Thursday, 4 August 2016

नानक देखा, महावीर देखा, बुद्ध देखा, दादा खेड़ा देखा, देखा ईसा और अल्लाह!

नानक देखा, महावीर देखा, बुद्ध देखा, दादा खेड़ा देखा, देखा ईसा और अल्लाह,
ना ये बहूबुझा हैं, ना कांधे कोई हथियार, ना ही किसी जानवर पे सवार!
ना यह अपने धर्म के अंदर जातिवाद और वर्णवाद बतलाते,
ना ही खुद कहीं जाट बनाम नॉन-जाट और 35 बनाम 1 रचवाते|
ना तू मुख से, तू भुजा से, तू उदर से और तू पैर से पैदा हुआ बताते,
धर्म के अंदर इनमें से कोई आपस में वर्गीकृत करते नहीं देखा|
यह दुश्मन भी बताते हैं, किसी को मरवाते-भिड़ाते भी हैं तो खुद के धर्म के बाहर वालों के साथ;
तो क्या जो जातिवाद और वर्णवाद फैलाते हैं, यह वाकई में धर्म जानते भी हैं या सिर्फ धर्म शब्द को हाईजैक कर रखा है?

आखिर पूरे विश्व में यही अनोखे ऐसे क्यों हैं कि यह विश्व के धर्मों की किसी परिभाषा के अनुरूप हैं ही नहीं?
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

No comments: