असल हिन्दू धर्म में जातिवाद है क्या?
उत्तर: जो जातियां माइनॉरिटी में हैं, उन द्वारा बहुसंख्यक जातियों में अपने लोगों (वास्तविक व् काल्पनिक दोनों टाइप के) को भगवान् बना के स्थापित करवाना ही जातिवाद है|
इसका हल क्या है?
उत्तर: हर जाति या मित्र जातियों का समूह अपनी-अपनी जाति समुदाय में हुए हुतात्माओं को ही अपना भगवान् मानें| जैसे गांधी व् लाला लाजपत राय व्यापारियों (बनिया व् अरोड़ा/खत्री) के भगवान, तिलक-गोखले-गोवलकर-नेहरू ब्राह्मणों के भगवान, सर छोटूराम, महात्मा फुले, बाबा आंबेडकर किसान व् दलितों के भगवान्|
कोई जाति भगवान् की नई केटेगरी विकसित करती है तो बाकी जातियां भी वैसे ही कर लेवें और उस केटेगरी का समकक्ष भगवान अपनी जाति से बन लेवें| जैसे ब्राह्मणों ने अभी खेल क्षेत्र में भी उनके लिए नया-नया भगवान् ईजाद किया यानि सचिन तेंदुलकर तो ऐसे ही जाट, वीरेंद्र सहवाग को क्रिकेट का भगवान् घोषित कर लेवें, या छिम्बी बिरादरी कपिल देव को घोषित कर लेवे|
और जब बात जाति से बाहर की आये तो भाई "तुम हमारे वाले की जय बोलो, हम तुम्हारा वाले की बोलेंगे" की लय पर सोशल इंजीनियरिंग चलाई जाए|
ऐसे में किसी को कोई कोई प्रॉब्लम नहीं आनी, सब राजी-ख़ुशी से रहेंगे| एक दूसरे की टांग-खिंचाई से पिंड छूटेगा|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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