Tuesday, 13 December 2016

धार ले ल्यो हरयाणा आळे!

हरयाणा के टैलेंट का किस हद तक शोषण और दोहन हो रहा है इसका अंदाज इसी बात से लगा लीजिये कि यहां के मंदिरों में पण्डे-पुजारी तक हरयाणवी ना हो के उत्तराखंडी या बनारसी बैठाये जाने लगे हैं? क्यों भाई क्या हरयाणा के ब्राह्मण मर गए या उनको ब्राह्मण ही नहीं माना जाता? ओह शायद इसीलिए रामबिलास शर्मा जी को सेकंड लीड की मिनिस्टरी मिली।

अरे हरयाणा में जाट तक पंडताई करते आये हैं, सो जो अगर हरयाणा के ब्राह्मणों पर से नागपुरियों का भरोसा उठ गया था तो जाटों को पुजारी बना देते? उसके पास तो लठ की ताकत भी होती है, सुसरा भगवान ज्योत-बत्ती से ना मानता तो जाट-पुजारी लठ की खोद दिखा के यूँ पल में मना देता। पर ये इम्पोर्टेड पुजारी क्यों? हरयाणा के ब्राह्मणों कहाँ सोये पड़े हो? ब्राह्मण वर्ण से उतार के शुद्र तो नहीं बना दिए गए हो, नागपुरियों द्वारा?

अब जब हरयाणा के ब्राह्मण-वर्ण तक का इतना शोषण हो रहा है, तो फिर यहां के किसान, उसकी जमीन और मजदूरों-व्यापारियों के तो क्या कहने। वैसे सुना है इस कैशलेस के जरिये हरयाणा के व्यापारी को कंगाल करके, यहां गुजराती व्यापारी घुसाए जा रहे हैं?

धार ले ल्यो हरयाणा आळे तो!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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