मनुवाद को परमात्मा का श्राप है कि
वो जाट की आत्मा दुखाये या जाट से सीधे टकराने की सोचे, तो उसमें हमेशा
मुंह की खायेगा| मेरी इस बात को सत्यापित करती कुछ ऐतिहासिक तारीखें:
1) "हिस्ट्री ऑफ़ हरयाणा" पुस्तक के लेखक सर के.सी. यादव अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि मनुवाद ने बुद्ध बने जाटों पर कहर बरपाया, जिसकी वजह से जब जाट ने मनुवाद को ललकारा तो ऐसा ललकारा कि उनके जौहर और विजय शैली से प्रभावित हो अरब के खलीफा ने गठवाले जाटों को तो उनके यहां की सर्वोच्च उपाधि "मलिक" दे, अपने बराबर का माना|
2) सातवीं सदी में जब राजा चच और उसके पुत्र दाहिर ने सिंध में जाटों पर अत्यधिक अत्याचार किये तो किये, साथ ही अरब के व्यापारियों से पंगा ले बैठा और इस पर मोहमद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण कर उसको हरा दिया| क्योंकि दाहिर ने जाटों पर कानून लगा रखा था कि जाट ना ही तो घोड़े की सवारी कर सकते और ना ही तलवार उठा सकते तो ऐसे में जब बिन कासिम आया तो जाट जैसी भीतरी ताकत उसी के कानून के चलते उसके साथ ना आ सकने की वजह से वो हार गया| यानि जाट की आत्मा दुखाई तो परमात्मा ने सीधी चोट मारी|
3) पानीपत की तीसरी लड़ाई के वक्त पूना के पेशवाओं ने महाराजा सूरजमल को धोखे से बंदी बनाने की सोची; उनके साथ विश्वासघात किया तो जाट जैसी ताकत पानीपत में साथ ना होने की वजह से मनुवाद ने ऐसी शिकस्त खाई कि कहावत चली, "बिन जाट्टां किसने पानीपत जीते!"
4) सर छोटूराम के साथ मिलकर किसान-दलित-पिछड़े के लिए कार्य करने की बजाये मनुवाद हमेशा उनकी राह में रोड़े अटकाता रहा परन्तु फिर भी सर छोटूराम यूनाइटेड पंजाब में लेनिन-मार्क्स-चे ग्वेरा से भी अव्वल दर्जे का समाजवाद लागू कर उसको सफल बना के गए| और यह लोग सिर्फ खड़े देखते रहने के सिवाय कुछ नहीं कर पाये|
5) सरदार भगत सिंह को फांसी तुड़वा के गांधी जैसे मनुवादियों ने उनके प्रभाव को कम करना चाहा, परन्तु उनकी लाख कोशिशों के बावजूद भी सरदार भगत सिंह भारत के तो सबसे बड़े देशभक्त कहलाते ही हैं, साथ-साथ विश्व में उनके नाम की अलग पहचान है|
6) फरवरी 2016 में जाटों को एकमुस्त ताकत के साथ दबाने और कुचलने की कोशिश की गई, परन्तु मुंह की खानी पड़ी|
7) ऐसा ही कुछ जाट खिलाडियों के साथ किया जा रहा है, परन्तु जिधर भी यह जाट खिलाडियों के दिल दुखा रहे हैं, वहीँ-वहीँ यह श्राप इनका पीछा करता है|
इसलिए मनुवाद को यह बात समझनी चाहिए कि तू दलित-पिछड़े यहां तक कि राजपूतों तक पर राज कर सकता है, उनको अपने वशीकरण में रख सकता है; परन्तु साथ ही यह मत भूल कि जाट के मामले में तुझे सीधा परमात्मा का श्राप है| जाट को तू परेशान जरूर कर सकता है, परन्तु पराजित नहीं| जाट को तू सिर्फ मूल शंकर तिवारी उर्फ़ महर्षि दयानन्द बनके, सत्यार्थ प्रकाश में "जाट जी" बोल जाट की स्तुति करके तो जीत सकता है, परन्तु जाट की आत्मा दुखा के या उसको आँखें दिखा के नहीं|
विशेष: इन तारीखों को पढ़ के जाट आश्वस्त हो कर हाथ-पे-हाथ धर कर ना बैठे, अपितु इन तारीखों से प्रेरणा लेवें और वर्तमान जाट पर चल रहे मनुवाद के दमनचक्र और जाट को अपनी भाईचारा बिरादरियों से अलग करने के इनके षड्यंत्रों को तोड़ने हेतु जागरूकता फैलाते रहें|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
1) "हिस्ट्री ऑफ़ हरयाणा" पुस्तक के लेखक सर के.सी. यादव अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि मनुवाद ने बुद्ध बने जाटों पर कहर बरपाया, जिसकी वजह से जब जाट ने मनुवाद को ललकारा तो ऐसा ललकारा कि उनके जौहर और विजय शैली से प्रभावित हो अरब के खलीफा ने गठवाले जाटों को तो उनके यहां की सर्वोच्च उपाधि "मलिक" दे, अपने बराबर का माना|
2) सातवीं सदी में जब राजा चच और उसके पुत्र दाहिर ने सिंध में जाटों पर अत्यधिक अत्याचार किये तो किये, साथ ही अरब के व्यापारियों से पंगा ले बैठा और इस पर मोहमद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण कर उसको हरा दिया| क्योंकि दाहिर ने जाटों पर कानून लगा रखा था कि जाट ना ही तो घोड़े की सवारी कर सकते और ना ही तलवार उठा सकते तो ऐसे में जब बिन कासिम आया तो जाट जैसी भीतरी ताकत उसी के कानून के चलते उसके साथ ना आ सकने की वजह से वो हार गया| यानि जाट की आत्मा दुखाई तो परमात्मा ने सीधी चोट मारी|
3) पानीपत की तीसरी लड़ाई के वक्त पूना के पेशवाओं ने महाराजा सूरजमल को धोखे से बंदी बनाने की सोची; उनके साथ विश्वासघात किया तो जाट जैसी ताकत पानीपत में साथ ना होने की वजह से मनुवाद ने ऐसी शिकस्त खाई कि कहावत चली, "बिन जाट्टां किसने पानीपत जीते!"
4) सर छोटूराम के साथ मिलकर किसान-दलित-पिछड़े के लिए कार्य करने की बजाये मनुवाद हमेशा उनकी राह में रोड़े अटकाता रहा परन्तु फिर भी सर छोटूराम यूनाइटेड पंजाब में लेनिन-मार्क्स-चे ग्वेरा से भी अव्वल दर्जे का समाजवाद लागू कर उसको सफल बना के गए| और यह लोग सिर्फ खड़े देखते रहने के सिवाय कुछ नहीं कर पाये|
5) सरदार भगत सिंह को फांसी तुड़वा के गांधी जैसे मनुवादियों ने उनके प्रभाव को कम करना चाहा, परन्तु उनकी लाख कोशिशों के बावजूद भी सरदार भगत सिंह भारत के तो सबसे बड़े देशभक्त कहलाते ही हैं, साथ-साथ विश्व में उनके नाम की अलग पहचान है|
6) फरवरी 2016 में जाटों को एकमुस्त ताकत के साथ दबाने और कुचलने की कोशिश की गई, परन्तु मुंह की खानी पड़ी|
7) ऐसा ही कुछ जाट खिलाडियों के साथ किया जा रहा है, परन्तु जिधर भी यह जाट खिलाडियों के दिल दुखा रहे हैं, वहीँ-वहीँ यह श्राप इनका पीछा करता है|
इसलिए मनुवाद को यह बात समझनी चाहिए कि तू दलित-पिछड़े यहां तक कि राजपूतों तक पर राज कर सकता है, उनको अपने वशीकरण में रख सकता है; परन्तु साथ ही यह मत भूल कि जाट के मामले में तुझे सीधा परमात्मा का श्राप है| जाट को तू परेशान जरूर कर सकता है, परन्तु पराजित नहीं| जाट को तू सिर्फ मूल शंकर तिवारी उर्फ़ महर्षि दयानन्द बनके, सत्यार्थ प्रकाश में "जाट जी" बोल जाट की स्तुति करके तो जीत सकता है, परन्तु जाट की आत्मा दुखा के या उसको आँखें दिखा के नहीं|
विशेष: इन तारीखों को पढ़ के जाट आश्वस्त हो कर हाथ-पे-हाथ धर कर ना बैठे, अपितु इन तारीखों से प्रेरणा लेवें और वर्तमान जाट पर चल रहे मनुवाद के दमनचक्र और जाट को अपनी भाईचारा बिरादरियों से अलग करने के इनके षड्यंत्रों को तोड़ने हेतु जागरूकता फैलाते रहें|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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