Friday, 22 July 2016

फसल बीमा की उगाही लाइफ-इंस्योरेंस और व्हीकल-इंस्योरेंस की तर्ज पर परन्तु भुगतान सरकारी मुआवजा तर्ज पर!

पीएम मोदी की फसल बीमा योजना कहती है कि यह बीमा यूनिट में मिलेगा, यूनिट यानि एक गाँव; मतलब बीमा भुगतान के तरीके वही सरकारी मुआवजा देने वाले परन्तु लेने का तरीका लाइफ-इंस्योरेंस और व्हीकल-इंस्योरेंस वाला|

मतलब बिजली का तार गिरने से या किसी भी वजह से एक गाँव की अगर 100-50 एकड़ जमीन की फसल जल गई तो बीमा नहीं मिलेगा| यानि बीमा लेना है तो या तो पूरे गाँव की फसल को आग लगाओ नहीं तो खुद फांसी पे लटक जाओ|

दूसरा अगर आपके गाँव में आपके खेतों से निकलते नदी-नहर-रजवाहे से पानी टूट गया और इस टूटन के आसपास के 100-50-500 एकड़ की फसल बहा ले गया, तो भी आपको बीमा नहीं मिलेगा| ऐसी हालत में उस बहाव को रोकने की बजाये इंतज़ार करो कि इतना फैले कि सारे गाँव यानि पूरी यूनिट की फसलों को लील जाए, तभी आपको बीमा मिलेगा|

पीएम मोदी, आरएसएस से अपील है कि "हिन्दू एकता और बराबरी" के सिद्धांत को या तो सही से अप्लाई करो, यानि जब तक पूरे एक शहर या कॉलोनी की कारों का एक्सीडेंट ना हो जाए, तब तक किसी एक कार वाले को इंस्योरेंस नहीं मिलेगा; या फिर किसी शहर-कॉलोनी-गाँव में कोई एक व्यक्ति मर जाए या उसकी दुर्घटना हो जाए तो उसको बीमा का लाभ नहीं मिलेगा; वो तभी मिलेगा जब या तो उस यूनिट यानि गाँव-शहर-कालोनी वाले सारे मर जाएँ या दुर्घटनाग्रस्त हो जाएँ| या फिर किसानों की फसलों का बीमा भी सिंगल कार और सिंगल लाइफ पैटर्न पर ही मिले, यूनिट के आधार पर नहीं|

पहले तो सरकारी मुआवजा मिलता था तो मान लिया जाता था कि चलो यह बीमा थोड़े ही है जो सिंगल एकड़ पर मिलेगा, परन्तु अब तो इसको बीमा का रूप बन दिया गया है तो फिर भी इसकी उगाही तो लाइफ-इंस्योरेंस और व्हीकल-इंस्योरेंस की तर्ज पर परन्तु भुगतान वही पुराने सरकारी मुआवजा वाली तर्ज पर?

परन्तु मुझे अहसास है और दुर्भाग्य है कि इन चिकने घड़ों पर इन व्याख्यानों का कोई असर नहीं होने वाला| इनके सिर्फ दो ही इलाज हैं एक तो 2019 में वोट की चोट और दूसरा इनकी दृष्टताएं यूँ ही बढ़ती रही और यही सिर्फ बातों के बोलों से ही पकाते रहे तो फिर इनके साथ "रैलियों में सीधे विरोध" के मोर्चे; जैसे कि अभी रोहतक में होने वाली सैनी की रैली के लिए जाटों ने बोल दिया कि या तो समस्त पिछड़ों की रैली करे, अन्यथा ऐसे सत्ता (कॉर्पोरेट और आरएसएस मेरी खोज के मुताबिक) के इशारे पर समाज को बाँटना बंद करे|

यानि इससे पहले यह लोग इस प्रकार के भेदभाव की जोंक आमजन पर चपेट-चपेट के आपका खून चूस डालें, इनको इनकी हैसियत दिखा दो| परन्तु इस हैसियत दिखाने की अवस्था तक एक असरदार तरीके से पहुंचना है तो 'अजगर' समूह के साथ-साथ तमाम किसान बिरादरी पहले एक होवे और सैनी-आर्य-यादव-राव-कम्बोज जैसे किसान जातियों से होते हुए भी किसान जातियों को बांटने वालों और धनखड़-बराला जैसे किसान जातियों को गुमराह करने वालों के मुंह थोबने यानि बंद करने से किसान वर्ग ही इसकी शुरुआत करे|

क्योंकि यह लोग अब हालात उस स्तर तक ले जाने पर आमादा हैं कि चुप रहे तो मर और बोले तो मर| तो जब इन्होनें किसान को मारना ही ठान लिया है तो बेहतर है कि आवाज बुलंद करके मरो, ताकि आपकी आगे वाली पीढ़ी तो सचेत हो जाए| समाज के वो तबके तो सचेत हो जाएँ, जो किसान के प्रति जिंदादिली रखते हैं, सौहार्द रखते हैं, श्रद्धा रखते हैं|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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