Saturday, 17 August 2019

ओहो तो "नरसी के भात" वाला किस्सा यह है!

जिसको अक्सर ऑडियो केसेट्स के जरिये बचपन से कृष्ण से जुड़ा हुआ बता के फैलवाया गया है? यह फंडी भी ना मेरे बटे कति तैयार बैठे रह सैं कि समाज में आर्गेनिक तरीके से कुछ फेमस हुआ नहीं और इन्होनें जुट जाना उसपे अपनी स्टाम्प लगा के गाना-बगाना|


ऐसे ही "बाला जी जट्ट" जिन्होनें महमूद ग़ज़नवी से सोमनाथ मंदिर का लुटा हुआ खजाना वापिस लूट लिया था, उनको उठा के हनुमान जी से जोड़ दिया और "बाला जी" टेम्पल्स सीरीज ही चला दी| तो भाई "बाला जी जट्ट" कह के पुजवाने में क्या ऐतराज था आपको, फिर कहोगे कि जाट खार क्यों खाता है| तुम तथ्यों को ज्यों-का-त्यों बना के प्रचारित क्यों नहीं रखते हो, क्या कोई दान-चढ़ावे के जरिये धन की कमी रखता है जाट तुम्हें सही-सही प्रचार करने हेतु?

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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