इनके बहकावे में आने से पहले आम हरयाणवी समझे इसको अच्छे से|
सबसे पहले समस्त हरयाणावासियों से एक अपील:
सलंगित अख़बार की कटिंग में न्यूज़ वाले जैसे लोगों ने (जिनमें इन महाशय के दादा जगत नारायण चोपड़ा का नाम टॉप में आता है) ने पहले पंजाब को तबाह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और अब ये हरियाणा के लोगों के भाईचारे में आग लगाकर हरियाणा बर्बाद करना चाहते हैं| इसलिए सभी हरियाणा वासियों से विनम्र अपील है कि हरियाणा को बचाने के लिए पंजाब केसरी अखबार का बायकाट करें।
अब बात कि कैसे अरोड़ा/खत्री समुदाय इसके लीडरों के जरिये (क्योंकि आम अरोड़ा/खत्री शांतिप्रिय है, इसलिए इस लेख में बात भी सिर्फ अश्वनी चोपड़ा जैसे लोगों पर ही होगी) आरएसएस द्वारा दूसरी बार फिर से यूज किया जा रहा है:
अश्वनी चोपड़ा जैसे लोग, खुद को पंजाब में "हिन्दू अरोरा-खत्री" लिखवाते हैं, और पंजाब के बाहर जैसे कि हरयाणा, यहां पंजाबी लिखवाते हैं| इनके (हालाँकि खेलती आरएसएस है इनके जरिये, परन्तु यह इसको इनकी ढेढस्यानपट्टी मानते हैं) खेल को समझें| तो ये ऐसे लोग हैं, जो जब आग लगेगी तो हरयाणा छोड़कर खुद तो गुजरात या नागपुर भाग जायेंगे (क्योंकि अश्वनी चोपड़ा जैसों की हरकतों ने जब पंजाब में आतंकवाद सुलगाया था तो पंजाब के पंजाबियों ने ही या तो इनको वहाँ से खदेड़ दिया था या यह खुद भाग आये थे और हरयाणा में शरण ली थी) और पीछे रह जायेगा नफरत की आग में जलता-धधकता हरयाणा| लेकिन इसका जो अंजाम भुगतना पड़ेगा वो एक आम भोले-भाले अरोड़ा/खत्री को। ये लोग आरएसएस के हाथों में खेलते हैं, जबसे आरएसएस बनी है तब से उसकी कठपुतली रहे हैं| आरएसएस इनको ले के हरयाणा में एक्सपेरिमेंट कर रहा है| आरएसएस चाहता है कि पंजाबी शब्द को ले के हरयाणवी और पंजाबी के बीच विवाद पैदा किया जाए|
यह, अश्वनी चोपड़ा महाशय, कभी कहता है कि "सभी गैर -जाट एक हो जाओ, वर्ना जाट दबा लेंगे", तो कभी कहता है कि सभी पंजाबी एक हो जाओ| कभी कहता है कि अगर हरयाणा में पंजाबी राज लाना है तो सारे पंजाबी एक हो जाओ| कभी फेंकता है कि पाकिस्तान से आ कर हमने मेहनत से सब जमाया| कभी दूसरों को नसीहत देता है कि मांग के नहीं, मेहनत से खाओ; जबकि खुद बैंको के सैंकड़ों करोड़ जब्त किये बैठा है| लेकिन जो यह नहीं कहते वो यह कि सब हरयाणवी एकता और बराबरी के साथ रहो| क्योंकि यह अभी तक भी खुद को पाकिस्तान से ही आया हुआ मान रहे हैं, क्यों भाई आपकी माता श्री ने आपकी डिलीवरी पाकिस्तान के हॉस्पिटल में करवाई थी या भारत में?
इस बात को मेरे दिल्ली वाले मित्र मान साहब के तजुर्बे से, इस तरीके से समझाना चाहूंगा:
किस्सा मित्र की जुबानी: ईस्ट UP/बिहार का उदाहरण लेते हैं| दिल्ली में इनकी पापुलेशन काफी है| जिनको हम migrants from ईस्ट UP /बिहार बोलते हैं| इनको पूर्वांचली भी बोला जाता है| इनको ले के दिल्ली और मुंबई में खूब राजनीति होती है| और इसी चक्कर में राज ठाकरे जैसे गुंडे पैदा होते हैं| मेरी बात कुछ बिहारियों से हुई| वो बड़े खुश हुए कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी जीती| मेरे को बोले कि देखो बिहारियों ने कमाल कर दिया, बिहार से आके दिल्ली में कितने सारे MLA बन गए| मैंने कहा सही बात है, 10-12 MLA बने होंगे| वो बड़े खुश थे| मैंने उन् बिहारियों से पूछा कि बिहार में तो जातिवाद बहुत ज्यादा है? वो बोले जी बिलकुल है| मैंने उनसे उनकी कास्ट पूछी कि तुम कौनसी कास्ट के हो | तो 1 ने बताया कि मै पासवान हूँ, एक ने कहा में यादव हूँ, एक ने कहा में कुर्मी हूँ, आदि -आदि मतलब सब के सब दलित या OBC थे| मैंने उनको कहा चलो अब मतलब की बात करते हैं| ये बताओ की दिल्ली में जो MLA या MP बने हैं, वो किस कास्ट के हैं, माना की बिहारी हैं| उनकी कास्ट तो होगी? अच्छा चलो ये बताओ की तुम्हारी कास्ट का कोई बिहारी MLA बना क्या? कोई बिहार का यादव, पासवान, कुर्मी या कोई और MLA बना क्या? एक दम से बोले नहीं | मानो एक दम से उनकी बत्ती जल गई, मुझे ऐसा लगा| तो फिर ये किस कास्ट के लोग है जो बिहारी तो है लेकिन तुम्हारी कास्ट के नहीं हैं? वो एक दम से चुप| मानो उनके अंदर का बिहार जाग गया हो, मतलब उनके अदर का जातिवाद जाग गया हो| मैंने कहा चलो मैं तुम्हें बताता हूँ कि उनकी कास्ट क्या है| 1 - झा, 2 - त्रिपाठी, 3 - तिवारी, मिश्रा, उपाध्याय, शर्मा, त्रिवेदी, चौबे आदि-आदि| अब मैंने उनको बताया कि ये लोग बने है MLA दिल्ली में| अब बताओ ये कौन हैं बिहारी या तथाकथित सवर्ण? एक दम से बोले कि ये तो सवर्ण होते हैं| वही सवर्ण ना जिनके जुल्मों के चलते, तुम लोग इधर जाटलैंड पर रोजगार और सुखचैन ढूंढने आते हो? बोले हाँ| चलो माना कि ये भी बिहारी हैं| तो इनके साथ -साथ अगर 1 पासवान, 1 यादव, 1 कुर्मी आदि भी MLA बन जाता तो किसी का क्या जाता? लेकिन इनको तो बिहार का तो छोडो, हरयाणा का योगेंद्र यादव तक रास नहीं आया| वो मेरी बातें सुनकर एक दम से shocked थे| मैंने कहा ये वो ही सवर्ण हैं तुम्हें बिहार में जुत्ते मारते हैं और दिल्ली में आ के तुम लोग इन्ही को बिहारी के नाम पर वोट करके MLA बनाते हो| ये यहाँ MLA बनकर खूब पैसा कमाते हैं और अपने बच्चो को पढने के लिए विदेश भेजते हैं| मैंने कहा ये लोग दिल्ली /बिहार में छेत्रवाद की राजनीति करते है| मुंबई में इन्हीं लोगों ने तुम्हारे पीछे राज ठाकरे नामक गुंडा इस काम के लिए छोड़ रखा है| उलटे-सीधे काम ये करते हैं और बाद में पिटते तुम हो| अगर ये लोग मुंबई में भी जातपात/क्षेत्रवाद की राजनीति न करे तो राज ठाकरे को मौका न मिले ये सब करने का| बोले कि हमने तो आज तक ये सोचा ही नहीं| मैंने कहा ये बिहारी, पंजाबी, गुजराती आदि-आदि सब झूठ है| सचाई सिर्फ तुम्हारी जाति है| बाकी सब झूठ है| सच सिर्फ इतना है कि तुम सिर्फ दलित हो, OBC हो| बाकी ये सब बिहारी, बंगाली, पंजाबी वर्ड का इस्तेमाल शातिर जातीय लोग धडल्ले से करते हैं| एक दलित चाहे वो बिहारी हो या बंगाली पूरे देश में दलित ही होता है| मैंने कहा इन् लोगो ने दिल्ली /मुंबई में पूर्वांचल प्रकोष्ठ बना रखे है | पुवांचल सभाए बना रखी है | इनका मकसद सिर्फ पोलिटिकल होता है| ये पूर्वांचल के नाम पर पोलिटिकल पार्टियों से टिकेट लेते हैं और MLA/MP बन जाते है| तुम्हें रोजगार तो स्थानीय हरयाणवी या दिल्ली वाले से मिलता है ना? बोले कि अधिकतर| तो बताओ या तुम्हारे किस काम आ रहे हैं? सब सोचने की मुद्रा में आ गए| दिल्ली में 1996 से एक MP बनता है आ रहा है | सबसे पहले तिवारी बना, फिर मिश्रा बना और अब फिर से तिवारी बना| ये तुम्हारी कास्ट को टिकट क्यों नहीं देते हैं? या सिर्फ तुम लोग खाली वोट करने के लिए बने हो? इन्होनें तुम्हें मारने के लिए बिहार में सेनाएं बना रखी हैं| और फिर दिल्ली में आकर तुम इन्हीं के लिए वोट करते हो?
दोस्त का बताया किस्सा समाप्त|
तो यही किस्सा अश्वनी चोपड़ा जैसे लोगों का है| आरएसएस के इन शियारों द्वारा फैलाये जा रहे जातिवाद से आम अरोड़ा/खत्री को क्या मिलता है?
अब अरोड़ा/खत्री समुदाय को एक सन्देश के साथ निचोड़ की बात:
क्योंकि पंजाब, हरयाणा , वेस्ट यूपी, दिल्ली में जाटू-सभ्यता के चलते मनुवाद कभी भी ज्यादा प्रभावशाली नहीं रहा और आरएसएस के मनुवादी लोग इस बात को अच्छे से जानते हैं| इसीलिए इन्होनें रामबिलास शर्मा जैसे नंबर वन सीएम पद के दावेदार होते हुए भी एक खत्री को हरयाणा का CM बनया है| क्योंकि मनुवादी हरयाणा के ब्राह्मण को सबसे नीचे दर्जे का ब्राह्मण मानता है, इसलिए उन पर विश्वास नहीं करता कि एक हरयाणवी ब्राह्मण इनके समाज को जातिवाद व् वर्णवाद में तोड़ने के एजेंडा को अच्छे से लागू कर पायेगा कि नहीं| अत: यह एक सोशल एक्सपेरिमेंट है| अगर जाटलैंड में रिएक्शन होगा तो मनुवादी सेफ रहेंगे| इस आग में लपेटे जायेंगे अरोड़ा/खत्री, ठीक वैसे ही जैसे पंजाब में लपेटे गए थे; वहाँ से पंजाबियों द्वारा ही खदेड़े गए यह मेरे वीर हरयाणा में शरण लिए थे| शायद वो अरोड़ा/खत्री जिनको ये पता भी नहीं होगा कि उन्हीं के लोग उनको राजनीती की भेट चढ़ाना चाहते हैं| इसके पीछे आरएसएस की सोची समझी रणनीति है, जो पंजाब के बाद अब दोबारा से हरयाणा में प्रयोग कर रही है और यह बड़े चाव से हो भी रहे हैं|
इसलिए बीजेपी/आरएसएस बार-बार जाटों को उग्र करने की कोशिश करता रहता है, ताकि जाट रियेक्ट करें| इसीलिए लिए ऐसे ब्यान जान-बूझकर और सोच समज कर दिलवाए जा रहे हैं|
चलते-चलते: मैं नहीं मानता कि अरोड़ा/खत्री समुदाय इन सब बातों को समझता नहीं होगा, वो मजाकिया जरूर होते हैं, परन्तु ऐसे अंधे कभी नहीं कि अश्वनी चोपड़ा जैसों के हाथों अपने समाज को गैरों के हितों के लिए प्रयोग होने देवें| साथ ही दो साल से जाटों द्वारा अभी तक जो संयम बरता गया है, इसको आगे भी जारी रखें; क्योंकि इस हरयाणा को हरा-भरा समतल व् इस लायक कि यहां मुनवाद से पीड़ित दूसरे राज्यों के दलित-ओबीसी भी ट्रेनें भर-भर रोजगार करने आते हैं; किसी ने बनाया है तो वो सबसे ज्यादा आपके पुरखों ने स्थानीय दलित-ओबीसी के साथ मिलके बनाया है| अत: आपकी जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बनती है, अपनी "दूध-दही की संस्कृति में डूबे भाईचारे" को किसी की नजर न लगने देने से बचाने की|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
सबसे पहले समस्त हरयाणावासियों से एक अपील:
सलंगित अख़बार की कटिंग में न्यूज़ वाले जैसे लोगों ने (जिनमें इन महाशय के दादा जगत नारायण चोपड़ा का नाम टॉप में आता है) ने पहले पंजाब को तबाह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और अब ये हरियाणा के लोगों के भाईचारे में आग लगाकर हरियाणा बर्बाद करना चाहते हैं| इसलिए सभी हरियाणा वासियों से विनम्र अपील है कि हरियाणा को बचाने के लिए पंजाब केसरी अखबार का बायकाट करें।
अब बात कि कैसे अरोड़ा/खत्री समुदाय इसके लीडरों के जरिये (क्योंकि आम अरोड़ा/खत्री शांतिप्रिय है, इसलिए इस लेख में बात भी सिर्फ अश्वनी चोपड़ा जैसे लोगों पर ही होगी) आरएसएस द्वारा दूसरी बार फिर से यूज किया जा रहा है:
अश्वनी चोपड़ा जैसे लोग, खुद को पंजाब में "हिन्दू अरोरा-खत्री" लिखवाते हैं, और पंजाब के बाहर जैसे कि हरयाणा, यहां पंजाबी लिखवाते हैं| इनके (हालाँकि खेलती आरएसएस है इनके जरिये, परन्तु यह इसको इनकी ढेढस्यानपट्टी मानते हैं) खेल को समझें| तो ये ऐसे लोग हैं, जो जब आग लगेगी तो हरयाणा छोड़कर खुद तो गुजरात या नागपुर भाग जायेंगे (क्योंकि अश्वनी चोपड़ा जैसों की हरकतों ने जब पंजाब में आतंकवाद सुलगाया था तो पंजाब के पंजाबियों ने ही या तो इनको वहाँ से खदेड़ दिया था या यह खुद भाग आये थे और हरयाणा में शरण ली थी) और पीछे रह जायेगा नफरत की आग में जलता-धधकता हरयाणा| लेकिन इसका जो अंजाम भुगतना पड़ेगा वो एक आम भोले-भाले अरोड़ा/खत्री को। ये लोग आरएसएस के हाथों में खेलते हैं, जबसे आरएसएस बनी है तब से उसकी कठपुतली रहे हैं| आरएसएस इनको ले के हरयाणा में एक्सपेरिमेंट कर रहा है| आरएसएस चाहता है कि पंजाबी शब्द को ले के हरयाणवी और पंजाबी के बीच विवाद पैदा किया जाए|
यह, अश्वनी चोपड़ा महाशय, कभी कहता है कि "सभी गैर -जाट एक हो जाओ, वर्ना जाट दबा लेंगे", तो कभी कहता है कि सभी पंजाबी एक हो जाओ| कभी कहता है कि अगर हरयाणा में पंजाबी राज लाना है तो सारे पंजाबी एक हो जाओ| कभी फेंकता है कि पाकिस्तान से आ कर हमने मेहनत से सब जमाया| कभी दूसरों को नसीहत देता है कि मांग के नहीं, मेहनत से खाओ; जबकि खुद बैंको के सैंकड़ों करोड़ जब्त किये बैठा है| लेकिन जो यह नहीं कहते वो यह कि सब हरयाणवी एकता और बराबरी के साथ रहो| क्योंकि यह अभी तक भी खुद को पाकिस्तान से ही आया हुआ मान रहे हैं, क्यों भाई आपकी माता श्री ने आपकी डिलीवरी पाकिस्तान के हॉस्पिटल में करवाई थी या भारत में?
इस बात को मेरे दिल्ली वाले मित्र मान साहब के तजुर्बे से, इस तरीके से समझाना चाहूंगा:
किस्सा मित्र की जुबानी: ईस्ट UP/बिहार का उदाहरण लेते हैं| दिल्ली में इनकी पापुलेशन काफी है| जिनको हम migrants from ईस्ट UP /बिहार बोलते हैं| इनको पूर्वांचली भी बोला जाता है| इनको ले के दिल्ली और मुंबई में खूब राजनीति होती है| और इसी चक्कर में राज ठाकरे जैसे गुंडे पैदा होते हैं| मेरी बात कुछ बिहारियों से हुई| वो बड़े खुश हुए कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी जीती| मेरे को बोले कि देखो बिहारियों ने कमाल कर दिया, बिहार से आके दिल्ली में कितने सारे MLA बन गए| मैंने कहा सही बात है, 10-12 MLA बने होंगे| वो बड़े खुश थे| मैंने उन् बिहारियों से पूछा कि बिहार में तो जातिवाद बहुत ज्यादा है? वो बोले जी बिलकुल है| मैंने उनसे उनकी कास्ट पूछी कि तुम कौनसी कास्ट के हो | तो 1 ने बताया कि मै पासवान हूँ, एक ने कहा में यादव हूँ, एक ने कहा में कुर्मी हूँ, आदि -आदि मतलब सब के सब दलित या OBC थे| मैंने उनको कहा चलो अब मतलब की बात करते हैं| ये बताओ की दिल्ली में जो MLA या MP बने हैं, वो किस कास्ट के हैं, माना की बिहारी हैं| उनकी कास्ट तो होगी? अच्छा चलो ये बताओ की तुम्हारी कास्ट का कोई बिहारी MLA बना क्या? कोई बिहार का यादव, पासवान, कुर्मी या कोई और MLA बना क्या? एक दम से बोले नहीं | मानो एक दम से उनकी बत्ती जल गई, मुझे ऐसा लगा| तो फिर ये किस कास्ट के लोग है जो बिहारी तो है लेकिन तुम्हारी कास्ट के नहीं हैं? वो एक दम से चुप| मानो उनके अंदर का बिहार जाग गया हो, मतलब उनके अदर का जातिवाद जाग गया हो| मैंने कहा चलो मैं तुम्हें बताता हूँ कि उनकी कास्ट क्या है| 1 - झा, 2 - त्रिपाठी, 3 - तिवारी, मिश्रा, उपाध्याय, शर्मा, त्रिवेदी, चौबे आदि-आदि| अब मैंने उनको बताया कि ये लोग बने है MLA दिल्ली में| अब बताओ ये कौन हैं बिहारी या तथाकथित सवर्ण? एक दम से बोले कि ये तो सवर्ण होते हैं| वही सवर्ण ना जिनके जुल्मों के चलते, तुम लोग इधर जाटलैंड पर रोजगार और सुखचैन ढूंढने आते हो? बोले हाँ| चलो माना कि ये भी बिहारी हैं| तो इनके साथ -साथ अगर 1 पासवान, 1 यादव, 1 कुर्मी आदि भी MLA बन जाता तो किसी का क्या जाता? लेकिन इनको तो बिहार का तो छोडो, हरयाणा का योगेंद्र यादव तक रास नहीं आया| वो मेरी बातें सुनकर एक दम से shocked थे| मैंने कहा ये वो ही सवर्ण हैं तुम्हें बिहार में जुत्ते मारते हैं और दिल्ली में आ के तुम लोग इन्ही को बिहारी के नाम पर वोट करके MLA बनाते हो| ये यहाँ MLA बनकर खूब पैसा कमाते हैं और अपने बच्चो को पढने के लिए विदेश भेजते हैं| मैंने कहा ये लोग दिल्ली /बिहार में छेत्रवाद की राजनीति करते है| मुंबई में इन्हीं लोगों ने तुम्हारे पीछे राज ठाकरे नामक गुंडा इस काम के लिए छोड़ रखा है| उलटे-सीधे काम ये करते हैं और बाद में पिटते तुम हो| अगर ये लोग मुंबई में भी जातपात/क्षेत्रवाद की राजनीति न करे तो राज ठाकरे को मौका न मिले ये सब करने का| बोले कि हमने तो आज तक ये सोचा ही नहीं| मैंने कहा ये बिहारी, पंजाबी, गुजराती आदि-आदि सब झूठ है| सचाई सिर्फ तुम्हारी जाति है| बाकी सब झूठ है| सच सिर्फ इतना है कि तुम सिर्फ दलित हो, OBC हो| बाकी ये सब बिहारी, बंगाली, पंजाबी वर्ड का इस्तेमाल शातिर जातीय लोग धडल्ले से करते हैं| एक दलित चाहे वो बिहारी हो या बंगाली पूरे देश में दलित ही होता है| मैंने कहा इन् लोगो ने दिल्ली /मुंबई में पूर्वांचल प्रकोष्ठ बना रखे है | पुवांचल सभाए बना रखी है | इनका मकसद सिर्फ पोलिटिकल होता है| ये पूर्वांचल के नाम पर पोलिटिकल पार्टियों से टिकेट लेते हैं और MLA/MP बन जाते है| तुम्हें रोजगार तो स्थानीय हरयाणवी या दिल्ली वाले से मिलता है ना? बोले कि अधिकतर| तो बताओ या तुम्हारे किस काम आ रहे हैं? सब सोचने की मुद्रा में आ गए| दिल्ली में 1996 से एक MP बनता है आ रहा है | सबसे पहले तिवारी बना, फिर मिश्रा बना और अब फिर से तिवारी बना| ये तुम्हारी कास्ट को टिकट क्यों नहीं देते हैं? या सिर्फ तुम लोग खाली वोट करने के लिए बने हो? इन्होनें तुम्हें मारने के लिए बिहार में सेनाएं बना रखी हैं| और फिर दिल्ली में आकर तुम इन्हीं के लिए वोट करते हो?
दोस्त का बताया किस्सा समाप्त|
तो यही किस्सा अश्वनी चोपड़ा जैसे लोगों का है| आरएसएस के इन शियारों द्वारा फैलाये जा रहे जातिवाद से आम अरोड़ा/खत्री को क्या मिलता है?
अब अरोड़ा/खत्री समुदाय को एक सन्देश के साथ निचोड़ की बात:
क्योंकि पंजाब, हरयाणा , वेस्ट यूपी, दिल्ली में जाटू-सभ्यता के चलते मनुवाद कभी भी ज्यादा प्रभावशाली नहीं रहा और आरएसएस के मनुवादी लोग इस बात को अच्छे से जानते हैं| इसीलिए इन्होनें रामबिलास शर्मा जैसे नंबर वन सीएम पद के दावेदार होते हुए भी एक खत्री को हरयाणा का CM बनया है| क्योंकि मनुवादी हरयाणा के ब्राह्मण को सबसे नीचे दर्जे का ब्राह्मण मानता है, इसलिए उन पर विश्वास नहीं करता कि एक हरयाणवी ब्राह्मण इनके समाज को जातिवाद व् वर्णवाद में तोड़ने के एजेंडा को अच्छे से लागू कर पायेगा कि नहीं| अत: यह एक सोशल एक्सपेरिमेंट है| अगर जाटलैंड में रिएक्शन होगा तो मनुवादी सेफ रहेंगे| इस आग में लपेटे जायेंगे अरोड़ा/खत्री, ठीक वैसे ही जैसे पंजाब में लपेटे गए थे; वहाँ से पंजाबियों द्वारा ही खदेड़े गए यह मेरे वीर हरयाणा में शरण लिए थे| शायद वो अरोड़ा/खत्री जिनको ये पता भी नहीं होगा कि उन्हीं के लोग उनको राजनीती की भेट चढ़ाना चाहते हैं| इसके पीछे आरएसएस की सोची समझी रणनीति है, जो पंजाब के बाद अब दोबारा से हरयाणा में प्रयोग कर रही है और यह बड़े चाव से हो भी रहे हैं|
इसलिए बीजेपी/आरएसएस बार-बार जाटों को उग्र करने की कोशिश करता रहता है, ताकि जाट रियेक्ट करें| इसीलिए लिए ऐसे ब्यान जान-बूझकर और सोच समज कर दिलवाए जा रहे हैं|
चलते-चलते: मैं नहीं मानता कि अरोड़ा/खत्री समुदाय इन सब बातों को समझता नहीं होगा, वो मजाकिया जरूर होते हैं, परन्तु ऐसे अंधे कभी नहीं कि अश्वनी चोपड़ा जैसों के हाथों अपने समाज को गैरों के हितों के लिए प्रयोग होने देवें| साथ ही दो साल से जाटों द्वारा अभी तक जो संयम बरता गया है, इसको आगे भी जारी रखें; क्योंकि इस हरयाणा को हरा-भरा समतल व् इस लायक कि यहां मुनवाद से पीड़ित दूसरे राज्यों के दलित-ओबीसी भी ट्रेनें भर-भर रोजगार करने आते हैं; किसी ने बनाया है तो वो सबसे ज्यादा आपके पुरखों ने स्थानीय दलित-ओबीसी के साथ मिलके बनाया है| अत: आपकी जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बनती है, अपनी "दूध-दही की संस्कृति में डूबे भाईचारे" को किसी की नजर न लगने देने से बचाने की|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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