Wednesday 19 October 2016

कई बार द्वेष-घृणा के अतिरेक में इंसान सच्ची बात भी बोल जाता है!

जाट ने अत्याचार, ना किसी का सहा और ना सराहा; अत्याचारी को ना बढ़ाया ना पनपाया| वरन ऐसे लोगों में सूदखोर हुए तो उनकी बहियाँ (बही-खाते) फाड़ी और ढोंगी-पाखंडी हुए तो उनके टाकणे छांगे|

बता, राजकुमार सैनी तक इस बात को मानता है| बस एक बीजेपी-आरएसएस के पीछे अंधभक्त बने फिर रहे जाटों को पता नहीं यह कब समझ आएगी कि आप सूदखोर-ढोंग-पाखंड को फैलाने वालों को समर्थन दे रहे हो, बढ़ावा दे रहे हो|

आँखें खोलो भगत बने जाटो, मत तोड़ो ऐसी रीत को; जिसकी कि राजकुमार सैनी जैसा आपका घोरतम आलोचक तक कुरुक्षेत्र में महाराजा अग्रसेन की जयंती समारोह में जिक्र चलाता हुआ कहता है कि "जाट वो हैं जो बहियाँ तक फूंक डालते थे!"।

देखो, आलोचक की महफ़िल में भी जिक्र होता है तो आपका किस ख़ास बात के लिए, भले ही फिर वो इस समाज के भले काम की बात में भी कोसने के बहाने आपका जिक्र उठाता हो|

धन्यवाद राजकुमार सैनी आपका, समाज में यह पुख्ता करने के लिए कि जाट ने सूदखोर छोड़ा ना, ना छोड़ा ढोंगी-पाखंडी|

इसके साथ अब समाज से यह मिथ्या-प्रचार की बात भी धुल जाएगी कि जाट सिर्फ गरीब-मजलूम पर अत्याचार करना जानता है| नहीं, अपितु जाट तो शक्तिशाली से भी शक्तिशाली की बही फाड़ना और टाकणे छांगना जानता आया है| इसीलिए तो जिधर देखो, उसका राज होने पर भी उस पर सिर्फ जाट के ही खौफ का सरमाया है| जो न्यूकर उसने जाट बनाम नॉन-जाट का दौर-ए-जिक्र, आते ही चलाया है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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