जाटों को अपनी किताब में "अछूत व् चांडाल" लिखने वाली "उमा चक्रवर्ती" (विकिपीडिया तक पर यह बात पहुंची हुई है), आपसे अनुरोध है कि:
1) आप और आपकी बिरादरी जाटों का दिया दान ना छुवें|
2) जाटों से दो गज की दूरी बना के चलें|
3) जाटों की परछाई भी खुद पे ना पड़ने दें|
4) जाटों का उगाया अन्न ना छुवें|
और जो यह ना करें तो आप और आपकी बिरादरी दुनिया के सबसे आत्मसम्मान विहीन, आत्मविचार के सम्मान से रिक्त नीचतम प्राणी कहलावें|
कसम से उमा जी, बस इतना करवा दें तो सदैव आपका आभारी होऊंगा| वो क्या है कि मेरे जैसे के कहे से तो अंधभक्त जाटों को पल्ले पड़ती नहीं कि हिन्दू-हिंदुत्व और इनका छद्म राष्ट्रवाद सिर्फ एक छलावा है, परन्तु शायद आपके कहे से अक्ल लग जाए| अक्ल लग जाये कि तुम बावली-बूचों की भांति इन वर्ण व् जाति के स्वघोषित सर्टिफिकेट बांटने वालों की झोली दान-अन्न से भरते रहो और यह तुमको ऐसे ही निरतंर चांडाल और अछूत के सर्टिफिकेट वितरित करते रहेंगे|
साथ ही अंधभक्त जाटों से अनुरोध करना चाहूंगा कि भाई राजकुमार सैनी को इन्होनें आपकी कौम पे भोंकने को छोड़ा, आप उसपे मौन हैं| जाट आरक्षण के नाम पर इन्होनें 18 जाट बालक गोलियों से भुनवा दिए और सैंकड़ों घायल करके हस्पतालों में पहुंचा दिए इसपे आप मौन हैं| खैर कोई नहीं पर, आपकी इतनी तो चलती होगी बीजेपी-आरएसएस में कि इतना रुकवा सको कि यह लोग अपनी कुंठावश जाटों को "अछूत व् चांडाल" कहना अब कम से कम 21वीं सदी में आ के तो छोड़ दें? अब जब हिन्दू यूनिटी और बराबरी की बातें हो रही हैं, तब तो छोड़ दें? या ऐसी भी क्या अंधभक्ति की पट्टी लपेटना आँखों पर कि यह विकिपीडिया तक पर आपको "चांडाल और अछूत" कहे जा रहे हैं और आप फिर भी इन्हीं में घुसे जा रहे हो?
खैर यह तो बात हुई उमा जी से और अंधभक्त जाट भाईयों से अपील करने की|
अब सुनो मैडम उमा चक्रवर्ती, आपने जाटों बारे क्या लिखा अपनी किताब में और क्या नहीं मुझे उसकी डिटेल में जाने की जरूरत नहीं क्योंकि इतना तो पता लग ही गया कि आपने जाटों को चांडाल और अछूत लिखा है; तो इससे ज्यादा बुरा तो जाटों का आपने और लिखा भी क्या होगा, जो भी लिखा होगा इससे छोटा ही लिखा होगा| परन्तु इससे दलित-पिछड़े भाईयों को खासकर उनको जो जाट से जाति-वर्ण पे भेद कर रहे हैं, इतना तो सन्देश जायेगा कि आपका यह भेद व्यर्थ है, मनुवादियों ने आपके कान भरे हैं इसलिए आप ऐसा कर रहे हैं|
उमा चक्रवर्ती, आपको पता है कोई इंसान किसी को "अछूत वा चांडाल" क्यों कहता है? वो मेरी दादी जी बताया करती थी कि जब कोई इंसान आपके काबू से बाहर का हो और वो आपकी एक ना सुनता हो और उससे भी बड़ी बात इस सबके बावजूद जब आप उसका बाल (मुझे माफ़ करना परन्तु आपने जो शब्द प्रयोग कर रखे हैं उसके आगे यह शब्द कुछ भी नहीं) तक नहीं उखाड़ सकते हो, तब ऐसी कुंठा में कहा जाने वाला शब्द है "चांडाल"। मुझे समझ नहीं आता कि वो सर छोटूराम वाली बोलना सीखने की जरूरत जाटों को ज्यादा है या इन उमा चक्रवर्ती जैसों को? शायद हम इनका जवाब नहीं देते, इसलिए यह अपने बोलने को सभ्य मान बैठते हैं, वर्ना वास्तव में सबसे बदजुबान तो यह मंडी-फंडी ही होते हैं और उसी जमात से आती हैं यह मैडम उमा चक्रवर्ती|
अब अछूत शब्द की सुनिए मैडम, "अछूत" शब्द है किसी को साइकोलॉजिकल प्रेशर (psychological pressure) देने के तहत "सोशल पृथक्करण" (social deprivation) के भय में डाल के उससे अपनी मनमानी करवाना| जो कि जाटों पे आपके जातिभाई यानि मनुवादियों का कभी चला नहीं| हाँ दलितों-शूद्रों पर चला, परन्तु जाटों पर नहीं| जाटों ने तो तुम्हें ताक पे रख के बुद्ध धर्म खड़ा कर दिया, सिख धर्म खड़ा कर दिया, बिश्नोई पंथ खड़ा कर दिया; सो भला ऐसे निडर और स्वछन्द लोग अछूत हो सकते हैं क्या? हाँ, उनके लिए जरूर हो सकते हैं जिनके ढोंग-पाखण्ड का भांडा फोड़, उनको समाज को दूषित करने से दूर रखा| जाटों ने जब बुद्ध धर्म खड़ा किया, उसी की कुंठा में तो आपकी बिरादरी वालों ने जाटों को चांडाल कहना शुरू किया था, कि ना तो यह हमारे काबू के और ना हम इनका कुछ उखाड़ सकते; सो कह दो इनको "चांडाल"।
आठवीं सदी में जब ब्राह्मण राजा दाहिर ने जाटों पे यह शब्द थोंपने की कोशिश करी (इससे पहले यह शब्द दलित-शूद्रों के लिए होते आये) तभी के तभी उसको जाटों की हाय और श्राप दोनों लगे और मुहम्मद बिन कासिम आ के उसकी सौड़ सी भर गया| जानती हो ना सौड़ सी भरने का मतलब क्या होता है? पक्के से जानती होंगी, जब जाटों के स्टेटस बारे जानती हैं तो उनकी बोली बारे नहीं जानती होंगी| जाट का अपमान करके एक छोटी सी भी लड़ाई जीतने का इतिहास में माद्दा नहीं रहा कभी और चल पड़ते हैं जाटों को सोशल स्टेटस के सर्टिफिकेट बांटने|
अब मैं इतना सुनिश्चित करके जरूर चल रहा हूँ कि "आगला शर्मान्दा भीतर बड़ गया और बेशर्म जाने मेरे से डर गया|" वाली के तहत चुप नहीं बैठेंगे| हर बात का ताबड़-तोड़ जवाब आएगा, आप जैसे लोगों की ऐसी नीच हरकतों पे|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
Wikipedia Source where Jats are now mentioned as "Chandal" and "Achhoot", see its "Varna status" section: https://en.wikipedia.org/wiki/Jat_people
Chakravarti, Uma (2003) - Gendering caste through a feminist lens (1. repr. ed.)
जाटों को अछूत कहा जो आप जैसों द्वारा अच्युत न गिरने वाले/स्थिर का बिगाड़ा शबिद तथा चंडाल( चंड/फुर्तीले /उग्र तथा अल/योग्य का समास ) जाटों के विशेषणों को विकृत कर लिखा गया है lजिनसे सभी भयभीत रहते थ तथा इन्हें और तक्मा/रुद्र /ज्वर कहते थे l
1) आप और आपकी बिरादरी जाटों का दिया दान ना छुवें|
2) जाटों से दो गज की दूरी बना के चलें|
3) जाटों की परछाई भी खुद पे ना पड़ने दें|
4) जाटों का उगाया अन्न ना छुवें|
और जो यह ना करें तो आप और आपकी बिरादरी दुनिया के सबसे आत्मसम्मान विहीन, आत्मविचार के सम्मान से रिक्त नीचतम प्राणी कहलावें|
कसम से उमा जी, बस इतना करवा दें तो सदैव आपका आभारी होऊंगा| वो क्या है कि मेरे जैसे के कहे से तो अंधभक्त जाटों को पल्ले पड़ती नहीं कि हिन्दू-हिंदुत्व और इनका छद्म राष्ट्रवाद सिर्फ एक छलावा है, परन्तु शायद आपके कहे से अक्ल लग जाए| अक्ल लग जाये कि तुम बावली-बूचों की भांति इन वर्ण व् जाति के स्वघोषित सर्टिफिकेट बांटने वालों की झोली दान-अन्न से भरते रहो और यह तुमको ऐसे ही निरतंर चांडाल और अछूत के सर्टिफिकेट वितरित करते रहेंगे|
साथ ही अंधभक्त जाटों से अनुरोध करना चाहूंगा कि भाई राजकुमार सैनी को इन्होनें आपकी कौम पे भोंकने को छोड़ा, आप उसपे मौन हैं| जाट आरक्षण के नाम पर इन्होनें 18 जाट बालक गोलियों से भुनवा दिए और सैंकड़ों घायल करके हस्पतालों में पहुंचा दिए इसपे आप मौन हैं| खैर कोई नहीं पर, आपकी इतनी तो चलती होगी बीजेपी-आरएसएस में कि इतना रुकवा सको कि यह लोग अपनी कुंठावश जाटों को "अछूत व् चांडाल" कहना अब कम से कम 21वीं सदी में आ के तो छोड़ दें? अब जब हिन्दू यूनिटी और बराबरी की बातें हो रही हैं, तब तो छोड़ दें? या ऐसी भी क्या अंधभक्ति की पट्टी लपेटना आँखों पर कि यह विकिपीडिया तक पर आपको "चांडाल और अछूत" कहे जा रहे हैं और आप फिर भी इन्हीं में घुसे जा रहे हो?
खैर यह तो बात हुई उमा जी से और अंधभक्त जाट भाईयों से अपील करने की|
अब सुनो मैडम उमा चक्रवर्ती, आपने जाटों बारे क्या लिखा अपनी किताब में और क्या नहीं मुझे उसकी डिटेल में जाने की जरूरत नहीं क्योंकि इतना तो पता लग ही गया कि आपने जाटों को चांडाल और अछूत लिखा है; तो इससे ज्यादा बुरा तो जाटों का आपने और लिखा भी क्या होगा, जो भी लिखा होगा इससे छोटा ही लिखा होगा| परन्तु इससे दलित-पिछड़े भाईयों को खासकर उनको जो जाट से जाति-वर्ण पे भेद कर रहे हैं, इतना तो सन्देश जायेगा कि आपका यह भेद व्यर्थ है, मनुवादियों ने आपके कान भरे हैं इसलिए आप ऐसा कर रहे हैं|
उमा चक्रवर्ती, आपको पता है कोई इंसान किसी को "अछूत वा चांडाल" क्यों कहता है? वो मेरी दादी जी बताया करती थी कि जब कोई इंसान आपके काबू से बाहर का हो और वो आपकी एक ना सुनता हो और उससे भी बड़ी बात इस सबके बावजूद जब आप उसका बाल (मुझे माफ़ करना परन्तु आपने जो शब्द प्रयोग कर रखे हैं उसके आगे यह शब्द कुछ भी नहीं) तक नहीं उखाड़ सकते हो, तब ऐसी कुंठा में कहा जाने वाला शब्द है "चांडाल"। मुझे समझ नहीं आता कि वो सर छोटूराम वाली बोलना सीखने की जरूरत जाटों को ज्यादा है या इन उमा चक्रवर्ती जैसों को? शायद हम इनका जवाब नहीं देते, इसलिए यह अपने बोलने को सभ्य मान बैठते हैं, वर्ना वास्तव में सबसे बदजुबान तो यह मंडी-फंडी ही होते हैं और उसी जमात से आती हैं यह मैडम उमा चक्रवर्ती|
अब अछूत शब्द की सुनिए मैडम, "अछूत" शब्द है किसी को साइकोलॉजिकल प्रेशर (psychological pressure) देने के तहत "सोशल पृथक्करण" (social deprivation) के भय में डाल के उससे अपनी मनमानी करवाना| जो कि जाटों पे आपके जातिभाई यानि मनुवादियों का कभी चला नहीं| हाँ दलितों-शूद्रों पर चला, परन्तु जाटों पर नहीं| जाटों ने तो तुम्हें ताक पे रख के बुद्ध धर्म खड़ा कर दिया, सिख धर्म खड़ा कर दिया, बिश्नोई पंथ खड़ा कर दिया; सो भला ऐसे निडर और स्वछन्द लोग अछूत हो सकते हैं क्या? हाँ, उनके लिए जरूर हो सकते हैं जिनके ढोंग-पाखण्ड का भांडा फोड़, उनको समाज को दूषित करने से दूर रखा| जाटों ने जब बुद्ध धर्म खड़ा किया, उसी की कुंठा में तो आपकी बिरादरी वालों ने जाटों को चांडाल कहना शुरू किया था, कि ना तो यह हमारे काबू के और ना हम इनका कुछ उखाड़ सकते; सो कह दो इनको "चांडाल"।
आठवीं सदी में जब ब्राह्मण राजा दाहिर ने जाटों पे यह शब्द थोंपने की कोशिश करी (इससे पहले यह शब्द दलित-शूद्रों के लिए होते आये) तभी के तभी उसको जाटों की हाय और श्राप दोनों लगे और मुहम्मद बिन कासिम आ के उसकी सौड़ सी भर गया| जानती हो ना सौड़ सी भरने का मतलब क्या होता है? पक्के से जानती होंगी, जब जाटों के स्टेटस बारे जानती हैं तो उनकी बोली बारे नहीं जानती होंगी| जाट का अपमान करके एक छोटी सी भी लड़ाई जीतने का इतिहास में माद्दा नहीं रहा कभी और चल पड़ते हैं जाटों को सोशल स्टेटस के सर्टिफिकेट बांटने|
अब मैं इतना सुनिश्चित करके जरूर चल रहा हूँ कि "आगला शर्मान्दा भीतर बड़ गया और बेशर्म जाने मेरे से डर गया|" वाली के तहत चुप नहीं बैठेंगे| हर बात का ताबड़-तोड़ जवाब आएगा, आप जैसे लोगों की ऐसी नीच हरकतों पे|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
Wikipedia Source where Jats are now mentioned as "Chandal" and "Achhoot", see its "Varna status" section: https://en.wikipedia.org/wiki/Jat_people
Chakravarti, Uma (2003) - Gendering caste through a feminist lens (1. repr. ed.)
जाटों को अछूत कहा जो आप जैसों द्वारा अच्युत न गिरने वाले/स्थिर का बिगाड़ा शबिद तथा चंडाल( चंड/फुर्तीले /उग्र तथा अल/योग्य का समास ) जाटों के विशेषणों को विकृत कर लिखा गया है lजिनसे सभी भयभीत रहते थ तथा इन्हें और तक्मा/रुद्र /ज्वर कहते थे l
No comments:
Post a Comment