Thursday, 21 July 2016

यह है मनुवाद यानी मंडी-फंडी की कमाई का शिकंजा!

वो कैसे वो ऐसे: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा है कि उनके यहां के जिला सिहोर में किसान आर्थिक तंगी से नहीं अपितु भूत-प्रेत बाधाओं के चलते कर रहे हैं आत्महत्या|

वाह क्या लॉजिक है सीएम साहब, भूत के चलते किसी का हार्ट-अटैक होते सुना था, या किसी को भूत ने मार डाला यह सुना था; अब भूतों की वजह से किसान आत्महत्या भी करने लगे? वैसे यह भूत सूदखोर कब से बन गए, क्योंकि किसान आत्महत्या तो अधिकतर सूदखोरों से तंग हो के ही करते है?

क्या किसान-पिछड़ा-दलित समझे कि एक मुख्यमंत्री के स्तर के आदमी के मुख से, एक ऐसे आदमी के मुख से जिसके जिम्मे समाज से ढोंग-पाखंड-आडम्बर हटवाने की जिम्मेदारी है वो ही समाज को ढोंग-आडम्बर में क्यों धकेल रहा है?

अजी नेक्सस है पूरा, मुख्यमंत्री यह बात कहेगा तो भोले लोगों को बहम होयेगा कि कहीं वाकई में तो भूत-प्रेत का चक्कर नहीं? ऐसे में वो किसके पास जायेगा? किसी काले-भगमे बाणे वाले तबीज-गण्डे वाले पाखंडी-ढोंगी के पास| फिर वो पाखंडी-ढोंगी उस केस को किसको रेफेर करेगा? अपने नाम की उसकी जेब काट के उससे ऊपर वाले के पास? वहाँ भी बात नहीं बनेगी तो उसको तीर्थयात्रा, फलानि यात्रा, सवामणी, जगराता, भंडारा आदि-आदि करने को बोलेगा|

उससे क्या होगा? उससे मंडी में बैठे इन फण्डियों के भाईयों की दुकानों का सामान बिकेगा| वहाँ से इनको कमीशन आएगा और इस तरह किसान एक ऐसे कुचक्र में फंसा दिया जायेगा कि मंडी-फंडी मुफ्त की रोटी तोड़ेंगे और किसान के पास सिर्फ इतना छोड़ेंगे कि उसके सिर्फ प्राण चलते रहें और इनके हांडे से पेट दिन-भर-दिन बढ़ते ही बढ़ते रहें|

पता नहीं देश किस गर्त के रसातल में जा रहा है| इन तथाकथित राष्ट्रवादी नेताओं से देश का जितना जल्दी पिंड छूटे, देश को उतनी ही राहत मिले; क्योंकि जहां राष्ट्रवाद आ गया समझो वहाँ अधिनायकवाद आ गया और अधिनायकवाद नाम है सर झुकाये बिना सवाल-जवाब किये अनुसरण करते रहना| भेड़चाल चलते रहना|

पगड़ी संभाल किसान्ना, दुश्मन पहचान किसान्ना!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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