1826
में मैसन ने पहली बार हड़प्पा में बौद्ध स्तूप ही देखा था , बर्नेस (1831)
और कनिंघम (1853) ने भी। राखालदास बंदोपाध्याय ने भी 1922 में बौद्ध स्तूप
की खुदाई में ही सिंधु घाटी की सभ्यता की खोज की थी। राखीगढ़ तो हाल की
घटना है, वहाँ भी सिंधु घाटी की सभ्यता बौद्ध स्तूप की खुदाई में ही मिली
है - सिंधु घाटी सभ्यता का विशाल स्थल!
इसलिए सिंधु घाटी की सभ्यता की खुदाई में बौद्ध स्तूप नहीं मिला है बल्कि बौद्ध स्तूप की खुदाई में सिंधु घाटी की सभ्यता मिली है। मगर इतिहासकारों को सिंधु घाटी की सभ्यता के इतिहास को ऐसे लिखने में जाने क्या परेशानी है, जबकि सच यही है कि सिंधु घाटी की सभ्यता बौद्ध सभ्यता है।
Source: Rajendra Prasad Singh
इसलिए सिंधु घाटी की सभ्यता की खुदाई में बौद्ध स्तूप नहीं मिला है बल्कि बौद्ध स्तूप की खुदाई में सिंधु घाटी की सभ्यता मिली है। मगर इतिहासकारों को सिंधु घाटी की सभ्यता के इतिहास को ऐसे लिखने में जाने क्या परेशानी है, जबकि सच यही है कि सिंधु घाटी की सभ्यता बौद्ध सभ्यता है।
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