Tuesday, 29 March 2016

जिन जाटों को सनातनी और मनुवादी बनने का चस्का चढ़ा हुआ है, वो जरा अपने पुरखों के बारे यह कटिंग पढ़ें:

कटिंग इंग्लिश में है, इसको पूरी पढियेगा| इसके कुछ मुख्य बिंदु यहां हिंदी में लिख रहा हूँ:

1) ब्राह्मण ने जाट को शुद्र कहा क्योंकि जाट ने उसकी बनाई जाति व्यवस्था नहीं स्वीकारी और स्वछन्द रहा|
2) ब्राह्मण व्यवस्था की मनाही के बावजूद भी जाट विधवा विवाह करते रहे|
3) जाट कभी भी "कन्या भ्रूण हत्या" नहीं करते थे, जो दूध के कड़ाहों में कन्या को डुबो के मारने की प्रथा थी वो ब्राह्मणवाद की थी और राजपूत इसका अनुसरण करते थे|
4) जाट के यहां बेटी के जन्म का आनंद-उत्सव मनाते थे, मातम नहीं|
5) जाट, जातियाता कहलाए क्योंकि इन्होनें जातिव्यवस्था बनाने वालों को ठिकाने लगाया और उनको मात दी|


अब सोचे आज की जाट पीढ़ी कि आखिर यह कन्या भ्रूण हत्या करने या लड़की को मनहूस मानने की प्रथा आपमें कब से और कैसे आई? खोजोगे तो उत्तर एक ही मिलेगा, जब से आपने मनुवाद का अनुसरण करना शुरू किया, यह कुरीतियां आपमें प्रवेश कर गई| क्या इस लिहाज से देखा जाए तो आपके पुरखे आपसे ज्यादा स्वछन्द, खुले दिमाग के व् मानवीय सोच के नहीं थे?

Source:
a) "A social history of India" book by Mr. S.N. Sadashivan and
b) "Punjab Census Report of 1883" by Sir Denzil Ibbetson

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

 

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