Tuesday, 6 September 2016

गलियों में उतरने से पहले हर यौद्धेय को, अपने घर-रिश्तेदारी से लड़ाई जीतनी होगी!

अपने-अपने घरों-रिश्तेरदारों के घर और दिमाग की दीवारों से अंधभक्ति और इसके प्रतीक मिटाने होंगे|
हर यौद्धेय को मिशनरी की तरह, बिना शोर मचाये अपने पास-पड़ोस में फैली पाखंड की स्याही मिटानी होगी।
किसी से लड़ो ना, झगड़ो ना, बस उनको समझाओ; समझो कि अगर उनको अपनी बात समझाने में कामयाब हो गए और आपके अपने आपके साथ हो गए तो दो तिहाई लड़ाई तो यूँ ही जीत ली जायेगी।

यह मत समझो कि मंडी-फंडी की तुम यौद्धेयों पर नजर नहीं है, उसकी नजर भी है और तुम्हारे घर-परिवार तक पहुँच भी। तुम्हें भान भी नहीं होगा कि किन-किन प्रपंचों से वो तुम्हें अपने घरवालों को अपनी बातें समझने/समझाने से रोक रहे होंगे, दिन-रात काम कर रहे होंगे।

बस इनकी यह पहुँच पहले अपने-अपने घरों से खत्म कर दो, फिर सड़कों पर उत्तर कर लड़ने की लड़ाई तो औपचारिकता मात्र रह जाएगी।

और इस पहुँच को खत्म करना है तो इसको बनाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले भय-अविश्वास-लालच के इनके प्रपंच समझ के उनको काटना होगा। हर यौद्धेय को समझना होगा कि शस्त्र से ज्यादा बुद्धि की कुटिलता की लड़ाई है यह।

इसीलिए निरन्तर इन प्रपंचों की तहें उधेड़ने की ओर अग्रसर रहो। अपने-अपने घर-परिवार से इन पाखण्डों को उखेड़ने की कहानियां अपने यौद्धेय साथियों से साझी करते रहो।

दो तिहाई काम है ही यह, इसके बाद तो जो होगा, वो सड़कों पर होगा और सड़कों पर आने से पहले अपने-अपने घरों-रिश्तेदारियों-पड़ोसियों पर किया गया आपका यह होमवर्क ही आपको डिस्टिंक्शन के साथ सड़क वाली लड़ाई में उत्तीर्ण करेगा।

वैसे भी जब तक हमारे प्रमुख यौद्धेय साथी जेलों में हैं, तब तक अपने समय, सोच और ऊर्जा का इससे उचित उपयोग कुछ और शायद ही हो।

इंग्लिश सीखो, बोलो, समझो। उच्च-से-उच्च पढाई करो; जो यूनियनिस्ट से विपरीत विचारधारा का हो और अनजान हो उससे जिरह मत करो; बल्कि उसको पता भी मत लगने दो कि आप किस सोच का प्रतिनिधित्व करते हो। बस चुपचाप शांत चित से उसकी गतिविधियों और सोच को ऑब्जर्व करते रहो; ताकि फिर उसको सोच के इर्दगिर्द अपनी सोच की काट का जाल बुन उसको उसमें घेर सको।

कोई घरवाले या रिश्तेदार आपकी बात नहीं भी मानें तो उदास मत होना| एक मना पाए और दूसरा ना मना पाए तो आपस में उपहास मत उड़ाना; बल्कि उसकी परिस्तिथि और घरवालों की सोच को समझ के उसका मिलके हल निकालना।

समझ लेना जितने घर मंडी-फंडी की सोच और पहुँच से आज़ाद करा लिए, उतना ही सर छोटूराम जी की सोच वाली यूनियनिस्ट सत्ता की ओर कदम बढा लिए।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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