Friday, 13 December 2019

हरयाणा सरकार अगर वाकई "हरयाणा एक, हरयाणवी एक" के नारे को गंभीरता से मानती व् पालती है तो पहले झटके CAB को मना करे!

अन्यथा शरणार्थियों को बसाने की जिम्मेदारी मंदिर-मठ-अखाड़ों वालों की लेनी चाहिए व् इनकी जमीनों पर व् इनको जनता जो धर्म के नाम पर दान-चंदा देती है उस खर्चे से इनकी बसासत होवे अगर होवे भी तो| तभी वाकई में तथाकथित हिन्दू-हिंदुत्व की रक्षा भी होवेगी व् बुलंदी भी|

नहीं तो यह तथाकथित CAB कोरा हाड-तोड़ मेहनत से बनाई व् सदियों-सदियों तक की विभिन्न सरकारों-राजाओ-बादशाहों को भरे टैक्स-मालगुजारी से कायम करके रखी किसान-जमींदार की जमीनें हड़पने के षड्यंत्र से ज्यादा कुछ नहीं| आज के स्थानीय दलित-ओबीसी को 100-100 गज के प्लॉट्स मिलते हैं, उनसे जाओगे वह अलग से| जमीन व् प्लाट तो प्लाट सारा कल्चर-भाषा-वातावरण नष्ट हो जायेगा वह अलग से|

हरयाणा-एनसीआर में तो वैसे ही हद से ज्यादा जनसंख्या आ चुकी है, अब क्या हमारी ड्योढ़ियों पर बसायेंगे यहाँ इनको? आवाज उठा लो वक्त रहते वरना आगे खतरा बहुत बड़ा है| हरयाणा सरकार अगर वाकई "हरयाणा एक, हरयाणवी एक" के नारे को गंभीरता से मानती व् पालती है तो पहले झटके CAB को मना करे|

1761 में पानीपत के मैदान में अब्दाली से हारे शरणार्थी यहाँ हमने बसाये| आधे पुणे-महाराष्ट्र भी हमारी ही सुरक्षा में महाराजा सूरजमल के राज में हरयाणवियों ने ही छुड़वाए|
1947 में पाकिस्तान से आये भाई-बंधु सबसे ज्यादा यहाँ बसाये व् स्थानीय लोगों ने जी भर के मदद करी|
1984 में पंजाब में आतंकवाद हुआ तो जो 5% हिन्दू वहां से खिसका वह हरयाणा ने अपनी छाती पर ओटा|
1990 में कश्मीर में आतंकवाद छिड़ा तो सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडित को हरयाणा वालों ने शरण दी|
1990 में बाल ठाकरे जैसों ने उत्तर भारतीय के नाम पर बिहार-बंगाल वालों को महाराष्ट्र-गुजरात से पीट कर भगाया तो उनको हरयाणा-पंजाब सबसे सुरक्षित लगा व् तब से बिहार-बंगाल-पूर्वोत्तर से आने वाले कामगारों को यहाँ रोजगार समेत आसरा मिलता रहा|

अब और क्या इस छोटे से क्षेत्र में पूरा विश्व बसाओगे? जनसंख्या डेंसिटी से ले जल-प्रदूषण, धरती दोहन, वातावरण प्रदूषण क्या-क्या नहीं झेल रहा है स्थानीय हरयाणवी? आखिर इसके स्वास्थ्य से ले आत्मिक शांति के लिए कुछ बचेगा या नहीं?

इसलिए बायकाट कीजिये इस CAB को|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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