Thursday, 21 July 2016

जाट की पौराणिक उत्पत्ति में देखें कितना बड़ा विरोधाभाष है!

वर्ण-व्यवस्था आधारित जन्म की ब्राह्मण थ्योरी कहती है कि ब्राह्मण ब्रह्मा के मुख से, क्षत्रिय भुजाओं से, वैश्य उदर यानि पेट से और शुद्र पैरों से पैदा हुए?

अब वैसे तो आजतक यह लोग जाट का वर्ण ही नहीं बता पाए, फिर भी ब्राह्मण तो कहता है कि जाट शुद्र हैं, परन्तु कई खामखा के घमण्ड में और खुद को इस वर्ण-व्यवस्था के ऊपरली भाग में जोड़ने के लोभ वाले जाट कहते हैं कि वो क्षत्रिय हैं। जबकि एक थ्योरी यह भी कहती है कि जाट इस वर्ण-व्यवस्था का हिस्सा ही नहीं या कहो कि जाट अलग से पांचवा वर्ण माना जाता है। और एक थ्योरी यह भी कहती है कि क्योंकि खेती करने वाले समुदाय को वैश्य माना गया तो जाट वैश्य है। खैर जो भी है क्षत्रिय हो, वैश्य हो या शुद्र हो; इसके आगे की घचल-मचल वाली सुनो।

शिवजी की जटाओं से जाट की उत्पत्ति वाली थ्योरी कहती है कि जाट शिवजी की जटाओं से उत्पन हुआ है? जबकि सब जानते हैं कि जटाओं से जूं के अलावा एक चींटी भी उत्पन नहीं हो सकती।

हाँ एक तथ्य जरूर निकल के और आया है कि शिवजी भगवान् जाटों के सीथियन ओरिजिन वाली थ्योरी के इनके अपने पूर्वज राजा दादा ओडिन - दी वांडर्र हैं|

खैर, बाकी बातों की बात तो फेर की बात, फिलहाल मुझे कोई यह समझा दे कि जाट ब्रह्मा की भुजाओं से पैदा हुआ तो फिर शिवजी की जटाओं से कैसे हुआ? और अगर शिवजी की जटाओं से हुआ तो क्षत्रिय कैसे हुआ, क्योंकि क्षत्रिय तो सिर्फ वो हैं जो ब्रह्मा की भुजाओं से पैदा हुए?

मेरा अवलोकन तो यही कहता है कि जाट ना ब्रह्मा से पैदा हुआ और ना शिवजी से, परन्तु हाँ शिवजी जो हैं वो जाट के सीथियन ओरिजिन वाली थ्योरी के दादा ओडिन जरूर हैं। और इन्हीं के चरित्र को कॉपी करके भारत में इनका रूप बदल के शिवजी की माइथोलॉजी घड़ दी गई है।

विशेष: इस थ्योरी में किसी की आलोचना या बुराई जैसा कुछ नहीं, कोरे तार्किक सवाल हैं; भावनाओं में बहकर बहस करने वाले कृपया इस पोस्ट से दूर रहें।

जय यौद्धेय! - जय दादा ओडिन उर्फ़ शिवजी महाराज! - फूल मलिक

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