देशभक्ति के भगवान (God of patriotism) शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह और राजगुरु व् सुखदेव को राष्ट्रीय शहीदी दिवस पर कोटि-कोटि नमन!
शहीद-ए-आज़म की शान में प्रस्तुत है "सरदार भगत सिंह चालीसा":
जय भगत सिंह, देशभक्ति के सागर,
जय सरदारा, तिहुँ लोक उजागर!
किसान-पुत्त, अतुलित बल धामा,
विद्यावती पुत्र, बंगे पिंड जामा!
महाबीर बिक्रम बसन्त-रंगी,
कायरता उखाड़, वीरता के संगी!
किसान कर्म, विराज खटकड़-कलां का,
सर पर पगड़ी, मूछें जबर सा!
हाथ इंकलाब और बसन्ती ध्वज विराजे,
काँधे फटका किसान का साजे!
संधू सुवन किशन सिंह नन्दन,
तेज प्रताप महाजंग वन्दन!
विद्यवान गुनी अति चातुर,
देश काज करिबे को आतुर!
सरदारी चरित्र पढ़िबे को रसिया,
लेनिन-सराबा-खालसा मन बसिया!
रूप बदल धरि, केश कटावा,
अंग्रेजन को चकमा दे जावा!
इंकलाबी रूप धरि, सांडर्स संहारे,
धरती-माँ के काज सँवारे!
बनाये बम, असेंबली बजाए,
पर प्राण किसी के ना जाए!
भारत किन्हीं बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिये आमजन सहाई!
सहस मुल्क तुम्हरो यश गावे,
ऐसा-कही माँ कण्ठ लगावे!
संकाधिक मजदूर-मुनीसा,
किसान-जवान सहित महीसा!
तुम उपकार लाजपत कीन्हा,
मार सांडर्स सम्मान बचीना!
तुम्हरो मन्त्र गांधी माना,
अंग्रेज भये सब जग जाना!
67 रोज भूख हड़ताल ठानूँ,
अंग्रेजन को झुका के मानूँ!
धरती-माँ मेहर, मन माही,
फांसी झूल गए, अचरज नाहीं!
दुर्गम काज जगत के जीते,
भगता तुम गजब के चीते!
देशभक्ति द्वारे तुम उजयारे,
जुमला से ना हुए गुजारे!
आपका तेज सम्हारो आपही,
तीनों लोक ना दूजा कोई!
भूत-पिशाच निकट नाही आवे,
जो भगत सिंह नाम सुनावे!
नासे रोग हरे सब पीड़ा,
जपत निरन्तर भगत सिंह बीरा!
पंगुता से भगत सिंह छुडावे,
गाम-गौत-गुहांड जो पुगावे!
चारों युग प्रताप तुम्हारा,
है प्रसिद्ध जगत उजियारा!
किसान-मजदूर के तुम रखवारे,
मंडी-फ़ंडी निकन्दन, अजीत दुलारे!
देशभक्ति रसायन, तुम्हारे पासा,
सदा रहो देशभक्ति के बाहसा!
संकट कटे-मिटे सब पीड़ा,
जो सुमरै भगत सिंह शेरा!
जय जय जय भगत सिंह शाही,
अवतारों फिर, बन नई राही!
जो यह पढ़े भगत सिंह चालीसा,
होये निर्भय सखी दुर्गा भाभी-सा,
फुल्ले-भगत सदा भली तेरा,
कीजे सरदार हृदय में डेरा!
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
शहीद-ए-आज़म की शान में प्रस्तुत है "सरदार भगत सिंह चालीसा":
जय भगत सिंह, देशभक्ति के सागर,
जय सरदारा, तिहुँ लोक उजागर!
किसान-पुत्त, अतुलित बल धामा,
विद्यावती पुत्र, बंगे पिंड जामा!
महाबीर बिक्रम बसन्त-रंगी,
कायरता उखाड़, वीरता के संगी!
किसान कर्म, विराज खटकड़-कलां का,
सर पर पगड़ी, मूछें जबर सा!
हाथ इंकलाब और बसन्ती ध्वज विराजे,
काँधे फटका किसान का साजे!
संधू सुवन किशन सिंह नन्दन,
तेज प्रताप महाजंग वन्दन!
विद्यवान गुनी अति चातुर,
देश काज करिबे को आतुर!
सरदारी चरित्र पढ़िबे को रसिया,
लेनिन-सराबा-खालसा मन बसिया!
रूप बदल धरि, केश कटावा,
अंग्रेजन को चकमा दे जावा!
इंकलाबी रूप धरि, सांडर्स संहारे,
धरती-माँ के काज सँवारे!
बनाये बम, असेंबली बजाए,
पर प्राण किसी के ना जाए!
भारत किन्हीं बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिये आमजन सहाई!
सहस मुल्क तुम्हरो यश गावे,
ऐसा-कही माँ कण्ठ लगावे!
संकाधिक मजदूर-मुनीसा,
किसान-जवान सहित महीसा!
तुम उपकार लाजपत कीन्हा,
मार सांडर्स सम्मान बचीना!
तुम्हरो मन्त्र गांधी माना,
अंग्रेज भये सब जग जाना!
67 रोज भूख हड़ताल ठानूँ,
अंग्रेजन को झुका के मानूँ!
धरती-माँ मेहर, मन माही,
फांसी झूल गए, अचरज नाहीं!
दुर्गम काज जगत के जीते,
भगता तुम गजब के चीते!
देशभक्ति द्वारे तुम उजयारे,
जुमला से ना हुए गुजारे!
आपका तेज सम्हारो आपही,
तीनों लोक ना दूजा कोई!
भूत-पिशाच निकट नाही आवे,
जो भगत सिंह नाम सुनावे!
नासे रोग हरे सब पीड़ा,
जपत निरन्तर भगत सिंह बीरा!
पंगुता से भगत सिंह छुडावे,
गाम-गौत-गुहांड जो पुगावे!
चारों युग प्रताप तुम्हारा,
है प्रसिद्ध जगत उजियारा!
किसान-मजदूर के तुम रखवारे,
मंडी-फ़ंडी निकन्दन, अजीत दुलारे!
देशभक्ति रसायन, तुम्हारे पासा,
सदा रहो देशभक्ति के बाहसा!
संकट कटे-मिटे सब पीड़ा,
जो सुमरै भगत सिंह शेरा!
जय जय जय भगत सिंह शाही,
अवतारों फिर, बन नई राही!
जो यह पढ़े भगत सिंह चालीसा,
होये निर्भय सखी दुर्गा भाभी-सा,
फुल्ले-भगत सदा भली तेरा,
कीजे सरदार हृदय में डेरा!
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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