहना नहीं दे पाएंगे|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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