Thursday, 15 September 2016

सर छोटूराम जी ने दिया था ताऊ देवीलाल को उनकी लिगेसी संभालने का अवसर, परन्तु उस वक्त ताऊ इसको भांपने से चूक गए!

अगस्त, 1944 में सर छोटूराम व् अलखपुरा से चौधरी लाजपत राय, चौटाला गाँव में ताऊ देवीलाल और उनके बड़े भाई साहिबरामजी को कांग्रेस छोड़ उनकी यूनियनिस्ट पार्टी उर्फ़ जमींदारा लीग में शामिल करने पहुंचे थे; परन्तु ताऊ ने सादर इंकार कर दिया था|

सर छोटूराम जो बात ताऊ जी को 1944 में समझाना चाह रहे थे, वो समझते-समझते ताऊ जी को 1971 आ गया, जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी|

शायद विधाता ही नहीं चाहता था, वर्ना अगर ताऊ ने सर छोटूराम जी की समय रहते सुन ली होती तो क्या पता यूनियनिस्ट पार्टी उर्फ़ जमींदारा लीग को इसका उत्तराधिकारी आसानी से प्राप्त हो जाता| और जो कार्य सर छोटूराम के जाने के बाद अधूरे छूट गए व् खासकर यूनाइटेड पंजाब और देश के टुकड़े हो गए, यह भी ना हुए होते|

हालाँकि कांग्रेस से अलग होने के बाद ताऊ जी ने किसानों-दलितों के लिए बहुत सारे कार्य किये, लुटेरों को ताक पर रखते हुए कमेरों के लिए बहुत सारे कानून व् योजनाएं बनवाई और देश के राष्ट्रीय ताऊ कहलाये|

जय यौधेय! - फूल मलिक

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