सिस्टर स्टेट्स और खासकर मुम्बई में मराठों और ठाकरों से पिट के आये,
हरयाणा-वेस्ट यूपी-एनसीआर में बैठे मीडिया के कुछ सरफिरे; स्थानीय
संस्कृति-सभ्यता-मान-मान्यत ा
को घाव देने की हद तक कुरेदने और अपमानित करने का वही वहियातपना अपनाने से
बाज नहीं आ रहे हैं जो एक ठाकरे खड़ा करने या स्थानीय लोगों को मनसे के रूप
में एकजुट कर ऐसे लोगों को पीटने-भगाने की वजहें बनते हैं|
ताज्जुब की बात तो यह है कि सरकार और देश के कानून के पास इन चीजों पर सर्विलियंस टीमें और सिस्टम व् मुम्बई में उत्तरी भारतियों को नफरत करने व् पीटने के सब अनुभव होने पर भी, इन मीडिया वालों को मर्यादा लांघने के नोटिस या ऐसा ना करने की हिदायतें देते नहीं दिख रहे| सरकार तो छोड़ो, देश के कोर्ट-कानून की भी तो कोई जिम्मेदारी बनती है कि सामाजिक मान-मर्यादा रुपी ताँगे में जुते इस मीडिया रुपी घोड़े की लगाम खींचे और सही दिशा में इनको रखें? क्या यह बताने का काम भी सड़क किनारे खड़ी सवारियों का है कि देखो घोडा बेढंगा चल रहा है, इसको सही से लगाम में रखो?
अब इस महाबकवाद न्यूज़ बनाने वाले से कुछ सवाल; यह जो भी एबीसी पत्रकार है, जिस किसी भी एक्सवाईजेड मीडिया एजेंसी से है, इससे कुछ व्याख्याओं समेत सीधे-सीधे सवाल:
1) क्या कभी सालिसी पंचायतों ने भारतीय इतिहास के किसी भी युद्ध में भाग लिया है?
2) क्या बाबर-लोधी-रजिया जैसे हरयाणा सर्वखाप के ऐतिहासिक चबूतरे सोहरम, पर शीश नवाने कोई मुग़ल सालिसी पंचायतों के यहां हो के गया है? सर्वखाप हरयाणा के पास यह ऐसा इकलौता शाहकार और सम्मान है जो किसी अन्य पंचायती संस्था और सिस्टम तो छोड़ो, देश के किसी मंदिर के भी नसीब में नहीं|
3) क्या सालिसी पंचायतों के पास आज भी पहलवानी दस्ते और एक आवाज पर आर्मी की आर्मी खड़ा कर देने का कोई सिस्टम है? हरयाणा सर्वखाप के पास है, एक बार आह्वान भी दे देवें कि देश को आपकी सेवा की जरूरत है तो हजारों-हजार युवक-युवतियां पूरी तैयारी के साथ इकठ्ठा हो जाएँ?
4) क्या इन सालिसी पंचायतों के पास सर्वखाप हरयाणा की भांति पूरी हैररकी है?
5) क्या इन सालिसी पंचायतों के पास अंग्रेजों से लड़ाई करने का कोई इतिहास है, हरयाणा सर्वखाप के पास है|
6) सर्वखाप पंचायत बाकायदा ऑफिसियल चिठ्ठी भेजकर बुलाई गई मीटिंग होती है, जिसकी बाकायदा मिनट ऑफ़ मीटिंग का रिकॉर्ड रखा जाता है; क्या इन सालिसी पंचायतों में ऐसा कोई सिस्टम है?
7) खाप पंचायतें समय-समय पर ढोंग-पाखंड-आडम्बरों के खिलाफ समाज के भले हेतु गाइडलाइन्स और डायरेक्शन्स इशू करती हैं, क्या यह सालिसी पंचायतें ऐसा करती हैं?
8) कहीं ऐसा तो नहीं यह हिन्दू धर्म के सवर्ण लोगों की वो टिपिकल संस्था हो जो समाज के दलितों-पिछड़ों को अपनी नकेल में रखने हेतु होती हों? सनद, रहे हरयाणा सर्वखाप का ऐसा कोई इतिहास नहीं, कोई मीटिंग का रिकॉर्ड नहीं, मौका नहीं; जब उसने सर्वसमाज की बात ना करके, मात्र दलित-पिछड़ा ही कैसे रहे, इसपे कोई बात करी हो| सर्वखाप बात करती रही है तो सर्वसमाज की, उसमें फिर क्या ब्राह्मण, क्या जाट और क्या दलित| तो क्या सालिसी पंचायतें भी इसी तरह का फॉर्मेट हैं?
ओ सभ्यता और संस्कृति के लुटेरे, ओ इस अख़बार की कटाई के लेखक; आप मुझे यह बताईये| जब मोदी यह कहे कि किसी पंचायत स्तर पर कुछ बुरा हो जाए तो उसके लिए मोदी जिम्मेदार कैसे हो सकता है, जब किसी मोहल्ला स्तर पर कुछ गड़बड़ हो जाए, उसके लिए मोदी जिम्मेदार कैसे हो सकता है; तो इसी तरीके से हरयाणा के किसी घर में कोई हॉनर किलिंग कर दे, या 2-4-10-5 जन का समूह किसी गांव के किसी कोने में अ ब स किस्म की किसी भी आपसी रंजिस के चलते, एक दूसरे के खिलाफ कोई कदम उठा ले; तो खाप या सर्वखाप उसके लिए कैसे जिम्मेदार हो सकती है? इस देश में सरकारी अदालतों के 3 करोड़ से ज्यादा मामले लटक रहे हैं, तो क्या कभी बोलते हो कि देश का सुप्रीम कोर्ट इसके लिए जिम्मेदार है?
विशेष: मैं इस पत्रकार से इस विषय पर वन-टू-वन डिबेट करना चाहूंगा| यह बन्दा या बन्दी आप में से जिस किसी की भी जानकारी या नेटवर्क में होवे तो इसको मेरे इस जवाब समेत, डिबेट बारे निमन्त्रण का आह्वान जरूर देवें| इसके लिए आपकी अति कृपया होगी| वरना ऐसी "सिंह ना सांड और गीदड़ गए हांड!" की इनके ही द्वारा बनाई गई परिस्थिति में होनी होने को होती है और ऐसे में लगे हाथों इनको एक और बहाना मिल जायेगा स्थानीय हरयाणवी सभ्यता को कोसने का| मैं चाहता हूँ कि इस लेखक के साथ ऐसी नौबत ना आवे, इसलिए यह इस विषय पर मुझसे डिबेट कर ले|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
ताज्जुब की बात तो यह है कि सरकार और देश के कानून के पास इन चीजों पर सर्विलियंस टीमें और सिस्टम व् मुम्बई में उत्तरी भारतियों को नफरत करने व् पीटने के सब अनुभव होने पर भी, इन मीडिया वालों को मर्यादा लांघने के नोटिस या ऐसा ना करने की हिदायतें देते नहीं दिख रहे| सरकार तो छोड़ो, देश के कोर्ट-कानून की भी तो कोई जिम्मेदारी बनती है कि सामाजिक मान-मर्यादा रुपी ताँगे में जुते इस मीडिया रुपी घोड़े की लगाम खींचे और सही दिशा में इनको रखें? क्या यह बताने का काम भी सड़क किनारे खड़ी सवारियों का है कि देखो घोडा बेढंगा चल रहा है, इसको सही से लगाम में रखो?
अब इस महाबकवाद न्यूज़ बनाने वाले से कुछ सवाल; यह जो भी एबीसी पत्रकार है, जिस किसी भी एक्सवाईजेड मीडिया एजेंसी से है, इससे कुछ व्याख्याओं समेत सीधे-सीधे सवाल:
1) क्या कभी सालिसी पंचायतों ने भारतीय इतिहास के किसी भी युद्ध में भाग लिया है?
2) क्या बाबर-लोधी-रजिया जैसे हरयाणा सर्वखाप के ऐतिहासिक चबूतरे सोहरम, पर शीश नवाने कोई मुग़ल सालिसी पंचायतों के यहां हो के गया है? सर्वखाप हरयाणा के पास यह ऐसा इकलौता शाहकार और सम्मान है जो किसी अन्य पंचायती संस्था और सिस्टम तो छोड़ो, देश के किसी मंदिर के भी नसीब में नहीं|
3) क्या सालिसी पंचायतों के पास आज भी पहलवानी दस्ते और एक आवाज पर आर्मी की आर्मी खड़ा कर देने का कोई सिस्टम है? हरयाणा सर्वखाप के पास है, एक बार आह्वान भी दे देवें कि देश को आपकी सेवा की जरूरत है तो हजारों-हजार युवक-युवतियां पूरी तैयारी के साथ इकठ्ठा हो जाएँ?
4) क्या इन सालिसी पंचायतों के पास सर्वखाप हरयाणा की भांति पूरी हैररकी है?
5) क्या इन सालिसी पंचायतों के पास अंग्रेजों से लड़ाई करने का कोई इतिहास है, हरयाणा सर्वखाप के पास है|
6) सर्वखाप पंचायत बाकायदा ऑफिसियल चिठ्ठी भेजकर बुलाई गई मीटिंग होती है, जिसकी बाकायदा मिनट ऑफ़ मीटिंग का रिकॉर्ड रखा जाता है; क्या इन सालिसी पंचायतों में ऐसा कोई सिस्टम है?
7) खाप पंचायतें समय-समय पर ढोंग-पाखंड-आडम्बरों के खिलाफ समाज के भले हेतु गाइडलाइन्स और डायरेक्शन्स इशू करती हैं, क्या यह सालिसी पंचायतें ऐसा करती हैं?
8) कहीं ऐसा तो नहीं यह हिन्दू धर्म के सवर्ण लोगों की वो टिपिकल संस्था हो जो समाज के दलितों-पिछड़ों को अपनी नकेल में रखने हेतु होती हों? सनद, रहे हरयाणा सर्वखाप का ऐसा कोई इतिहास नहीं, कोई मीटिंग का रिकॉर्ड नहीं, मौका नहीं; जब उसने सर्वसमाज की बात ना करके, मात्र दलित-पिछड़ा ही कैसे रहे, इसपे कोई बात करी हो| सर्वखाप बात करती रही है तो सर्वसमाज की, उसमें फिर क्या ब्राह्मण, क्या जाट और क्या दलित| तो क्या सालिसी पंचायतें भी इसी तरह का फॉर्मेट हैं?
ओ सभ्यता और संस्कृति के लुटेरे, ओ इस अख़बार की कटाई के लेखक; आप मुझे यह बताईये| जब मोदी यह कहे कि किसी पंचायत स्तर पर कुछ बुरा हो जाए तो उसके लिए मोदी जिम्मेदार कैसे हो सकता है, जब किसी मोहल्ला स्तर पर कुछ गड़बड़ हो जाए, उसके लिए मोदी जिम्मेदार कैसे हो सकता है; तो इसी तरीके से हरयाणा के किसी घर में कोई हॉनर किलिंग कर दे, या 2-4-10-5 जन का समूह किसी गांव के किसी कोने में अ ब स किस्म की किसी भी आपसी रंजिस के चलते, एक दूसरे के खिलाफ कोई कदम उठा ले; तो खाप या सर्वखाप उसके लिए कैसे जिम्मेदार हो सकती है? इस देश में सरकारी अदालतों के 3 करोड़ से ज्यादा मामले लटक रहे हैं, तो क्या कभी बोलते हो कि देश का सुप्रीम कोर्ट इसके लिए जिम्मेदार है?
विशेष: मैं इस पत्रकार से इस विषय पर वन-टू-वन डिबेट करना चाहूंगा| यह बन्दा या बन्दी आप में से जिस किसी की भी जानकारी या नेटवर्क में होवे तो इसको मेरे इस जवाब समेत, डिबेट बारे निमन्त्रण का आह्वान जरूर देवें| इसके लिए आपकी अति कृपया होगी| वरना ऐसी "सिंह ना सांड और गीदड़ गए हांड!" की इनके ही द्वारा बनाई गई परिस्थिति में होनी होने को होती है और ऐसे में लगे हाथों इनको एक और बहाना मिल जायेगा स्थानीय हरयाणवी सभ्यता को कोसने का| मैं चाहता हूँ कि इस लेखक के साथ ऐसी नौबत ना आवे, इसलिए यह इस विषय पर मुझसे डिबेट कर ले|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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