महाराजा सूरजमल जी की जिंदगी से मुझे जो सबसे बड़ा सबक मिलता है वो यह कि
कुटिलता-शियारी-षड्यन्त्र का उतना ही विरोध करो जितने से आपका बचाव हो सके|
कुटिल के रास्ते से हट जाओ, इससे उसके दो हश्र होंगे; या तो उससे भी शातिर
से टकरा के ध्वस्त हो जायेगा या फिर अपनी ही कुटिलता में कुढ़-कुढ़ मर
जायेगा| और आपके दो फायदे होंगे, एक तो आपकी ऊर्जा बची रहेगी, दूसरी आप उसी
शातिर को बाद में उस पर अहसान कर उसको दोहरी मार मारने के काबिल रहोगे|
पूना के पेशवा बाजीराव के छोटे भाई व् सदाशिवराव भाऊ की महाराजा सूरजमल को अब्दाली के खिलाफ "जाट-मराठा अलायन्स" बना के लड़ने की बात की आड़ में वार्ता के लिए बुला के बन्दी बनाने और फिर पूरी जाट-सेना को पानीपत में इस्तेमाल करने की इनकी कुटिलता को जाट-सुरमा पल में भांप गया था| परन्तु उस अफलातून ने इसका विरोध करने की बजाये, चुप्पी खींचना बेहतर समझा| अपनी ताकत को पेशवाओं की महत्वाकांक्षा की पूर्ती का साधन नहीं बनने दिया| उस सुजान के धैर्य और सन्तोष का परिणाम यह हुआ कि उसको बन्दी बनाने का सपना लेने वाले, पानीपत में घायल व् पराजित हो, उसी के दर पर फर्स्ट-ऐड पाए| और इस तरह पीढ़ियों-सदियों-शताब्दियों तक अपनी जमातों को उस जाट का ऋणी खुद ही बना गए|
आज के दिन, ठीक ऐसी ही रणनीति पूना के पास ही के नागपुरी राष्ट्रवादियों के साथ करने का वक्त आया है| आरएसएस/बीजेपी लाख उकसावे परन्तु उकसना मत; बल्कि इनके लिए अब्दाली का इंतज़ार करना| और अब्दाली अबकी बार भारत में ही है, इनकी जातिवाद और वर्णवाद की नीति में ही है| वो धीरे-धीरे विकराल रूप ले रहा है और इनको डंसने की ओर अग्रसर है; परन्तु यह उसको "जाट बनाम नॉन-जाट" के रूप में आपकी तरफ मोड़ने की फिराक में हैं; बच के रहना| संयम धारे रहना|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
पूना के पेशवा बाजीराव के छोटे भाई व् सदाशिवराव भाऊ की महाराजा सूरजमल को अब्दाली के खिलाफ "जाट-मराठा अलायन्स" बना के लड़ने की बात की आड़ में वार्ता के लिए बुला के बन्दी बनाने और फिर पूरी जाट-सेना को पानीपत में इस्तेमाल करने की इनकी कुटिलता को जाट-सुरमा पल में भांप गया था| परन्तु उस अफलातून ने इसका विरोध करने की बजाये, चुप्पी खींचना बेहतर समझा| अपनी ताकत को पेशवाओं की महत्वाकांक्षा की पूर्ती का साधन नहीं बनने दिया| उस सुजान के धैर्य और सन्तोष का परिणाम यह हुआ कि उसको बन्दी बनाने का सपना लेने वाले, पानीपत में घायल व् पराजित हो, उसी के दर पर फर्स्ट-ऐड पाए| और इस तरह पीढ़ियों-सदियों-शताब्दियों तक अपनी जमातों को उस जाट का ऋणी खुद ही बना गए|
आज के दिन, ठीक ऐसी ही रणनीति पूना के पास ही के नागपुरी राष्ट्रवादियों के साथ करने का वक्त आया है| आरएसएस/बीजेपी लाख उकसावे परन्तु उकसना मत; बल्कि इनके लिए अब्दाली का इंतज़ार करना| और अब्दाली अबकी बार भारत में ही है, इनकी जातिवाद और वर्णवाद की नीति में ही है| वो धीरे-धीरे विकराल रूप ले रहा है और इनको डंसने की ओर अग्रसर है; परन्तु यह उसको "जाट बनाम नॉन-जाट" के रूप में आपकी तरफ मोड़ने की फिराक में हैं; बच के रहना| संयम धारे रहना|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
No comments:
Post a Comment