अन्यथा शरणार्थियों को बसाने की जिम्मेदारी मंदिर-मठ-अखाड़ों वालों की लेनी चाहिए व् इनकी जमीनों पर व् इनको जनता जो धर्म के नाम पर दान-चंदा देती है उस खर्चे से इनकी बसासत होवे अगर होवे भी तो| तभी वाकई में तथाकथित हिन्दू-हिंदुत्व की रक्षा भी होवेगी व् बुलंदी भी|
नहीं तो यह तथाकथित CAB कोरा हाड-तोड़ मेहनत से बनाई व् सदियों-सदियों तक की विभिन्न सरकारों-राजाओ-बादशाहों को भरे टैक्स-मालगुजारी से कायम करके रखी किसान-जमींदार की जमीनें हड़पने के षड्यंत्र से ज्यादा कुछ नहीं| आज के स्थानीय दलित-ओबीसी को 100-100 गज के प्लॉट्स मिलते हैं, उनसे जाओगे वह अलग से| जमीन व् प्लाट तो प्लाट सारा कल्चर-भाषा-वातावरण नष्ट हो जायेगा वह अलग से|
हरयाणा-एनसीआर में तो वैसे ही हद से ज्यादा जनसंख्या आ चुकी है, अब क्या हमारी ड्योढ़ियों पर बसायेंगे यहाँ इनको? आवाज उठा लो वक्त रहते वरना आगे खतरा बहुत बड़ा है| हरयाणा सरकार अगर वाकई "हरयाणा एक, हरयाणवी एक" के नारे को गंभीरता से मानती व् पालती है तो पहले झटके CAB को मना करे|
1761 में पानीपत के मैदान में अब्दाली से हारे शरणार्थी यहाँ हमने बसाये| आधे पुणे-महाराष्ट्र भी हमारी ही सुरक्षा में महाराजा सूरजमल के राज में हरयाणवियों ने ही छुड़वाए|
1947 में पाकिस्तान से आये भाई-बंधु सबसे ज्यादा यहाँ बसाये व् स्थानीय लोगों ने जी भर के मदद करी|
1984 में पंजाब में आतंकवाद हुआ तो जो 5% हिन्दू वहां से खिसका वह हरयाणा ने अपनी छाती पर ओटा|
1990 में कश्मीर में आतंकवाद छिड़ा तो सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडित को हरयाणा वालों ने शरण दी|
1990 में बाल ठाकरे जैसों ने उत्तर भारतीय के नाम पर बिहार-बंगाल वालों को महाराष्ट्र-गुजरात से पीट कर भगाया तो उनको हरयाणा-पंजाब सबसे सुरक्षित लगा व् तब से बिहार-बंगाल-पूर्वोत्तर से आने वाले कामगारों को यहाँ रोजगार समेत आसरा मिलता रहा|
अब और क्या इस छोटे से क्षेत्र में पूरा विश्व बसाओगे? जनसंख्या डेंसिटी से ले जल-प्रदूषण, धरती दोहन, वातावरण प्रदूषण क्या-क्या नहीं झेल रहा है स्थानीय हरयाणवी? आखिर इसके स्वास्थ्य से ले आत्मिक शांति के लिए कुछ बचेगा या नहीं?
इसलिए बायकाट कीजिये इस CAB को|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
नहीं तो यह तथाकथित CAB कोरा हाड-तोड़ मेहनत से बनाई व् सदियों-सदियों तक की विभिन्न सरकारों-राजाओ-बादशाहों को भरे टैक्स-मालगुजारी से कायम करके रखी किसान-जमींदार की जमीनें हड़पने के षड्यंत्र से ज्यादा कुछ नहीं| आज के स्थानीय दलित-ओबीसी को 100-100 गज के प्लॉट्स मिलते हैं, उनसे जाओगे वह अलग से| जमीन व् प्लाट तो प्लाट सारा कल्चर-भाषा-वातावरण नष्ट हो जायेगा वह अलग से|
हरयाणा-एनसीआर में तो वैसे ही हद से ज्यादा जनसंख्या आ चुकी है, अब क्या हमारी ड्योढ़ियों पर बसायेंगे यहाँ इनको? आवाज उठा लो वक्त रहते वरना आगे खतरा बहुत बड़ा है| हरयाणा सरकार अगर वाकई "हरयाणा एक, हरयाणवी एक" के नारे को गंभीरता से मानती व् पालती है तो पहले झटके CAB को मना करे|
1761 में पानीपत के मैदान में अब्दाली से हारे शरणार्थी यहाँ हमने बसाये| आधे पुणे-महाराष्ट्र भी हमारी ही सुरक्षा में महाराजा सूरजमल के राज में हरयाणवियों ने ही छुड़वाए|
1947 में पाकिस्तान से आये भाई-बंधु सबसे ज्यादा यहाँ बसाये व् स्थानीय लोगों ने जी भर के मदद करी|
1984 में पंजाब में आतंकवाद हुआ तो जो 5% हिन्दू वहां से खिसका वह हरयाणा ने अपनी छाती पर ओटा|
1990 में कश्मीर में आतंकवाद छिड़ा तो सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडित को हरयाणा वालों ने शरण दी|
1990 में बाल ठाकरे जैसों ने उत्तर भारतीय के नाम पर बिहार-बंगाल वालों को महाराष्ट्र-गुजरात से पीट कर भगाया तो उनको हरयाणा-पंजाब सबसे सुरक्षित लगा व् तब से बिहार-बंगाल-पूर्वोत्तर से आने वाले कामगारों को यहाँ रोजगार समेत आसरा मिलता रहा|
अब और क्या इस छोटे से क्षेत्र में पूरा विश्व बसाओगे? जनसंख्या डेंसिटी से ले जल-प्रदूषण, धरती दोहन, वातावरण प्रदूषण क्या-क्या नहीं झेल रहा है स्थानीय हरयाणवी? आखिर इसके स्वास्थ्य से ले आत्मिक शांति के लिए कुछ बचेगा या नहीं?
इसलिए बायकाट कीजिये इस CAB को|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
No comments:
Post a Comment