यह "चौथ" क्या होता था जो महाराजा सूरजमल नहीं दिया करते थे पेशवाओं को? इस "चौथ" पे महाराजा जी "चोथ" क्यों करते थे भाई? मतलब "चौथ" पर "चोथ" करना बढ़िया चीज होती थी क्या? फिर क्या घंटा पेशवाओं ने तथाकथित लाहौर-पेशावर तक का इंडिया जीता था, जब जाट तो इनको चौथ ही नहीं दिया करते थे यानि इनका आधिपत्य मानते ही नहीं थे| ऐसी-ऐसी बातें दिखाने के लिए "पानीपत" मूवी वालों का धन्यवाद भी करो यारो, निरा विरोध भी किस काम का| क्योंकि ऐसी बातें 100 जाट लेखक भी मिलके इंडिया को नहीं समझा सकते थे कि, "जाट घंटा नहीं इनका आधिपत्य मानते थे" जो इस मूवी वाले ने एक झटके में कन्वे कर दी| वैसे आधिपत्य नहीं मानने वाले पॉइंट पर आज वाले भक्त भी जरा गौर फरमाएं कि जब तुम्हारे पुरखों ने ही कभी इनकी भक्ति नहीं स्वीकारी तो तुम्हें क्यों-कैसे हुई यह बीमारी; जो नागपुरियों की कर रहे चाटुकारी?
और बहुत हुआ इस पानीपत मूवी का विरोध, इसको छोड़ अब CAB के विरोध पर आ जाओ, पूर्वोत्तर की भाँति| कमाल है जहाँ सबसे ज्यादा शरणार्थी पड़ा है यानि दिल्ली-एनसीआर, वहाँ इस पर आवाज ही नहीं उठ रही| अरे किधर गए 75% नौकरियां स्थानीय हरयाणवियों के लिए सुनिश्चित करने वाले? CAB जैसे अति-गंभीर मुद्दों पर चुप रहने से सुनिश्चित होंगी क्या यह 75% नौकरिया? तुम्हारी सामलात की बची जमीनों पर जब शरणार्थी बसा दिए जायेंगे तो मुंह खोलोगे? या छोटे मोदी साबित होवोगे कि जुमलेबाजी करके हरयाणवी यूथ के वोट लिए और खिसक लिए? देख लेना मैंने "साबित होवोगे" कहा है फ़िलहाल "साबित हो गए नहीं" कहा|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
और बहुत हुआ इस पानीपत मूवी का विरोध, इसको छोड़ अब CAB के विरोध पर आ जाओ, पूर्वोत्तर की भाँति| कमाल है जहाँ सबसे ज्यादा शरणार्थी पड़ा है यानि दिल्ली-एनसीआर, वहाँ इस पर आवाज ही नहीं उठ रही| अरे किधर गए 75% नौकरियां स्थानीय हरयाणवियों के लिए सुनिश्चित करने वाले? CAB जैसे अति-गंभीर मुद्दों पर चुप रहने से सुनिश्चित होंगी क्या यह 75% नौकरिया? तुम्हारी सामलात की बची जमीनों पर जब शरणार्थी बसा दिए जायेंगे तो मुंह खोलोगे? या छोटे मोदी साबित होवोगे कि जुमलेबाजी करके हरयाणवी यूथ के वोट लिए और खिसक लिए? देख लेना मैंने "साबित होवोगे" कहा है फ़िलहाल "साबित हो गए नहीं" कहा|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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